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अनुग्रह का अधिकार
Translated from the booklet by Pastor Carl H. Stevens, of www.ggwo.org titled, 'The Authority of Grace.' "क्योंकि तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो" (रोमियों ६:१४ब)। "और कोई नया दाखरस पुरानी मशकों में नही भरता, नहीं तो नया दाखरस मशकों को फाड़कर बह जाएगा, और मशकें भी नाश हो जाएंगी। परन्तु नया दाखरस नई मशकों में भरना चाहिये...." (लूका ५:३७-३८)। हर विश्वासी अनुग्रह की सरकार के अधीन रखा गया है। दुर्भाग्य से, सभी विश्वासी उनके दैनिक जीवन में अनुग्रह के अधिकार और विजय का अनुभव नहीं करते। यद्यपि वे कलीसिया की सभा से उत्तेजित होकर अपनी भावनाओं में एक अस्थायी आज़ादी का अनुभव कर सकते हैं, पर दो दिन बाद उन्हें पता लग सकता है कि वे बिल्कुल भी बदले नहीं हैं। आखिर क्यों? वे अनुग्रह के पवित्र आत्मा के नए दाखरस को नहीं रख पाए, क्योंकि उन्होंने उसे अपनी पुरानी क्षमता में ग्रहण किया था, जिसमें आत्मिक तत्व की कमी थी। यह पुस्तिका दिखाएगी कि जब हम अनुग्रह की आत्मा के नए दाखरस के माध्यम से अपनी नई क्षमता (मसीह) में सत्य को ग्रहण करते हैं, तब अनुग्रह हमारे जीवन के लिए अन्तिम और व्यक्तिगत अधिकार बन जाता है। उस अधिकार के द्वारा हम अपने पुराने पाप स्वभाव से व्यक्तिगत बचाव का अनुभव कर सकते हैं, जिससे मसीह में जीवन की नवीनता में स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकें।

अनुग्रह और सच्चाई की नींव

परमेश्वर का अनुग्रह एक विश्वासी के जीवन में निर्णायक अधिकारी होता है; यह उस प्रत्येक विवरण में रेफरी का काम करता है, जिसका हम सामना करते हैं। परमेश्वर का वचन यूहन्ना १:१६ में कहता है, "क्योंकि उसकी परिपूर्णता से हम सब ने प्राप्त किया अर्थात अनुग्रह पर अनुग्रह।" अगर पवित्र आत्मा अनुग्रह के व्यवस्थापन (इफिसियों ३:२) की रोशनी में यह प्रकट करे कि इसका क्या मतलब है, तो तुम बहुत टूटे होकर सिर्फ आराधना और धन्यवाद करने के लिए परमेश्वर के साथ अकेले समय बिताना चाहोगे। सम्पूर्ण कर्म के कारण, उसकी सम्पूर्णता में से हमने पहले ही अनुग्रह पर अनुग्रह ग्रहण कर लिया है। यूहन्ना १:१७ कहता है, "इसलिये कि व्यवस्था तो मूसा के द्वारा दी गई; परन्तु अनुग्रह, और सच्चाई यीशु मसीह के द्वारा पहुंची।" मैं चाहता हूं कि आप उन शब्दों को याद रखें - "अनुग्रह और सच्चाई।" सच्चाई कभी अनुग्रह से अलग नहीं हो सकती, न ही अनुग्रह को सच्चाई से अलग किया जा सकता। "करूणा और सच्चाई आपस में मिल गई हैं; धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया है। पृथ्वी में से सच्चाई उगती और स्वर्ग से धर्म झुकता है। फिर यहोवा उत्तम पदार्थ देगा, और हमारी भूमि अपनी उपज देगी। धर्म उसके आगे आगे चलेगा, और उसके पांवों के चिन्हों को हमारे लिये मार्ग बनाएगा" (भजन ८५:१०-१३)। करुणा और सच्चाई आपस में मिले। इसलिए, जब क्रूस पर वह बैठक हुई, तब करुणा भी अनुग्रह से मिली। वे यीशु मसीह की शख्सियत में मिले। जब भजन ८५:१० कहता है कि धर्म और मेल ने आपस में चुम्बन किया है, यह पिता की धार्मिकता के बारे में बोल रहा है। और इफिसियों २:१४ में, यीशु मसीह हमारा मेल है। इसलिए, परिपूर्ण पवित्रता और धार्मिकता में, परमेश्वर पिता ने यीशु मसीह को चूमा, जिसने पाप-वाहक के तौर पर मनुष्य का प्रतिनिधित्व किया (हालांकि उसने स्वयं कभी पाप नहीं किया)। इसका अर्थ क्या है कि "पृथ्वी में से सच्चाई उगती है"? मसीह के माध्यम से, अनुग्रह और सच्चाई अब पृथ्वी से उसकी देह की परिपूर्णता के द्वारा उग सकती है (इफिसियों १:२३ देखें)। पिता की सिद्ध धार्मिकता स्वर्ग से देखती है और प्रसन्न होती है। हम बाइबल की एक भी पंक्ति अनुग्रह से बाहर कभी नहीं पढ़ सकते, और हम कभी भी अनुग्रह के बारे में सच्चाई से बाहर कुछ नहीं पढ़ सकते। जब यीशु मसीह ने क्रूस पर काम पूरा किया, तो उसने परमेश्वर के शुद्ध अनुग्रह का प्रतिनिधित्व किया और उसने पिता के न्याय को सच्चाई में संतुष्ट भी किया। लहू से खरीदे हुए, नए सिरे से जन्मे मसीहियों को यह समझने की ज़रूरत है कि कलवरी पर अनुग्रह ने विश्वास के माध्यम से उद्धार के सुसमाचार की पहल की - इसलिए क्रूस पर अनुग्रह ने विश्वास से मुलाकात भी की। और जब किसी मनुष्य का विश्वास परमेश्वर के अनुग्रह की पहल का प्रत्युत्तर देता है, तो एक मेल होता है। जिस क्षण कोई व्यक्ति उद्धार ग्रहण करता है, तब यही होता है।

