परमेश्वर की बुलाहट की परिभाषा
Hindi translation of 'Defining the Call of God' by Pastor Carl H. Stevens, Jr of GGWO. परिचय मसीहियों के तौर पर, हम अन्धकार से बाहर परमेश्वर की अद्भुत रोशनी में बुलाए गए हैं। हमारी बुलाहट पवित्र और स्वर्गीय है, क्योंकि यह उस परमेश्वर से आती है, जो सबके ऊपर और सब में है। यह कुछ वैसा नहीं है, जो हम सामाजिक परिवर्तन और स्वयं और अपने परिवार के लिए एक अच्छा जीवन प्रदान करने के लिए करते हैं; वास्तव में, वह तो व्यवसाय का उद्देश्य होता है। लेकिन हमारी बुलाहट एक उद्यम है, परमेश्वर के वचन द्वारा क्रमबद्ध की गई एक जीवन शैली। परमेश्वर चाहता है कि हम भक्ति पैदा करने वाला फल लाएँ, लेकिन यह तभी होता है, जब हम अपने जीवन को मसीह के वचन द्वारा परिभाषित किए जाने की अनुमति देते हैं। इस परिभाषा का होना प्राणों की गहराइयों के अन्दर जबरदस्त संतुलन पैदा करता है, जो हमारे द्वारा ग्रहण किए गए सत्य का बाहरी तौर पर अमल लाता है। जब हम अपने उद्यम में काम करते हैं, तब हम अनुग्रह के वचन के माध्यम से पवित्र आत्मा की शक्ति में एक स्वर्गीय बुलाहट में बने रहते हैं। परिणामस्वरूप, हमारे जीवन आत्मा के सभी फलों की पूरी पैदावार के लिए उपजाऊ जमीन बनेंगे। दीनता और नम्रता के आन्तरिक गुण और धीरज और सहनशीलता के बाहरी भाव अद्भुत शान्ति के साथ भाइयों के बीच एकता लाएँगे। उद्यम में चलना "सो मैं जो प्रभु में बन्धुआ हूं तुम से बिनती करता हूं, कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो। अर्थात सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो। और मेल के बन्ध में आत्मा की एकता रखने का यत्न करो। एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है। एक ही प्रभु है, एक ही विश्वास, एक ही बपतिस्मा। और सब का एक ही परमेश्वर और पिता है, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है" (इफिसियों ४:१-६)। प्रेरित पौलुस, जेल से लिखी इस पत्री में, इफिसियों के चौथे अध्याय की शुरुआत "बिनती करना" (पैराकलेओ / parakaleo) शब्द से करता है, जिसका मतलब है पास बुलाना, आमंत्रित करना, विनती करना। वह हमें छानबीन से कार्यवाही की ओर, धर्मज्ञान से आत्मिकता की ओर  पुल पार करने के लिए बुला रहा है। दूसरे शब्दों में, हमें नैतिकता (मानवीय अच्छाई) पैदा करने वाले ज्ञान से निकलकर आत्मा में व्यावहारिक जीवन शैली (ईश्वरीय अच्छाई) पैदा करने वाले उपदेश के प्रकाशन की ओर जाने के लिए बुलाया जा रहा है। इफिसियों की किताब के पहले तीन अध्याय खरे उपदेश की नींव रखते हैं। चौथे अध्याय में, पवित्र आत्मा हमें उस सिद्धांत के व्यावहारिक अमल में प्रवेश करने के लिए आग्रह करता है। पौलुस हमें हमारे उद्यम के "योग्य चाल चलने" के लिए विनती करता है। "चाल चलो," पेरीपतेओ (peripateo) का अरिस्ट सक्रिय क्रियार्थक है, जिसका