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एकाग्रता : आत्मिक विकास की कुन्जी
Translated from the booklet by Pastor Carl H. Stevens, of www.ggwo.org titled, 'Concentration : Key to Spiritual Growth.' “तेरी आंखें सामने ही की ओर लगी रहें, और तेरी पलकें आगे की ओर खुली रहें। अपने पांव धरने के लिये मार्ग को समथल कर, और तेरे सब मार्ग ठीक रहें। न तो दाहिनी ओर मुड़ना, और न बाईं ओर; अपने पांव को बुराई के मार्ग पर चलने से हटा ले” (नीतिवचन ४:२५-२७)। वेबस्टर न्यू वर्ल्ड शब्दकोश एकाग्रता को इस तरह से परिभाषित करता है; "एक आम केंद्र की ओर लाना; ध्यान (अपने विचारों, प्रयासों, आदि) को केंद्रित करना; किसी चीज की शक्ति या घनत्व को बढ़ाना; ध्यान लगाना।" किराने की दुकान में कई उत्पादों में “गाढ़ा” का लेबल लगा होता है। उसका क्या मतलब होता है? उसका मतलब है कि सारे सक्रिय तत्व को समेकित या गाढ़ा करके शक्तिशाली रूप में बना दिया गया है। एकाग्रता मन का ध्यान लगाना है। हर विश्वासी के लिए परमेश्वर की योजना यह है, कि वह चाहता है कि वह परमेश्वर के वचन पर ध्यान दे, अपने प्राण में एक क्षमता बनाए, और मजबूत बनाया जाए। आने वाले पन्ने एकाग्रता की ओर बाइबल के दृष्टिकोण और परमेश्वर का वचन सुनने और ग्रहण करने में इसके महत्व को समझाते हैं।

शैतान का विमनस्कता का कार्यक्रम

“परन्तु आत्मा स्पष्टता से कहता है, कि आने वाले समयों में कितने लोग भरमाने वाली आत्माओं, और दुष्टात्माओं की शिक्षाओं पर मन लगाकर विश्वास से बहक जाएंगे” (१ तीमुथियुस ४:१)। शैतान की हर कार्यवाई परमेश्वर के काम और उसके सुसमाचार के प्रचार-प्रसार में बाधा उत्पन्न करने में जुटी रहती है। इसलिए, अंधकार के राज्य में ऐसी खास शैतानी आत्माएँ हैं, जो भरमाने के लिए नियुक्त की गई हैं। इस पंक्ति में यूनानी भाषा में, "भरमाने वाले" पियानोस (pianos) है – अर्थात, "भटकाना, घुमाना, भ्रम पैदा करना, त्रुटि की प्रवृत्ति लाना।" इन आत्माओं का सब काम बहकाने की ओर जाता है। उनका उद्देश्य मसीहियों "विश्वास से बहकाने के लिए” विचलित करना होता है। "'विश्वास' शब्द  के पहले निश्चित शब्द-वर्ग यह बताता है, कि यह विश्वास करने की क्रिया के बारे में नहीं बोल रहा है, बल्कि विश्वास को सिद्धांतों के उस समूह के रूप में बता रहा है, जो हम मसीहियों द्वारा माने जाने वाली चीजों का आधार ​​है" (केनेथ वीस्ट)। ऐफिस्टेमी (Aphistemi), "बहक जाएँगे" के लिए शब्द, "दूर खड़े होने या दूर गिर जाने" की बात करता है। सी.एस. लुईस की सबसे विख्यात किताब ‘स्क्र्यूटेप लेटर्स’ एक वरिष्ठ दुष्टात्मा स्क्र्यूटेप द्वारा जूनियर दुष्टात्मा जो प्रलोभन की कला सीख रहा है, उसे लिखे गए काल्पनिक पत्रों का संग्रह है। इस काल्पनिक पत्राचार के दौरान पूरे समय, स्क्र्यूटेप यह  दोहराता है कि प्रलोभन की नींव विमनस्कता है। इससे पहले कि शैतान विश्वासी को विचलित कर सके, उसे पहले उसका ध्यान हासिल करना पड़ता है। परमेश्वर के लोगों को अक्सर अनमनेपन  के खतरनाक प्रभाव के बारे में चेतावनी दी गई है। व्यवस्थाविवरण की पुस्तक के अन्त में, मूसा ने इस्राएल को आगाह किया: “परन्तु यदि तेरा मन भटक जाए, और तू न सुने, और भटक कर पराए देवताओं को दण्डवत करे और उनकी उपासना करने लगे” (व्यवस्थाविवरण ३०:१७)। सुलैमान ने लिखा, "हे मेरे पुत्र, यदि पापी लोग तुझे फुसलाएँ, तो उनकी बात न मानना" (नीतिवचन १:१०)। पौलुस ने कुरिन्थियों को कहा  कि ‘उसके निर्देश और प्रोत्साहन के लिए उनके लाभ के लिए थे’..... “जिससे तुम एक चित्त होकर प्रभु की सेवा में लगे रहो" (१ कुरिन्थियों ७:३५)।