आदम, दण्ड किया गया मनुष्य

दाखरस और मशकों के दृष्टांत में, नया दाखरस अनुग्रह के पवित्र आत्मा (इब्रानियों १०:२९) का प्रतीक है। पुरानी बोतलें, या मशकें, दोषारोपित मनुष्य आदम और उसकी सीमित, प्राकृतिक क्षमता के प्रतीक हैं। नई बोतल नए मनुष्य का प्रतीक है, जो परमेश्वर के उद्देश्य, योजना और प्रावधान के लिए नई क्षमता के साथ नए सिरे से जन्मा है। जब नई दाखरस पुरानी मशकों में जाती है, तो वे टूट जाती हैं, और व्यावहारिक रूप से जो भी वह व्यक्ति ग्रहण करता है, वह खो जाता है। आखिर क्यों? क्योंकि उसकी प्राकृतिक क्षमता परमेश्वर के तत्व की शक्ति को नहीं सम्हाल सकी और नष्ट हो गई; इसलिए, नया दाखरस बाहर निकल गया। "परमेश्वर ने अपने पुत्र को जगत में इसलिये नहीं भेजा, कि जगत पर दंड की आज्ञा दे परन्तु इसलिये कि जगत उसके द्वारा उद्धार पाए। जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उसने परमेश्वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्वास नहीं किया" (यूहन्ना ३:१७-१८)। पंक्ति १८ के पहले भाग के बारे में सोचो: "जो उस पर विश्वास करता है, उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती।" यदि हम उस पर विश्वास करते हैं, तो हम दण्ड की आज्ञा नहीं है। फिर भी, सैकड़ों लोग जो नया जन्म पाए हुए हैं और स्वर्ग जा रहे हैं,ऐसे चलते फिरते हैं जैसे कि दोषी हों। दण्ड की आज्ञा पाया व्यक्ति दोषी होता है। एक दोषारोपित व्यक्ति को बदलना पड़ता है। दोषारोपित आदमी आसानी से भावुक हो जाता है; उसे हमेशा उसकी प्राणशक्ति वाली, भावनात्मक जरूरतें पूरी करवानी होती है, और उसे सन्तुष्ट महसूस करने के लिए हमेशा किसी व्यक्ति या किसी चीज की आवश्यकता होती है। आदम एक दोषारोपित आदमी है। वह कभी भी अभी से बेहतर नहीं हो पाएगा। उसके दु:ख की कोई औषध नहीं, और उसकी चोट गहरी और दुखप्रद है (यिर्मयाह ३०:१२)। वह कभी भी नहीं बदलेगा। वास्तव में परमेश्वर ने कभी उसे बदलने की कोशिश नहीं की, और वह उसे बदलने नहीं वाला है। परमेश्वर आदम के साथ कुछ भी कार्य नहीं करेगा। यदि तुम आदम में रहना चाहते हो, तो तुम उसे ले सकते हो। तुम्हारे पास एक स्वतंत्र इच्छाशक्ति है। परमेश्वर कभी भी तुम्हारे आदम को सन्तुष्ट करने की कोशिश करने के अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करेगा। स्थानिक तौर पर, आदम को मौत की सजा सुनाई गई और क्रूसित कर दिया गया, लेकिन अनुभव के तौर पर वह मरना नहीं चाहता। वह दण्ड सुनाए गए जीवन में जो कुछ भी बचा है, उसे बचाकर रखना चाहता है। उसकी भावनाएं बुरी हालत में हैं। वह यहाँ वहाँ एक दिन के लिए खुश रह सकता है, या एक सप्ताह के लिए सबकुछ ठीक हो सकता है, पर अगले सप्ताह वह फिर से बिगड़ जाता है। वह अपने द्वारा की गई किसी भी चीज की वजह से दोषारोपित नहीं है – बल्कि वह पहले ही दोषारोपित था। दोषारोपित आदमी विवाह में भी अपनी जगह ले लेता है। जब आदम कार्यरत हो जाता है, तब शादी भयानक होती है। पति के अन्दर का आदम पत्नी के अन्दर के आदम से झगड़ता है, और किसी भी रात को, एक आदम दूसरे आदम से "बेहतर" होता है। या तो पति गुस्सा हो जाता है और अपनी प्रतिक्रियाओं में दूर हटता है, या पत्नी दूर हटती है और आवर्ती प्राण-चक्रों से गुजरती है।

अनुग्रह का न्याय

"क्योंकि हम परमेश्वर के सहकर्मी हैं; तुम परमेश्वर की खेती और परमेश्वर की रचना हो। परमेश्वर के उस अनुग्रह के अनुसार, जो मुझे दिया गया, मैं ने बुद्धिमान राजमिस्री की नाईं नेव डाली, और दूसरा उस पर रद्दा रखता है; परन्तु हर एक मनुष्य चौकस रहे, कि वह उस पर कैसा रद्दा रखता है। क्योंकि उस नेव को छोड़ जो पड़ी है, और वह यीशु मसीह है कोई दूसरी नेव नहीं डाल सकता। "और यदि कोई इस नेव पर सोना या चान्दी या बहुमोल पत्थर या काठ या घास या फूस का रद्दा रखता है। तो हर एक का काम प्रगट हो जाएगा; क्योंकि वह दिन उसे बताएगा; इसलिये कि आग के साथ प्रगट होगा: और वह आग हर एक का काम परखेगी कि कैसा है। जिस का काम उस पर बना हुआ स्थिर रहेगा, वह मजदूरी पाएगा। और यदि किसी का काम जल जाएगा, तो हानि उठाएगा; पर वह आप बच जाएगा परन्तु जलते जलते" (१ कुरिन्थियों ३:९-१५)। १ कुरिन्थियों ३ का यह हिस्सा मसीह के न्यायासन (यूनानी में बीमा) की बात करता है। विश्वासियों के लिए यह न्याय, यीशु मसीह का बीमा न्यायासन पूरी तरह से अनुग्रह पर आधारित रहेगा। रोमियों ६:१४ब कहता है, "तुम व्यवस्था के आधीन नहीं वरन अनुग्रह के आधीन हो।" परमेश्वर ने हमारे लिए जो किया है, वह अनुग्रह है। यह हमारी क्षमता पर निर्भर नहीं करता, यद्यपि हमें परमेश्वर की ओर से अनुग्रह की पहल को ग्रहण करना होगा। तब हम उस अनुग्रह का आनंद ले सकते हैं, जो हमारे अन्दर है और उसे हमारे द्वारा काम करने दे सकते हैं। यही कारण है कि १ पतरस ४:१० कहता है, "जिस को जो वरदान मिला है, वह उसे परमेश्वर के नाना प्रकार के अनुग्रह के भले भण्डारियों की नाईं एक दूसरे की सेवा में लगाए।" "नाना प्रकार के" का अर्थ है "कई पक्षीय।" दूसरे शब्दों में, हमें अनुग्रह को हर तरफ, जीवन के हर हिस्से के लिए ग्रहण करना और देना है। यह रिवाइवल कहलाता है।