मतलब है कि समय के एक बिंदु पर, हमें परमेश्वर के ईश्वरीय उद्देश्य में हमारे व्यवहार को चलाने की क्रिया करना है। "योग्य" ऐक्सियोस (Axios)  है, जिसका अर्थ है "किसी और का वजन रखना।" दूसरे शब्दों में, हम जो कुछ जानते हैं, उसे हमें परमेश्वर के माप के पैमाने के सामने लाना होगा। हमें अनुग्रह के पैमाने पर एक संतुलित चाल रखनी होगी। जब परमेश्वर "योग्य चाल चलने" को कहता है, तब इसका मतलब है कि चलते रहो, बढ़ते रहो, प्रगति करते रहो, शान्त मत खड़े रहो। हमें बढ़ना और हार न मानना आवश्यक है। हम पीछे हटकर उसे खोते नहीं हैं जिसमें परमेश्वर ने हमें बुलाया है, बल्कि हम जो सुनते हैं और अपने जीवन के बारे में जो हम जानते हैं, उनमें संतुलन रखते हुए चलते हैं। मण्डली की ओर बुलाहट "बुलाहट" क्लेसिस (klesis) है, एक निमंत्रण या एक दिव्य सम्मन। "तुम बुलाए गए थे" कलेओ (Kaleo) है। यह महत्वपूर्ण क्यों है? क्योंकि कलीसिया 'बाहर बुलाए हुए लोगों' की एक मण्डली अर्थात एक्लेसिया (ekklesia) है। हमें अपने दिलों में इस सच्चाई को समझना है! कलीसिया वह जगह नहीं है जहाँ तुम कुछ करना तय कर लेते हो, जैसे कि एक रोजगार चुनना। बुलाहट में सामर्थ्य होती है। उदाहरण के लिए, यूहन्ना ११:४३ में, लाजर चार दिनों से मर चुका था और कब्र में था। यीशु ने उसे पुकारा और कहा, "लाजर, निकल आ," और लाजर कब्र से बाहर आ गया! ताकत यीशु के बोले गए शब्दों में, बुलाहट में थी। हालांकि, कुछ मसीही, परमेश्वर की बुलाहट का इकरार किए बिना ऐसे ही कुछ करने का फैसला कर लेते हैं। लेकिन यह वह नहीं है, जो इफिसियों ४ सिखा रहा है। कुछ शिक्षाशास्त्रियों का कहना है कि "बुलाहट" का मतलब है उपदेश को अपने जीवन का एक उद्यम, पेशा, या हिस्सा बना लेना। तुम्हें जीवन चलाने के लिए एक व्यवसाय की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन तुम्हें उपदेश की जरूरत है ताकि तुम जी सको। तुम्हारा व्यवसाय तुम्हारे उद्यम की सेवा करना चाहिए, अन्यथा उसका कोई भी फायदा नहीं होगा। मुझे परवाह नहीं चाहे तुम्हारा व्यवसाय कितना भी महान या धनवान हो; उसे तुम्हारी बुलाहट से संबंधित होना चाहिए। एक राजकीय याजकता "पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो, इसलिये कि जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो" (१ पतरस २:९)। मसीहियत ऐसी वस्तु नहीं है, जो मैं ऐसे ही "ले लेता" हूँ। एक पासवान या मिशनरी होना वह चीज नहीं है, कि मैं बस कोशिश करने का फैसला कर लूँ। मसीह की राजकीय याजकता का सदस्य बनना ऐसा नहीं है, कि मैं किसी दिन कुछ करना चुन लूँ, जैसे एक नौकरी पकड़ना। निश्चित रूप से कोई भी धंधा करने में कुछ गलत नहीं है, जब तक उस प्रक्रिया में वह मुझे यीशु मसीह की सेवा से नहीं रोकता। पौलुस अपनी भौतिक जरूरतों के लिए तम्बू बनाता था। लेकिन मेरी पहली बुलाहट उपदेश