शैतान का कभी न खत्म होने वाला हमला

सचेत हो, और जागते रहो, क्योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जने वाले सिंह की नाईं इस खोज में रहता है, कि किसको फाड़ खाए” (१ पतरस ५:८)।   ऊपर की पंक्ति में यूनानी भाषा के वर्तमान काल की क्रियाओं पर ध्यान दें: "गर्जने," "रहता है," और "खोज में।" शैतान कभी भी कलीसिया और मसीह के काम पर अपने हमले में आराम नहीं करता है। वह लगातार दहाड़ता है, घूमता है और उन्हें खोजता है "जिनको फाड़ खाए।" दुष्टात्मा बहुत सावधान पर्यवेक्षक होते हैं। वे विश्वासियों के चेहरे और मौखिक अभिव्यक्ति का अध्ययन करते हैं। यशायाह ३:९अ कहता है, "उनका चेहरा भी उनके विरुद्ध साक्षी देता है।"  जब वे उनकी खोज करते हैं जो आसानी से मोहित किए जा सकते हैं, तब वे हर नकारात्मक इकरार या बयान को दर्ज करते हैं। दानिय्येल ७:२५ के अनुसार, 'शैतान की "परमप्रधान के पवित्र लोगों को पीस डालने” की एक योजना है।‘ "पीस डालने" के लिए इब्रानी शब्द, बेला (bela) "मानसिक खपत या बर्बादी" का जिक्र करता है। नरक की रणनीति इस तरह से रची गई है कि विश्वासी धीरे-धीरे जीवन के विवरणों और इस सन्सार की चिंताओं में अत्यधिक व्यस्तता में बहकाया जाए। परिणामस्वरूप वह ऊब और थक जाएगा, और कुछ मामलों में अपने जीवन के लिए परमेश्वर की बुलाहट की ओर उलझन में आ जाएगा। एकाग्रता के माध्यम से विश्वासी शैतान और उसके राज्य का विरोध करता है। याकूब ४:७ कहता है, "इसलिये परमेश्वर के अधीन हो जाओ; और शैतान का सामना करो, तो वह तुम्हारे पास से भाग निकलेगा।" इस पंक्ति में तीन क्रियाओं को देखो - "अधीन हो जाओ," "सामना करो," और "भाग निकलेगा।" "अधीन हो जाओ" के लिए मूल शब्द हूपोटासो (hupotasso), एक सैन्य शब्द होता था, जिसका अर्थ "पद के अनुसार और तहत व्यवस्थित होना।" परमेश्वर के वचन पर एकाग्र होना चुनने के द्वारा विश्वासी परमेश्वर के अधीन होने का एक निर्णय करता है। "सामना करो" एंथेस्टेमाई (anthestimi) है, जिसका अर्थ है “खिलाफ खड़े होना"। "भाग निकलेगा' फ्यूगो (pheugo) है, अर्थात "दूर भाग जाना, गायब हो जाना।" एकाग्रता के माध्यम से विश्वासी शैतान और उसके प्रलोभनों के खिलाफ खड़े हो सकते हैं, जैसे यीशु ने जंगल में किया (मत्ती ४, लूका ४)। और शैतान तब पीछे हटेगा, क्योंकि वह उनकी उपस्थिति में होना बर्दाश्त नहीं कर सकता, जो एकाग्रता में परमेश्वर के प्रत्येक वचन से जीते हैं।