अनुग्रह के पवित्र मंदिर

"क्या तुम नहीं जानते, कि तुम परमेश्वर का मन्दिर हो, और परमेश्वर का आत्मा तुम में वास करता है? यदि कोई परमेश्वर के मन्दिर को नाश करेगा तो परमेश्वर उसे नाश करेगा; क्योंकि परमेश्वर का मन्दिर पवित्र है, और वह तुम हो। कोई अपने आप को धोखा न दे" (१ कुरिन्थियों ३:१६-१८अ) बीमा न्यायासन पर विश्वासियों के भविष्य के न्याय की रोशनी में, हमें एहसास होना चाहिए कि हमारे शरीर अनुग्रह के पवित्र आत्मा के नए दाखरस के लिए मंदिर हैं। इसलिए, हमें बेहद सावधानी बरतनी चाहिए कि हम अपने मंदिरों के अंदर क्या होने की अनुमति देते हैं। पवित्र आत्मा से परिपूर्ण एक विश्वासी को आईने के सामने यह कहने में सक्षम होना चाहिए, "मेरा शरीर पवित्र आत्मा का मंदिर है। यह मेरा अपना नहीं है। मैं परमेश्वर का हूँ; इसलिए, जो कुछ भी मैं धरती पर करता हूं, वह पवित्र आत्मा और परमेश्वर के वचन के माध्यम से करूंगा। उसने मुझे पवित्र बना दिया है, और मैं नकारात्मक, सांसारिक विचार ग्रहण करने के लिए अपने पात्र का उपयोग नहीं करूँगा।" दूसरी ओर, जो मसीही अनुग्रह के वचन को पुरानी क्षमता में ग्रहण करते हैं, वे नए दाखरस को ईर्ष्या में डाल रहे हैं, असुरक्षा में, एक बुरी कमजोर आत्म-छवि में, और पुराने मनुष्य में डाल रहे हैं। तब क्या होता है? वह सीधा जमीन पर बाहर गिर जाता है। मसीहीयत उन लोगों के लिए काम नहीं करती, जो पुरानी बोतलों में नया दाखरस डालना जारी रखते हैं। जो वे अपनी प्राकृतिक क्षमता में ले रहे हैं, वह उन्हें नष्ट कर देगा। अनुग्रह की प्रत्येक पहल बहुमूल्य है। परमेश्वर का तरीका अनुग्रह है: किसी को तब कृपा देना, जब वह उसके लायक नहीं होता। लेकिन शैतान दांत के बदले दांत और आँख के बदले आँख की माँग करता है। लाखों पापियों की कल्पना करो - अभागे लोग, स्व-धर्मी लोग, और जो लोग इंसानी भलाई में जीते हैं – सभी नरक के रास्ते पर, लेकिन अलग-अलग दिशाओं से जाते हुए। फिर अनंत काल में एक सभा की कल्पना करो, जिसमें पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा ने समय में देखा और पापों में डूबे संसार की भयानक हालत को निहारा। वहाँ यीशु ने कहा, "मैं जाकर उसका हल करूँगा। मैं केवल मुझ पर विश्वास करने वालों के पापों के लिए ही नहीं, वरन सारे जगत के पापों के लिए भी मरूंगा" (१ यूहन्ना २:२ देखें)।

पवित्र बनाए गए : हमेशा के लिए एक बार

यीशु मसीह पिता की इच्छा पूरी करने के लिए पृथ्वी पर आया। "...वह पहिले को उठा देता है, ताकि दूसरे को नियुक्त करे। उसी इच्छा से हम यीशु मसीह की देह के एक ही बार बलिदान चढ़ाए जाने के द्वारा पवित्र किए गए हैं।" (इब्रानियों १०:७, ९-१०) जो मसीही दोषारोपित मनुष्य में चलने से इनकार करता है, वह कहता है, "मेरे पाप एक बार हमेशा के लिए चुका दिए गए हैं। जब मैं पाप करता हूं, तो मैं उसे नाम से कबूल करता हूँ, आगे बढ़कर, और चाहे जो भी हो उसे अपने पीछे छोड़ देता हूँ। इब्रानियों १०:१४ कहता है, "क्योंकि उस ने एक ही चढ़ावे के द्वारा उन्हें जो पवित्र किए जाते हैं, सर्वदा के लिये सिद्ध कर दिया है" ध्यान दो कि हम उस एक बलि, यीशु मसीह पर विश्वास के द्वारा एक बार में “सर्वदा के लिए" पहले ही सिद्ध कर दिए गए हैं। हम उसमें भरपूर हैं। पवित्र आत्मा इन बातों की भी गवाही देता है: "जो वाचा मैं उन दिनों के बाद उनसे बान्धूंगा वह यह है कि मैं अपनी व्यवस्थाओं [उपदेशों] को उनके हृदय पर लिखूंगा और मैं उनके विवेक में डालूंगा। (फिर वह यह कहता है, कि) मैं उनके पापों को, और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा" (इब्रानियों १०:१६-१७)। परमेश्वर हमारे पापों को स्मरण नहीं करता है, और भजन १०३:१० के अनुसार, वह हमारे साथ हमारे पापों और अपराधों के अनुसार कोई व्यवहार नहीं करता है। "...उसने हमारे पापों के अनुसार हमसे व्यवहार नहीं किया, और न हमारे अधर्म के कामों के अनुसार हमको बदला दिया है। जैसे आकाश पृथ्वी के ऊपर ऊंचा है, वैसे ही उसकी करूणा उसके डरवैयों के ऊपर प्रबल है। अरुणाचल अस्ताचल से जितनी दूर है, उसने हमारे अपराधों को हम से उतनी ही दूर कर दिया है। जैसे पिता अपने बालकों पर करुणा करता है, वैसे ही यहोवा अपने डरवैयों पर करुणा करता है। क्योंकि वह हमारी सृष्टि जानता है; और उसको स्मरण रहता है कि मनुष्य मिट्टी ही है" (भजन १०३:११-१४)। क्या तुम सोचते हो कि परमेश्वर यह याद करता है कि तुम कई बार कितने बरबाद थे? बाइबल कहती है कि "उनके पापों को, और उनके अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा" (इब्रानियों ८:१२; १०:१७)।