को अपने जीवन का उद्यम, और इन्सानी पेशा बनाना है। मैं व्यावहारिक रहन सहन के लिए उपदेश के प्रकाशन को उपयोग तक लाता हूँ, जिससे जीवन के विवरणों में सोचने, चुनने, पहल करने और प्रत्युत्तर देने की मेरी समझ विकसित होती है। यह मेरी बुलाहट है। अपने उद्यम के योग्य चलना मुझे एक अच्छा पति, एक अच्छा पिता, और एक अच्छा पासवान बना देगा। एक स्वर्गीय बुलाहट मुझे एक अच्छा छात्र और एक अच्छा दोस्त बना देगी। वह मुझे समाज के लिए बहुत मूल्यवान बना देगी। सच तो यह है कि मैं जहीं भी जाऊँगा, मूल्यवान होऊँगा, क्योंकि मेरे पास किसी व्यापार, किसी कला की तुलना में कुछ अधिक है। मेरे पास एक उद्यम है। यह मेरी जिंदगी है, और यह ख़ास बात है। मसीह के साथ आत्मीयता के लिए बुलाए गए "यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं। परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है। परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है।" (१ कुरिन्थियों १: २२-२४)। इस पद में महत्वपूर्ण शब्द "बुलाए हुए” है। मुझे सम्मन किया गया है; मेरे पास कोई विकल्प नहीं है। कलीसिया के माध्यम से परमेश्वर पूरी दुनिया के लिए एक सार्वभौमिक बुलाहट जारी करता है :  कि हर जगह सब मनुष्य मन फिराएँ (प्रेरितों के काम १७:३०)। हमें उस बुलाहट का प्रचार करना है। हम बुलाए गए लोग हैं। यही कारण है कि हम अच्छा करने में थकते नहीं हैं। हम इस तथ्य को स्वीकार करते हैं कि हम बुलाए गए हैं; हम अपने मूडों के साथ संघर्ष नहीं करते। और बुलाहट स्वीकार करने के साथ परिपक्वता और स्थिरता के लिए प्रावधान आता है। हम क्रूस का प्रचार करते हैं, और जो नाश हो रहे हैं, उनके लिए यह मूर्खता है; लेकिन जो उद्धार पाए हुए हैं, उनके लिए परमेश्वर की शक्ति है (१ कुरिन्थियों १:१८)। इसके बारे में सोचो। परमेश्वर, सृष्टिकर्ता, उद्धारक, उद्धारकर्ता, सारी दुनिया के प्रभु ने हम में से हर एक को निजी बुलाहट दी है। और इफिसियों ४:१ के अनुसार, उस बुलाहट की ओर हमारी एक व्यक्तिगत जवाबदेही और जिम्मेदारी है। सबसे पहले, पौलुस हमें परमेश्वर के साथ सोचने, और उसके पास से अपने विचार प्राप्त करने के विषय में मजबूत करता है। उसके बाद वह हमें परमेश्वर के जीवन का अनुभव करने के विशेषाधिकार में लेकर लाता है। यह नियमों की एक सूची या आचरण के लिए एक मानक नहीं है, लेकिन हम यीशु मसीह के साथ एक आत्मीय रिश्ता रखने के लिए बुलाए गए हैं। संग्राम में बुलाए गए "क्योंकि जब शत्रु महानद की नाईं चढ़ाई करेंगे तब यहोवा का आत्मा उसके विरुद्ध झण्डा खड़ा करेगा" (यशायाह ५९:१९ ख)। 