सभी हालातों में जीवन का चयन

मैं आज आकाश और पृथ्वी दोनों को तुम्हारे सामने इस बात की साक्षी बनाता हूं, कि मैंने जीवन और मरण, आशीष और शाप को तुम्हारे आगे रखा है; इसलिये तू जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें” (व्यवस्थाविवरण ३०:१९)। व्यवस्थाविवरण की पुस्तक इस्राएल देश के लिए मूसा की आख़िरी दर्ज की गई टिप्पणियाँ हैं। इस पुराने नियम की पुस्तक के अंत में, वह नीबो पर्वत पर चढ़ता है और वहां मोआब के देश में मर जाता है (व्यवस्थाविवरण ३४:७)। अपने आख़िरी प्रवचनों के दौरान, मूसा ने लगातार "चौकसी से पूरी करने का चित्त लगाकर अपने परमेश्वर यहोवा की सुनने" (व्यवस्थाविवरण २८:१) के लिए इस्राएल का आह्वान किया। "चौकसी से सुनो" इब्रानी में शमा (shama) है, जिसका अर्थ है "ध्यान लगाकर चौकसी से सुनना।" इब्रानी में यह क्रिया क्रियार्थक काल में है, जो बने रहने वाली कार्यवाई का प्रतीक है। मूसा ने इस्राएल को एक बने रहने वाला ध्यान लगाने का निर्देश दिया, जो परमेश्वर के वचन पर एकाग्रता की आदत होती है। जैसा कि व्यवस्थाविवरण २८:३-१४ में देखा जाता है, यह आज्ञा बिना वादों नहीं थी। पद ४-६ में, परमेश्वर इस्राएल राष्ट्र और उसके झुण्ड के आकार को बड़ा करने का वादा करता है। पंक्ति ७ सैन्य जीत का वादा करती है। और पद ८-१३ में, परमेश्वर दुनिया के बाकी हिस्सों से बढ़कर अपने राष्ट्र की पदोन्नति करने की प्रतिज्ञा करता है: “और पृथ्वी के देश देश के सब लोग यह देखकर, कि तू यहोवा का कहलाता है, तुझ से डर जाएंगे” (व्यवस्थाविवरण २८:१०)। तथापि, ये आशिष, इस्राएल के द्वारा वचन को सुनने और मानने में विश्वासयोग्य होने पर निर्भर किए गए थे। १५ से ६८ पंक्ति में, मूसा उन शापों की घोषणा करता है, जो उस राष्ट्र पर आने वाले थे, यदि वे परमेश्वर को सुनने में विफल होंगे। आख़िरी न्याय कैद और बन्धुआई में वापसी था: और यहोवा तुझको नावों पर चढ़ाकर मिस्र में उस मार्ग से लौटा देगा, जिसके विषय में मैंने तुझसे कहा था, कि वह फिर तेरे देखने में न आएगा; और वहाँ तुम अपने शत्रुओं के हाथ दास-दासी होने के लिये बिकाऊ तो रहोगे, परन्तु तुम्हारा कोई ग्राहक न होगा” (व्यवस्थाविवरण २८:६८)। अफसोस की बात है, कि जैसा पुराना नियम बताता है कि इस्राएल ने इन बयानों को भविष्यवाणी साबित कर दिया। मूसा के शब्दों की ओर उनकी अवज्ञा का चरम २ इतिहास ३६ में दर्ज है, जहां यहूदी प्रजा बाबुल में दास के रूप में सेवा करने के लिए ले जाई गई। इस्राएल का परमेश्वर से इतना पीछे हट जाने कारण क्या था? लोगों ने वचन की ओर एकाग्रता और आज्ञाकारिता को महत्वपूर्ण नहीं समझा। मूसा ने व्यवस्थाविवरण ३०:१९ में यह बहुत स्पष्ट कर दिया था, कि इस्राएल के सामने चुनाव "जीवन और मृत्यु, आशिष और शाप" के बीच था। उस समय कोई अपरिभाषित हिस्से नहीं थे, और आज भी नहीं हैं। मसीही का मसीह के साथ अपनी चाल के बारे में प्रत्येक निर्णय जीवन या मौत, वरदान या अभिशाप में से एक का होता है; वह या तो उसके वचन के अनुसार होता है या नहीं होता है। हर चुनाव उस व्यक्ति को या तो मसीह के अनुरूप करने (रोमियों ८:२९) या फिर पुराने पापी स्वभाव जैसा बनाने की ओर लेकर जाता है। लूका १०:३८-४२ में, मरियम और मार्था दोनों ने एक निर्णय लिया - एक ने यीशु के चरणों में बैठते का और उसके वचन पर ध्यान लगाने का, दूसरी ने "बहुत बातों की चिन्ता और घबराने का।" मरियम ने उचित चुनाव किया। "घबराना" पेरिस्पो (perispo) है, जिसका अर्थ है "विमनस्कता से घिरा होना।" मार्था तो विवरणों में इतनी उलझी हुई थी कि उसने यीशु से मरियम को उसकी मदद करने के लिए कहने को बोला। "प्रभु ने उसे उत्तर दिया, मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा” (लूका १०:४१-४२)। मरियम ने मसीह के वचन पर ध्यान केंद्रित किया और परमेश्वर के लिए जीने की उसकी क्षमता में विस्तार का अनुभव किया। उसने परमेश्वर के वचन के जीवन को चुना।