साहस के साथ परमेश्वर के समीप आना

"और जब इनकी क्षमा हो गई है, तो फिर पाप का बलिदान नहीं रहा सो हे भाइयो, जब कि हमें यीशु के लोहू के द्वारा उस नए और जीवते मार्ग से पवित्र स्थान में प्रवेश करने का हियाव हो गया है..." (इब्रानियों १०:१८-१९)। यह समझकर  कि परमेश्वर अनुग्रह की पहलों के साथ एक प्रेमपूर्ण पिता के रूप में हमारे साथ बर्ताव करता है, हम हमारे महायाजक यीशु मसीह  के सामने साहसी होने में सक्षम होते हैं। लैव्यव्यवस्था १६:१४ में, जब महायाजक प्रायश्चित्त के दिन महापवित्र स्थान में जाता था, वह  बछड़े का लहू लेकर प्रायश्चित्त के ढकने के ऊपर अपनी उंगली से छिड़कता था। फिर वह लहू को प्रायश्चित्त के ढकने के सामने सात बार छिड़कता था। निर्गमन २८:३३-३५ के अनुसार, महायाजक नीचे वाले घेरे में चारों ओर सोने की घंटियाँ लगा एक बागा पहनता था। जब तक महापवित्र स्थान के बाहर खड़े लोग घंटियों के बजने की आवाज सुनते थे, वे जानते थे कि महायाजक परमेश्वर की उपस्थिति में मर नहीं गया था, बल्कि परमेश्वर ने उसकी लहू की बलि को स्वीकार कर लिया था। उस परिदृश्य की इब्रानियों ४:१६ से तुलना करें, जो आज हमारे लिए है: "इसलिये आओ, हम अनुग्रह के सिंहासन के निकट हियाव बान्धकर चलें, कि हम पर करुणा हो, और वह अनुग्रह पाएं, जो आवश्यकता के समय हमारी सहायता करे।" उस महायाजक के विपरीत जो साल में एक बार अन्दर जाता था, हम हर दिन, दिन में चौबीस घन्टे, जैसे हम हैं वैसे, उसके पास आ सकते हैं। क्या तुम बैकस्लाइड कर रहे हो? साहसपूर्वक आओ क्या तुम गिर गए हो? साहसपूर्वक आओ क्या तुम पाप में फिर से चले गए हो? उस पाप को नाम से कबूल करो, उसे छोड़ दो, उसकी ओर अपनी पीठ करो, और अपनी ज़रूरत के समय में मदद के लिए अनुग्रह और करुणा ग्रहण करने के लिए साहसपूर्वक आओ। जो महापवित्र स्थान स्वर्ग में है, उसकी ओर भागो (प्रकाशितवाक्य ११:१९)। वहाँ पर एक करुणा का आसन है जो यीशु मसीह के लहू से सात बार छिड़का गया है। सम्पूर्ण कर्म के माध्यम से, मसीह ने हमारे लिए "परदे, अर्थात अपने शरीर में से होकर, हमारे लिये एक नया और जीवता मार्र्ग अभिषेक किया है" (इब्रानियों १०:२०)।

एक न्यायाधीश, एक बलिदान

और इसलिये कि हमारा ऐसा महान याजक है, जो परमेश्वर के घर का अधिकारी है। तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं। और अपनी आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें; (क्योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है;) और प्रेम, और भले कामों में उकसाने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो। "क्योंकि सच्चाई की पहिचान प्राप्त करने के बाद यदि हम जानबूझ कर पाप करते रहें, तो पापों के लिये फिर कोई बलिदान बाकी नहीं [(क्योंकि इब्रानियों १०:१२ के अनुसार एक ही बलिदान सर्वदा के लिये है)], हां, दण्ड का एक भयानक बाट जोहना और आग का ज्वलन बाकी है, जो विरोधियों को भस्म कर देगा। जबकि मूसा की व्यवस्था का न मानने वाला दो या तीन जनों की गवाही पर, बिना दया के मार डाला जाता है।  तो सोच लो कि वह कितने और भी भारी दण्ड के योग्य ठहरेगा, जिसने परमेश्वर के पुत्र को पांवों से रौंदा, और वाचा के लोहू को जिसके द्वारा वह पवित्र ठहराया गया था, अपवित्र जाना है, और अनुग्रह की आत्मा का अपमान किया? [याद रखें, यह 'नए दाखरस' की बात कर रहा है] "क्योंकि हम उसे जानते हैं, जिसने कहा, कि पलटा लेना मेरा काम है, मैं ही बदला दूंगा: और फिर यह, कि प्रभु अपने लोगों का न्याय करेगा।  जीवते परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयानक बात है" (इब्रानियों १०:२९-३१)। परमेश्वर ने ऐसी बातें क्यों कहीं, यदि सबकुछ अनुग्रह है और अनुग्रह सबकुछ है? क्योंकि, अनुग्रह हमेशा मेरी ओर आता रहता है। लेकिन उसे मुझमें जीना होगा, और उसे मुझमें से दूसरों की ओर बहना होगा। मुझे अनुग्रह की जीवित पत्री बनना होगा (२ कुरिन्थियों ३:२-३)। तब, मैं अनुग्रह के पुरस्कार ग्रहण करूँगा, क्योंकि मैं पूरी तरह से अनुग्रह में था।