'झण्डा ' आत्मा के जीवन में परमेश्वर के प्रत्येक वचन से जीना है (मत्ती ४:४)। यह मसीह की सोच की सटीक रोशनी के साथ मननशील सोच है। यह झण्डा यूहन्ना १७:१७ में वह सत्य है, जो हमें पवित्र बनाता है। परमेश्वर का झण्डा होने का मतलब है कि अगर परमेश्वर ने मुझे बाइबिल कॉलेज जाने के लिए बुलाया है, तो परमेश्वर के अनुग्रह से मैं एक सेमेस्टर के बाद पैसे की कमी की वजह से छोडूँगा नहीं। चूँकि मैं प्रार्थना करना जानता हूँ, इसलिए अपने बिलों का भुगतान करने के लिए कोई रास्ता खोज लूँगा। मैं छोडूँगा नहीं; मैं अपनी बुलाहट में आगे बढूँगा, यह समझते हुए कि मेरा व्यवसाय हमेशा मेरे उद्यम के अधीन रहना चाहिए, जो आत्मा की शक्ति में श्रेणीगत उपदेश का एक जीवन है। युद्ध के समय के दौरान, देश अक्सर सैन्य सेवा में युवा पुरुषों को सम्मन करने का अधिकार रखते हैं। यह कल्पना करना कठिन है कि कोई यह कह कर जवाब देगा, "अगर आपको मंजूर हो, तो मैं न जाऊँ।" इसके प्रतिकूल, हालांकि लोग विभिन्न कारणों से टालते हैं, फिर भी सैन्य सेवा के लिए बुलाहट को बहुत गंभीरता से लिया जाता है। कैसी विडंबना है कि लोग इतनी लापरवाही से स्वयम को परमेश्वर के वचन से ऊपर उठाते हुए परमेश्वर को ना कह पाते हैं। विश्वासियों के तौर पर, हमारी चाल का स्रोत बाइबल उपदेश में होना चाहिए, न कि इन्सानी अच्छाई या प्राकृतिक स्वभाव में। कुछ लोग उद्धार ग्रहण करते हैं, पर परमेश्वर के साथ अपनी चाल में कभी नहीं बढ़ते हैं, क्योंकि वे उनकी परवरिश, उनके प्राकृतिक स्वभाव, और नैतिक प्रकाश की अपनी प्राकृतिक समझ पर भरोसा करते हैं। वे उस स्तर पर स्थिर पड़े रहते हैं और आत्मा की शक्ति में श्रेणीगत उपदेश के द्वारा परमेश्वर के साथ सही सोच के माध्यम से अपनी चाल के लिए शक्ति प्राप्त करना कभी नहीं सीखते हैं। एक दर्शन बनाए रखना हम अपने निजी दर्शन को कमजोर नहीं होने दे सकते। चलो, हमारी तराइयों में सामर्थ्य से सामर्थ्य में बढ़ें। रेगिस्तान में पुराने, सूखे स्थानों (यशायाह ३५:६-७) की बजाय जीवित जल के तालाब छोड़ दो। हम "सामर्थ्य से सामर्थ्य में" (भजन ८४:७), "विश्वास से विश्वास में" (रोमियों १:१७), और "महिमा से महिमा में" (२ कुरिन्थियों ३:१८) बढ़ते हैं। जैसे जैसे हम घटते हैं, मसीह (यूहन्ना ३:३०) बढ़ता जाता है। ध्यान दो कि रोमियों ८:३० में परमेश्वर का वचन क्या कहता है, "फिर जिन्हें उस ने पहिले से ठहराया [क्योंकि उसे पूर्वज्ञान था कि कौन उसके पुत्र को चुनेगा], उन्हें बुलाया भी, और जिन्हें बुलाया, उन्हें धर्मी भी ठहराया है, और जिन्हें धर्मी ठहराया, उन्हें महिमा भी दी है।" हमारी बुलाहट हमारे धर्मीकरण और हमारे भविष्य के महिमाकरण से पहले आई थी। हम वापस संसार में नहीं जाएँगे,  और न हम दैहिक विकल्प चुनेंगे, इसका कारण यह है: हम इस सच पर खड़े रहेंगे कि हम बुलाए गए हैं। २ तीमुथियुस १:९ इसे "एक पवित्र बुलाहट" कहता है; इब्रानियों ३:१ कहता है कि यह "एक स्वर्गीय बुलाहट" है, और फिलिप्पियों ३:१४ इसे "एक ऊपर की बुलाहट" कहता है। "पवित्र" का मतलब है श्रेणियों के लिये अलग किया जाना, भक्ति के साथ आत्मिकता का