एकाग्रता और स्थानीय कलीसिया

आत्मिक युद्ध में शैतान की रणनीति स्थानीय कलीसिया में वचन के प्रचार को बाधित करने के लिए तैयार की गई कई चालें शामिल होती हैं। वह सत्य की शक्ति को पहचानता है; वह जानता है कि प्रचार की मूर्खता से कई उद्धार पाते हैं (१ कुरिन्थियों १:२१)। शैतान के हमले का मुकाबला करने के लिए, मण्डली की सभाएँ सभ्यता और क्रमानुसार आयोजित की जानी चाहिए। अनुशासन और आशा का माहौल प्रबल होना चाहिए। मण्डलियाँ अनुशासित, शैक्षणिक सुनने की कला में उत्तम बननी चाहिए। जब तक बिल्कुल जरूरी न हो, लोगों को हिलना डुलना, देर से आना और जल्दी बाहर नहीं जाना चाहिए। ये बातें सभा की एकाग्रता में खलल और लोगों के संदेश ग्रहण करने में बाधा लाती हैं। स्थानीय मण्डली की हर सदस्य की एकाग्रता के लिए उपयुक्त माहौल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। ईमानदार, कुशल कार्यकर्ता जो अपना काम ठीक से करते हैं, पासवान को प्रभावी ढंग से अपना अध्ययन, तैयारी, अगुआई और प्रचार करने का काम करने में मदद करते हैं। सेक्रेटरी पत्राचार भेजता है और समय सारिणी तय  करता है; लेखापाल पैसे का हिसाब करता है; और अशर सभा में व्यवस्था को बनाए रखता है। यदि यह विवरण ठीक से नहीं संभाले जाते हैं, तो आमतौर पर उसका परिणाम गड़बड़ी की हालात होता है।

आसन का अनुशासन

कलीसिया की सभाओं में, कई बार जब कोई कमरे में प्रवेश करता है, तब कई लोग यह देखने के लिए मुड़ते हैं, कि कौन है। वे लोग दाहिने या बाएँ देखने के द्वारा एकाग्रता खो देते हैं। इतना ही नहीं, बल्कि पूरी मण्डली इससे प्रभावित होती है। कई लोग यह नहीं समझते कि नीतिवचन २१:१६ में एक भटकते मन का "मरे हुओं के बीच ठिकाना" होता है। इस पंक्ति में "मरे हुओं" अनुवादित इब्रानी शब्द राफाह (raphah) का एक अर्थ है, "मन की वीरानी या ढिलाई।" जो विश्वासी खुद को परमेश्वर के वचन की सच्चाई पर एकाग्र होने से भटकने देते हैं, वे परमेश्वर के राज्य के लिए प्रभावी नहीं हो सकते। क्यों? क्योंकि वे उपदेश को सुनने और लागू करने की अपनी क्षमता को कम कर रहे हैं। जब विश्वासी परमेश्वर के वचन को ध्यान लगाकर सुनने का आशय करता है, तो उसका ह्रदय उत्तेजित होता है, उसकी याददाश्त ग्रहणशील हो जाती है, और उसका निर्देश-तंत्र वचन के माध्यम से मजबूत बनता है। अच्छा आसन एकाग्रता के लिए आवश्यक है। यह सिर्फ व्यवस्थित ही नहीं दिखता, बल्कि इससे शरीर की संचार और श्वसन प्रणाली भी चरम क्षमता पर कार्य करने के लिए सक्षम बनती है। यह दोनों प्रणालियाँ मन की ध्यान केंद्रित करने की क्षमता के लिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि मस्तिष्क रक्त प्रवाह के माध्यम से ऑक्सीजन प्राप्त करता है। इसलिए, खराब मुद्रा मन के थकने का प्रमुख कारण होता है। अनुशासित मुद्रा वह सबक है, जो छोटे स्कूली बच्चों को भी बालवाड़ी या पहली कक्षा में सिखाया जाता है। शिक्षक कहता है, "सीधे बैठो, सीधे सामने देखो और अपने पैर फर्श पर रखो।"  क्यों? जिससे कि वे कक्षा में अधिकतम ध्यान दे सकें। कोई भी व्यक्ति किसी सभा या बाइबिल स्टडी से इतना अधिक पा सकता है जब वह अपनी पीठ सीधी करके, अपने पैर फर्श पर सपाट रखकर, और अपना सिर वक्ता के सामने करके बैठता है। बेशक, कई लोगों के व्यवसाय शारीरिक रूप से थकाऊ होते हैं और वे थकने से बच नहीं सकते। फिर भी, वहाँ रोमियो ८:११ का वादा बना रहता है: और यदि उसी का आत्मा जिसने यीशु को मरे हुओं में से जिलाया तुम में बसा हुआ है; तो जिसने मसीह को मरे हुओं में से जिलाया, वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपने आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा। चूंकि पवित्र आत्मा उन सभी के दिलों में रहता है, जिन्होंने विश्वास से उनके ह्रदय में मसीह को ग्रहण किया है, हर विश्वासी उसके अनुग्रह के इस ख़ास प्रावधान का अनुभव कर सकता है। "जिलाएगा" (यूनानी भाषा में ज़ूपोइओ (zoopoieo )) का मतलब है - आत्मिक शक्ति के द्वारा मजबूत करना या जगाना" (जोसेफ एच थायर)। कितना अद्भुत वादा है! वही शक्ति जिसने यीशु को कब्र से जीवित किया, विश्वासियों को मजबूत करने के लिए उपलब्ध है। यह पुनरुत्थान की शक्ति है, जो मसीहियों को इस संसार की प्रणाली के बीच मसीह के लिए जीने में सक्षम बनाती है, जो "उस दुष्ट (शैतान) के वश में पड़ी है" (१ यूहन्ना ५:१९, एम्पलीफाइड)।