ना हियाव न छोड़ो

"सो अपना हियाव न छोड़ो क्योंकि उसका प्रतिफल बड़ा है। क्योंकि तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ। क्योंकि अब बहुत ही थोड़ा समय रह गया है जब कि आने वाला आएगा, और देर न करेगा। और धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा, और यदि वह [अनुग्रह से] पीछे हट जाए तो मेरा मन उससे प्रसन्न न होगा। पर हम हटने वाले नहीं, कि नाश हो जाएं पर विश्वास करने वाले हैं, कि प्राणों को उद्धार और [बचा] लाएं" (इब्रानियों १०:३५-३९)। इब्रानियों अध्याय १० क्या सिखा रहा है? यीशु मसीह ने स्वयं को एक बलिदान के रूप में पेश किया, इसलिए वह मेरे जीवन में किसी भी समस्या से निपट सकता है। और अगर मेरी भावनाओं में समस्या है, तो मैं उसे एक बार सर्वदा के लिए परमेश्वर के सामने समाप्त कर देता हूँ। एक कुख्यात बुरे व्यक्ति के मरने के बाद किसी ने कहा, "चलो, कम से कम वह उन भयानक चीजों को अब और नहीं करेगा।" हममें से किसी में भी आदम एक भयानक व्यक्ति है, और जब वह मर जाता है, तो वह अब कोई भी भयानक चीजें नहीं करता। जो व्यक्ति चोरी करता था, वह चोरी नहीं करेगा। जो व्यक्ति हत्या करता था, वह फिर से हत्या नहीं करेगा। जो व्यक्ति अफवाहें फैलाता था, वह अब अफवाहें नहीं फैलाएगा। जो व्यक्ति बिना सोचे बाड़ कूद जाता था, वह अब ऐसा नहीं करेगा। हम आदम में जो कुछ भी थे, जब हम अंततः उसके लिए मर जाते हैं और मसीह के साथ सह-क्रूसित होने के हमारे स्थान को स्वीकार करते हैं, तब यह गारंटी है कि हम उन चीजों को और अधिक नहीं करेंगे। मैंने कभी भी मृत लोगों को बुरे काम करने के लिए अपनी कब्र से बाहर आते नहीं देखा है। वे  मर गए हैं, और वे दफनाए गए हैं।  जो पाप के एक बार मर गया; वह वापिस नहीं मरता है (रोमियो ६:९-१० देखें)।

 अनुग्रह के सम्पूर्ण कर्म के माध्यम से बचाया जाना

परमेश्वर हमेशा हमें सिखाने के लिए अनुग्रह का एक तरीका देता है। "परन्तु जो धामिर्कता विश्वास से है, वह यों कहती है, कि तू अपने मन में यह न कहना कि स्वर्ग पर कौन चढ़ेगा? (अर्थात मसीह को उतार लाने के लिये!) या गहिराव में कौन उतरेगा? (अर्थात मसीह को मरे हुओं में से जिलाकर ऊपर लाने के लिये!) परन्तु वह क्या कहती है? यह, कि वचन तेरे निकट है, तेरे मुंह में और तेरे मन में है; यह वही विश्वास का वचन है, जो हम प्रचार करते हैं....” – परमेश्वर का वचन तुम्हारे मुंह में और तुम्हारे ह्रदय में अनुग्रह की वजह से है “.....कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा" (रोमियो १०:६-९)। यह पद उद्धार के विषय में नहीं बल्कि बचाए जाने के बारे में बात कर रहा है। जब तुम यह एहसास करते हो कि मसीह दूर नहीं है, तब तुम आदम से बच जाओगे। इस वजह से, परमेश्वर की धामिर्कता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि धर्मी जन विश्वास से जीवित रहेगा (रोमियों १:१७)। याद रखो कि अनुग्रह ने विश्वास से गाँठ जोड़ी है, और उस मेल का तत्व धार्मिकता है। उस मिलाप से जन्मा, परमेश्वर का संतान कबूल करता है कि वह कौन है (अनुग्रह का एक उत्पाद), मसीह ने जो किया है (अपनी धार्मिकता का देना), और वह विश्वास से विश्वास और अनुग्रह से अनुग्रह तक बढ़ता है।