होना। "स्वर्गीय" हवाई दुष्टात्माओं के मुखिया (२ कुरिन्थियों १०:५; इफिसियों ६:१२) और धूल के दुष्टात्माओं (याकूब ३:१५) के ऊपर स्थानिक सच्चाई रखने के विषय में बातें करता है। "ऊपर की बुलाहट का इनाम" यीशु मसीह के अभूतपूर्व इनामों का अनुभव करने की परिपक्वता में हमारे प्रवेश के बारे में बोलता है। हमारी बुलाहट स्वर्गीय है, सांसारिक नहीं। बुलाहट यीशु मसीह से आती है, इन्सानों से नहीं, और हमारे जीवन की सब चीजों को उस बुलाहट के सामने अधीन होना होगा। यह हर मसीही का उद्यम और जोर होना चाहिए। हमारा उद्यम उपदेश को अपना व्यवसाय और व्यापार बनाना है, जिससे हम परमेश्वर के प्रत्येक वचन के द्वारा जी सकें। तब, जब हम बीमा न्यायासन पर यीशु मसीह का व्यक्तिगत रूप से सामना करेंगे, हम में से प्रत्येक के बारे में यह कहा जा सकता है कि हमने परमेश्वर के वचन के आदेशों को सम्मानित किया। हम अपने उद्यम का सम्मान करते और उसके अनुसार जीते हैं,  गलती करते और असफल होते वक्त (जैसा हम सब करते हैं), मनफिराव का अमल करते हुए। मत्ती १७ में, पतरस, याकूब, और यूहन्ना यीशु मसीह के साथ पहाड़ पर थे, जब वह परिवर्तित हुआ था। लेकिन उस शानदार अनुभव के बाद, उन्हें तराई में नीचे जाना पड़ा। उस समय के लिए उनकी बुलाहट तराई में रहना थी। विकसित करने के लिए जिलाए गए "जब हम अपराधों के कारण मरे हुए थे, तो [उसने] हमें मसीह के साथ जिलाया; (अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है।) और मसीह यीशु में उसके साथ उठाया, और स्वर्गीय स्थानों में उसके साथ बैठाया।" (इफिसियों २:५-६)। हम अपने आप को नहीं जिला सकते थे; हम बुलाहट के द्वारा जिलाए गए। जब हम मरे हुए थे,  तब हम उसके साथ जिलाए गए, उस के साथ उठाए गए और उसके साथ बैठाए गए। सामर्थ्य उस वचन में थी, जिसने हमें बुलाया। यह समझना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि औसत मसीही अपनी बुलाहट में बने रहना (1 कुरिन्थियों 7:20) नहीं जानता है। अपने उद्यम को मत बदलो और अपने व्यवसाय को उसके ऊपर मत रखो। मसीहियत और खरा उपदेश ग्रहण करने को एक दूसरे दर्जे का अनुभव मत मानो। अंदर पर बोया बीज तीतुस २:१० "सब बातों में हमारे मुक्तिदाता परमेश्वर के उपदेश" को पहनने के बारे में बोलता है। इस सिद्धांत का अर्थ यह है कि हमारा उद्यम हमारे भीतर परमेश्वर के वचन से निकलकर आता है। मेरे साथ इस बात पर विचार करो। जब एक किसान जमीन में एक बीज डालता है और उसे मिट्टी में दबा देता  है, तब एक मौसम आता है, जहाँ विकास का कोई सबूत नहीं होता है। फिर सूरज चमकता है और बारिश आती है। बीज अंकुरित होता है और छिपे होने के बावजूद विकसित होना शुरू करता है। फिर अंततः, एक छोटा सा अंकुर जमीन से निकलता है। एक समय के लिए, वहाँ विकास का कोई सबूत नहीं था। लेकिन मौसम के परिवर्तनों और समय की प्रक्रिया के के बीच में, बीज