एकाग्रता का फल

सत्य का एक मन

भक्तिमय एकाग्रता का सिद्धांत पूरी बाइबल में कई मायनों में बताया गया है। कुलुस्सियों ३:२ में पौलुस विश्वासियों को सिखाता है, "पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ।" "ध्यान लगाओ" मूल पाण्डुलिप में फ्रोनेओ (phroneo) शब्द है।  इस क्रिया का मतलब होता था “मन का व्यायाम करना; दिलचस्पी लेना; किसी खास बात की ओर मन को मोड़ना।" पौलुस यहाँ यह नहीं कह रहा है कि मसीहियों को धरती की चीजों के बारे में कभी नहीं सोचना चाहिए। निश्चित रूप से, विश्वासियों को अपने पारिवारिक, व्यावसायिक और वित्तीय दायित्वों की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए; और न ही वे कानूनों और नियमों की उपेक्षा करना चुन सकते हैं। तथापि, ये बातें उसके मन का लक्ष्य या मालिक नहीं होना चाहिए। वह मसीही जो लगातार स्वर्गीय बातों पर अपना दिल लगाता है, १ पतरस ५:८ के अनुसार एक सोफ्रोनेओ (sophroneo) या सचेत मन का विकास करेगा। यह यूनानी शब्द "सब बातों का उचित अनुमान रखने वाले, आत्म-अनुशासित मन” की बात करता है। गेरहार्ड किटेल सोफ्रोनेओ को “बिना भ्रम का एक तर्कसंगत मन” के रूप में परिभाषित करते हैं। वचन पर ध्यान केंद्रित करके, विश्वासी हमेशा सच के संदर्भ में सोचना सीखता है।

गाना और आनन्द करना

भजन ५७ में, दाउद बताता है कि उसने कैसे अपनी हालात से परमेश्वर से आने वाले बचाव की माँग की। पंक्ति ४ में उसने शिकायत की कि: “मेरा प्राण सिंहों के बीच में है, मुझे जलते हुओं के बीच में लेटना पड़ता है, अर्थात ऐसे मनुष्यों के बीच में जिन के दांत बर्छी और तीर हैं, और जिनकी जीभ तेज तलवार है।“ पंक्ति ६ में दाऊद ने कहा, "उन्होंने मेरे पैरों के लिये जाल लगाया है........उन्होंने मेरे आगे गड़हा खोदा।" लेकिन पद ७ में उसने लिखा, "हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है।" "मन” इब्रानी, लेब ( Leb) से अनुवाद किया गया है, जो “भावनाओं, इच्छाशक्ति, समझ" की बात करता है। मूल लिखावट में "स्थिर" के लिए इस्तेमाल कून (Kuwn), शब्द का  मतलब "स्थापित, निर्देशित, इच्छुक या तैयार किया गया" होता है। दाऊद ने एकाग्रता में परमेश्वर के वचन को ग्रहण करने के लिए अपने ह्रदय को तैयार किया। इस बात ने उसके जीवन में क्या पैदा किया? पंक्ति ७ का आख़िरी हिस्सा जवाब देता है: "मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा।" अंधेरी परिस्थितियों के बावजूद, दाऊद के पास आनन्द था, क्योंकि उसकी एकाग्रता परमेश्वर पर थी।