अनुग्रह की पहल, न कि भुगतान

जो मसीही अनुग्रह को समझते हैं, वे एक दूसरे से दोबारा भुगतान, या वहन करने की माँग नहीं करते (जब तक कि कोई न्यायिक अपराध शामिल न हो), क्योंकि वे परमेश्वर के बहु-पक्षीय अनुग्रह के अच्छे भण्डारी हैं। "तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था, कि आंख के बदले आंख, और दांत के बदले दांत। परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूं, कि बुरे का सामना न करना; परन्तु जो कोई तेरे दाहिने गाल पर थप्पड़ मारे, उसकी ओर दूसरा भी फेर दे। और यदि कोई तुझ पर नालिश करके तेरा कुरता लेना चाहे, तो उसे दोहर भी ले लेने दे" (मत्ती ५:३८-४०)। "तुम सुन चुके हो, कि कहा गया था; कि अपने पड़ोसी से प्रेम रखना, और अपने बैरी से बैर। परन्तु मैं तुमसे यह कहता हूं, कि अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सताने वालों के लिये प्रार्थना करो" (मत्ती ५:४३-४४)। यह वह है, जिसे हम देह में कभी नहीं कर सकते। यीशु आगे कहता है, "क्योंकि यदि तुम अपने प्रेम रखने वालों ही से प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिये क्या फल होगा? क्या महसूल लेने वाले भी ऐसा ही नहीं करते?" (मत्ती ५:४६)। अगर हम उनसे प्रेम करते हैं, जो हमें प्रेम करते हैं, तो याद रखें: चुंगी लेने वाले भी ऐसा ही करते हैं। तब हम उनसे बेहतर नहीं हैं। मसीहियों ने मत्ती ५:४८ को गलत समझा है, "तुम भी सिद्ध हो, जैसे तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में है वह परिपूर्ण है।" इसका अर्थ यह नहीं है कि हम पृथ्वी पर सिद्ध हैं, लेकिन इसका मतलब यह है कि हमें दूसरों से परमेश्वर के परिपूर्ण प्रेम से प्रेम करना है, जो अनुग्रह दर्शाता है और करुणा के द्वारा प्रकट होता है।

अनुग्रह द्वारा बदली गई नष्ट क्षमताएँ

नए दाखरस को किसी समलैंगिक के शरीर की पुरानी मशक में डालने से परमेश्वर का क्या फायदा? नई दाखरस तुरन्त बाहर चली जाती है। नए दाखरस को नशेड़ी, शराबी या खुद में धर्मी, धार्मिक व्यक्ति में डालने का कोई फायदा नहीं। नए दाखरस को भावनाओं में ऊपर नीचे जाने वाले व्यक्ति में डालने से वह वह तुरन्त बाहर निकल जाती है। लेकिन मत्ती ९:१७ के अनुसार, जब नया दाखरस नई मशकों में जाता है, तो दोनों ही बचाए जाते हैं। लूका ५:३९ कहता है कि यदि तुम पुरानी दाखरस पीते हो, तो नई की इच्छा नहीं करोगे। दूसरे शब्दों में, यदि तुम नशे की ओर वापस जाओगे, तो पवित्र आत्मा के नए दाखरस को नहीं चाहोगे। यदि तुम समलैंगिकता में वापस जाते हो (और उस तरह से जीना पसंद करते हो), तो नये दाखरस को नहीं चाहोगे। लेकिन यदि नई दाखरस नई मशकों - अनुग्रह के पवित्र आत्मा के माध्यम से नई क्षमता में जाती है, तब तुम पुराने के साथ किसी भी पहचान से मुक्त हो जाते हो। यदि तुम मुस्कुरा नहीं पाते और हँस नहीं सकते, तो पवित्र आत्मा का नया दाखरस अपने अंदर ले आओ, और तब तुम इतने खुश रहोगे कि लोग तुम्हें पिन्तकुस्त के दिन के चेलों की तरह सोचेंगे कि सुबह नौ बजे तुम नशे में हो (प्रेरितों के काम २:१३ देखें)!

आनन्द : नए दाखरस का प्रभाव

परमेश्वर ने तुम्हें दुखी रहने के लिए या अपने चेहरे पर तेवर के साथ घूमने के लिए नहीं बनाया है। तुम परमेश्वर के आनन्द को अपनी शक्ति होने देने के लिए बनाए गए थे (नहेमायाह ८:१०)। जब यीशु मसीह तुम्हें अपना आनन्द देता है, तब तुम्हारा आनन्द पूरा हो जाता है (यूहन्ना १५:११)। आनन्द हंसने, खुश रहने और स्वतन्त्र रहने की ताकत होता है। इस तरह के आनन्द के साथ, जब बुरे समय आते हैं, तो तुम गर्मी को महसूस भी नहीं करोगे (यिर्मयाह १७:८ देखें)। जब लोग तुम्हारे पास इस बारे में अत्यधिक चिंतित होकर आते हैं, कि तुम किस हालात से गुजर रहे हो, (क्योंकि तुम "गर्मी महसूस कर रहे हो"), तब तुम उनसे कह सकते हो, "कौन सी गर्मी?" लेकिन चूँकि तुम्हारे साथ जो हो रहा है, वे उसके बारे में बुरा महसूस करते हैं, वे तुम्हें उसके बारे में बुरा महसूस कराने का भी प्रयास कर सकते हैं। सच में, अनुग्रह से भरा हुआ मसीही उस गर्मी का आभास नहीं करता, जब वो आती है। झुलसाने वाली परीक्षा में, उनके पत्ते हरे होते हैं। लेकिन जो लोग गर्मी देखते हैं, वे कभी भी जब अच्छाई आती है, तो उसे नहीं देख पाते हैं। उनके पत्ते सूख जाते हैं, और वे अपने प्रावधान से पीछे हटते हैं। हर नया जन्म पाया मसीही एक भरपूरता के जीवन का आनंद ले सकता है। हम पवित्रता में विकसित होने के लिए स्वतंत्र हैं, और जब हम विश्वास से विश्वास तक जाते हैं, अनुग्रह की धार्मिकता प्रगट होती है। यदि हम पाप करते हैं, तो हम उसे नाम देते हैं, उसे छोड़ देते हैं, और परमेश्वर के साथ आगे बढ़ते हैं। हालांकि, यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हम अपनी देह के लिए पाप में बने रहने का कोई प्रावधान नहीं बनाते, ताकि अनुग्रह बढ़े – कदापि नहीं। बीमा न्यायासन इसी के बारे में है। उसमें यह पता चलेगा कि हम जो कुछ भी जानते थे और परमेश्वर के अनुग्रह से ग्रहण किया था , उसके साथ हमने क्या किया । हमारे पापों का उल्लेख नहीं किया जाएगा, परन्तु वह अनुग्रह पर सुने हर संदेश को हमें दिखाएगा- जो परमेश्वर की स्मरण की पुस्तक में लिखा गया है (मलाकी ३:१६ देखें)।

स्थानीय मण्डली में अनुग्रह का अधिकार

सभोपदेशक १२:११ के अनुसार, प्रत्येक मसीही का एक ऐसा चरवाहा, या पासवान - शिक्षक होना होता है, जो श्रेणीगत उपदेश सिखाता है, पवित्रशास्त्र की व्याख्या करता है, और ऐतिहासिक संदर्भ को जानता है। पासवान को प्राणों को जीतने, प्रेम करने, निवेश करने और दुनिया भर में सेवकाई का एक दर्शन रखने की आज्ञा दी गईं है। पासवान-शिक्षक की कवरिंग के तहत, विश्वासी निर्मल-आँख (मत्ती ६:२२) और एक ह्रदय (इफिसियों ६:५) के साथ सेवकाई में बढ़ सकता है। वह स्वर्ग में बीमा न्यायासन पर एक पूर्ण पुरस्कार ग्रहण करने के लिए आगे बढ़ सकता है। "अपने विषय में चौकस रहो; कि जो परिश्रम हम ने किया है, उसको तुम न बिगाड़ो: वरन उसका पूरा प्रतिफल पाओ।" (२ यूहन्ना ८)। पूरा प्रतिफल ग्रहण करने का मतलब है एक स्थानीय कलीसिया में एक पासवान-शिक्षक के तहत परमेश्वर के साथ पूरी तरह से आगे बढ़ना। इसका अर्थ है कि यद्यपि कोई व्यक्ति चाहे कभी विदेशी मिशन में न जाए, तब भी वह उन लोगों के पुरस्कार को ग्रहण करता है जो जाते हैं, क्योंकि वह कलीसिया के विश्वव्यापी दर्शन के साथ एकता में है और अपनी बुलाहट की ओर वफादार बना रहता है। निश्चित रूप से, मसीही विश्वव्यापी मसीह की देह में से उन कई ईश्वरीय अंशों से ग्रहण कर सकते हैं, जो सच्चे उपदेश के साथ रहते हैं। लेकिन अगर यह वही विश्वासी एक विश्वव्यापी सेवकाई में अपनी बुलाहट को छोड़कर किसी छोटी सी कलीसिया में जाकर आराम करता है, जो महीने में एक बार मिशन के लिए पैसा देता है (लेकिन कभी भी किसी को भेजता नहीं), तो वह उस पुरस्कार को खो देगा, जो वह विश्वव्यापी दर्शन के साथ एकता के माध्यम से ग्रहण कर सकता था। एक आधे पके, भावुक मसीही न बनो, जो किसी गुनगुने वातावरण में साधारण सुसमाचार सुनता है। कुछ दृढ़ विश्वास ग्रहण करो! परमेश्वर के साथ सही सम्बंधित हो जाओ, और अपने फैसलों के साथ आगे बढ़ो!

आदम से निपटने की कोशिश करना बंद करो

मनुष्य को परमेश्वर के प्रत्येक वचन से जीना चाहिए (मत्ती ४:४), क्योंकि हम परमेश्वर के प्रत्येक वचन के अनुसार न्याय किए जाएँगे (यूहन्ना १२:४७-४८); परन्तु परमेश्वर ने जो करने के लिए हमें बुलाया है, उसे पूरा करने के लिए अनुग्रह प्रदान किया है (इफिसियों ३:७-८ देखें)। प्रेरित पौलुस ने लिखा कि हम परमेश्वर के साथ सहकर्मी हैं, और उसने आग्रह किया कि हम "परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ में न ग्रहण करें" (२ कुरिन्थियों ६:१)। उसने यशायाह ४९:८ से उद्धृत किया: "(क्योंकि वह तो कहता है, कि अपनी प्रसन्नता के समय मैंने तेरी सुन ली, और उद्धार के दिन मैंने तेरी सहायता की: देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी उद्धार का दिन है।) हम किसी बात में ठोकर खाने का कोई भी अवसर नहीं देते, कि हमारी सेवा पर कोई दोष न आए" (२ कुरिन्थियों ६:२-३)। संदेश यह है: परमेश्वर ने अनुग्रह की एक मेज प्रदान की है। इसे व्यर्थ में ग्रहण न करो। आदम के स्वभाव से छुड़ाए जाने का स्वीकार्य समय अब है। आदम से निपटने की कोशिश करना बंद करो। कुछ लोग केवल वह कबूल करते हैं, जो वे आदम में हैं: "मैं न्यूरोटिक हूँ। मैं साइकोटिक हूँ। मैं हताश हूँ।" लेकिन पुराना पापी स्वभाव हमेशा न्यूरोटिक, साइकोटिक और स्किजोफ्रेनिक रहा है। इसलिए हम जो हमेशा रहे हैं उससे निपटने की कोशिश करने की बजाय, क्यों न उस व्यक्ति को क्रूस पर चढ़ाएँ जिसने हमें ऐसा बनाया है? "क्योंकि हम जानते हैं कि हमारा पुराना मनुष्यत्व उस [मसीह] के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया, ताकि पाप का शरीर व्यर्थ हो जाए, ताकि हम आगे को पाप के दासत्व में न रहें" (रोमियों ६:६)। "ऐसे ही तुम भी अपने आप को पाप के लिये तो मरा, परन्तु परमेश्वर के लिये मसीह यीशु में जीवित समझो" (रोमियों ६:११)। हमेशा फल से निपटने की बजाय क्यों न जड़ (आदम) का निपटारा करें? मैंने कभी भी किसी मरे हुए आदमी को शराब में धुत्त, ड्रग्स लेते, बहस करते, उदास होते, या नकारात्मकता से बोलते नहीं देखा है। मरा हुआ आदमी आत्महत्या करने की धमकी नहीं देता। हमारी समस्याओं का जवाब मसीह में क्रूसित और जिलाया होना होता है। मुझे ऐसा जीवन क्यों जीना चाहिए जो दोषारोपित है, जब मेरे पास मसीह में एक नया जीवन है जिससे पुराना मनुष्य कभी तुलना नहीं कर सकता, भले ही आदम मुझ में रहता है? हमारे पास नया मनुष्य है। हम नए मनुष्य में चलना (रोमियों ६:४) चुनते हैं। जब हम आत्मा की नई रीति पर चलना चुनते हैं, तब हममें मसीह का स्वभाव होता है (रोमियों ७:६)। हम अपने मन के आत्मिक स्वभाव में नये बनाए जा रहे हैं (इफिसियों ४:२३)। सब कुछ नया बन गया है, और इसमें कुछ भी पुराना नहीं है। यदि हम तीन या चार बार गिर जाएँ, तो क्या? तब हर बार हम उसे नाम से अंगीकार करते हैं, उसे छोड़ते हैं, और इतनी जल्दी आगे बढ़ते हैं कि हम शायद ही ध्यान भी दें कि हमने गलती की है। एकमात्र कारण कि हम अपने पाप को नाम से कबूल करते हैं, वह यह है कि हम उसमें जीना जारी न रखें। मसीह में जीवन कठिन नहीं है; बल्कि नामुमकिन है! लेकिन यीशु मसीह ने काम पूरा कर दिया है। उसने अपना लहू वेदी पर सात बार छिड़का, जो सिद्धता के लिए परमेश्वर की गिनती है। यह पूरा हो चुका है। क्या तुम्हें नया मनुष्य पसंद है? क्या उसमें कुछ भी पुराना है? क्या उसे कोई समस्या है? बिलकुल नही। नया मनुष्य शक्ति, प्रेम, आनन्द और विश्वास से भरा हुआ है। उसमें कोई दोषारोपण नहीं है। वह कभी दूसरों पर न्याय या इल्जाम नहीं लगाता। नया मनुष्य परमेश्वर से इतना संतुष्ट है कि जब तुम ऐसे मसीही को देखते हो जो नए मनुष्य में चलता है, तो उसके समान बनना चाहते हो, क्योंकि वह यीशु मसीह के जीवन की नवीनता प्रकट करता है।