निर्भयता

कून भजन ११२ की मूल लिखावट में भी "स्थिर" के लिए इस्तेमाल है, जो विश्वासी की जबरदस्त सुरक्षा को परिभाषित करता है। पंक्ति ७ कहती है, "वह बुरे समाचार से नहीं डरता; उसका हृदय यहोवा पर भरोसा रखने से स्थिर रहता है।" "समाचार" यहाँ शेमूवाह (shemuwah), अर्थात वर्णन, और अफवाहें है। यह शब्द शमेम (shamem) का  एक स्त्रीलिंग कर्मवाच्य कृदंत है - "दंग करना; मूर्छित करना; सुन्न या सुस्त बना देना, उजाड़ कर देना।" शैतान विश्वासियों के मन को परेशान और सुस्त करने के लिए "बुरे समाचार" रचता है। लेकिन, जैसा उपरोक्त पंक्ति इंगित करती है,  ये विचलन उसके लिए कोई समस्या  नहीं होते, जिसका ह्रदय एकाग्रता के माध्यम से स्थिर हो गया है।

परमेश्वर के साथ नजदीकी सहभागिता

परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा: हे पापियों, अपने हाथ शुद्ध करो; और हे दुचित्ते लोगों अपने हृदय को पवित्र करो” (याकूब ४:८)। तो आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक को दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएं” (इब्रानियों १०:२२)। परमेश्वर के वचन पर एकाग्रता विश्वासी को स्वयं परमेश्वर के करीब खींचती है। यूहन्ना १:१ कहता है, "आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था।" बाइबल पर एकाग्रता परमेश्वर पर एकाग्रता है। परमेश्वर के निकट जाने के अद्भुत लाभों पर ध्यान दो: यह सेवा में उचित इरादे पैदा करती है, मन को शुद्ध करती है, भ्रम को रोकती है और पूरा आश्वासन देती है। “कान लगाओ, और मेरे पास आओ; सुनो, तब तुम जीवित रहोगे; और मैं तुम्हारे साथ सदा की वाचा बान्धूंगा अर्थात दाऊद पर की अटल करुणा की वाचा” (यशायाह ५५:३)।

निष्कर्ष

तब यीशु ने उन यहूदियों से जिन्होंने उनकी प्रतीति की थी, कहा, यदि तुम मेरे वचन में बने रहोगे, तो सचमुच मेरे चेले ठहरोगे। और सत्य को जानोगे, और सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा” (यूहन्ना ८:३१, ३२) उपरोक्त हिस्से में "चेले" यूनानी शब्द मैथेटीस (mathetes)  है - "जो अपने दिमाग को किसी की ओर निर्देशित करते हैं।" यीशु मसीह का सच्चा शिष्य वह होता है, जिसने एकाग्र रहना सीखा है। नतीजतन, उसकी याददाश्त हर हालात में सत्य में प्रतिक्रिया करने के लिए तैयार कर दी गई है। विचलन उसके लिए कोई समस्या नहीं होते हैं, क्योंकि वह उनकी परिभाषा, समझ और उनसे बचना जानता है। वह मसीह की विजय में जीता है। इस प्रकार का विजयी जीवन हर विश्वासी के लिए उपलब्ध है। उसे बस 'क्या' और 'कैसे' सुनने (मरकुस ४:२४, लूका ८:१८) के लिए दिए गए मसीह के आदेशों का पालन करना ध्यान रखना है। ऐसा करने में, मन का ध्यान केंद्रित रहेगा, सत्य ग्रहण किया जाएगा और उसका जीवन उस यीशु मसीह की एक अनुशासित अभिव्यक्ति हो जाएगा, जो उसके भीतर रहता है।

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