परमेश्वर का अनुग्रह व्यर्थ में ग्रहण न करो

कई शादियाँ ऊपर से अच्छी लगती हैं, लेकिन नीचता, और बातचीत में तत्व की कमी से भरी होती हैं। अक्सर, जो साधारण झगड़ा लगता है, वास्तव में सालों की छिपाई गई कृतघ्नता और परिचितता होती है, जो पति या पत्नी के प्रति अन्दरूनी नफरत ​​का कारण बन सकता है। हालांकि वे समस्या को साफ़ तौर पर नहीं समझ पाते, पर उन्हें पता होता है कि कुछ गहरी गड़बड़ है। आमतौर पर, यह परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ में ग्रहण करने की वजह से हो सकता है। इब्रानियों १२:१५ हमें समझाता है "ध्यान से देखते रहो, ऐसा न हो, कि कोई परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित रह जाए, या कोई कड़वी जड़ फूट कर कष्ट दे, और उसके द्वारा बहुत से लोग अशुद्ध हो जाएं।" अगर हम परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ में लेते हैं, तो हम सीधे दोषारोपित मनुष्य में सोचने, बोलने और जीने लगेंगे। लेकिन ऐसा होने की कोई ज़रूरत नहीं है! हम चौबीस घंटे परमेश्वर के अनुग्रह के सिंहासन के नजदीक आकर बिना दोषारोपण के अनुग्रह और सच्चाई के नए दाखरस को पी सकते हैं। एक बार जब हमने अनुग्रह और सच्चाई को आंतरिक कर लिया, तो हम परमेश्वर की योजना और उद्देश्य में, विश्वास से विश्वास तक परमेश्वर की धार्मिकता के तत्व को प्रकट करते, और प्रेम के माध्यम से अनुग्रह के अधिकार को व्यक्त करते हुए चल सकते हैं।

निष्कर्ष

हमारे ज़माने की सबसे अजीब त्रासदी है - मसीहियों को अनुग्रह से गिरते देखना (गलातियों ५:४)। परन्तु जब एक विश्वासी अनुग्रह से गिरता है, तो वह उसमें और गहरा जाता है। स्थानिक तौर पर वह अनुग्रह पर खड़ा हुआ है (रोमियों ५:२)। लेकिन एक गिरता हुआ व्यक्ति अपने अनुभव में इसे इतना नहीं समझता, कि उसे स्वीकार कर सके; इसलिए, वह प्रभु में मसीह के अनुग्रह और ज्ञान में नहीं बढ़ता। सदा के लिए, हर लहू खरीदा गया, नया जन्म पाया विश्वासी हमेशा अनुग्रह के तहत रहेगा। परमेश्वर के हाथ से हमें कोई भी नहीं छीन सकता। फिर भी उन मसीहियों को देखकर कितना दुःख होता है, जो अनुग्रह के अधिकार में चलने से इनकार करते हैं, जो विजयी जीवन का एकमात्र तरीका होता है। परमेश्वर तुम पर अनुग्रह करने का इन्तजार करता है (यशायाह ३०:१८)। वह तुम्हारे और मेरे लिए हर सुबह नए मनुष्य को पहनने और पूरे दिन नए मनुष्य को पहने रखने का इन्तजार कर रहा है। अगर हम नए मनुष्य को पहनते हैं, तो हमारे शरीर, जो पवित्र आत्मा के मंदिर हैं, परमेश्वर के स्वभाव की अनुग्रह वाली प्रक्रियाओं को प्रकट करेंगे। शैतान के क्षेत्र में परमेश्वर के मेहमानों के रूप में, हम अनुग्रह के गुणों: क्षमा, धैर्य, आनन्द, शुद्धता, प्रोत्साहन, और चरित्र को प्रकट करने के लिए धरती पर हैं। आओ समय का सदुपयोग करते हुए आगे बढ़ते हैं। हर हालात के लिए परमेश्वर के अनुग्रह के अधिकार को प्रकट करने के लिए उसकी बहुतायता ग्रहण करो।
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