बढ़ता रहा। परमेश्वर ने उसे पाला, क्योंकि उसका जीवन बीज में था। परमेश्वर का वचन एक अविनाशी बीज है, जो जीवित है और हमेशा बना रहता है (१ पतरस १:२३)। परमेश्वर के वचन के बीज जो हमारे प्राणों के अंदर जाते हैं, उनमें परमेश्वर का जीवन होता है। जैसे जमीन के अन्दर बीज मौसम की वजह से परिवर्तन से गुजरता है, ठीक वैसे ही हम भी हमारे आसपास की दुनिया में चल रही चीजों के जवाब में सोच और व्यवहार के विभिन्न तरीकों से गुजरते हैं। कभी कभी हम हमारे सृष्टिकर्ता के साथ असंगत होकर परमेश्वर के वचन की सीमा रेखा के बाहर अपराध में भटक सकते हैं। फिर भी, स्वर्ग से धूप और बारिश हमारे भीतर के अविनाशी बीज का पोषण करने के लिए नीचे आती हैं। यह लग सकता है कि कोई व्यक्ति जिससे तुम प्रेम करते हो, उन्नति नहीं कर रहा है, और तुम यह सोच सकते हो कि वह बचेगा नहीं। लेकिन सिर्फ कुछ समय की बात है, जब बीज के अन्दर का जीवन छोटे से हरे अंकुर द्वारा जमीन की सतह को फोड़कर बाहर आने का कारण बनता है। यहां तक ​​कि जब तुम्हारे आसपास के लोगों के जीवन में विकास का कोई सबूत नहीं है, इसका मतलब यह नहीं है कि वे नहीं बढ़ रहे हैं। परमेश्वर का अनुग्रह उनके अंदर काम कर रहा है और वे उचित समय में फल पैदा करेंगे, जो विकास का सबूत है। याद रखो, कि परमेश्वर का अनुग्रह है, जो हमें सिखाता है कि कैसे बढ़ना है। हम में मसीह की चाल मसीह में हमारी स्वर्गीय पदवी है (इफिसियों २:६; रोमियों ५:२)। उस में अनुग्रह के धन हैं। उसके सभी तरीके सिद्ध हैं। हालांकि, मसीह को उसकी इस धरती की चाल हम में चलनी होगी – हमारे अन्दर बसते और हमारे, अर्थात उसकी देह के माध्यम से उसका प्रकटीकरण करते हुए उसके चरित्र की एक सच्ची अभिव्यक्ति के द्वारा। हम में, मसीह पृथ्वी पर उसकी चाल चलता है (२ कुरिन्थियों ६:१६)। यही परमेश्वर की बुलाहट है, और बुलाहट वचन में है। हमारा उद्यम उसका वचन, खरा उपदेश है – अनुग्रह में बढ़ते हुए, गिरने पर वापिस उठते हुए, वैसे सोचते हुए जैसे वह सोचता है। हमें कैसे चलना है? "सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे के साथ" (इफिसियों ४:२)। "दीनता" टाइपीनाफ्रौसूने (taipeinophrosune) है, जिसका अर्थ है कि जब मैं क्रूस उठाता हूँ, तब पवित्र आत्मा द्वारा पैदा की गई नम्रता के द्वारा मैं भीतर से अनुग्रह की भावना में सोचता और जीता हूँ। दीनता अपने बारे में एक उचित अनुमान से आती है। जैसे मैं अनुग्रह, अर्थात बिना योग्यता के पाई गयी कृपा में सोचता हूँ, तब मैं जो अंदर से होता हूँ, वह दीनता होती है। यह उस विनम्रता के साथ प्रेम में सोचना है, जो स्वयं को नीचा करके नहीं पैदा की  जाती है, बल्कि कल्वरी के क्रूस के द्वारा आती है। मैं मसीह के साथ अपनी मौत, दफनाए जाने, और जी उठने की सच्चाई का अनुभव करता हूँ, और यह उस परमेश्वर की उपस्थिति में विनम्रता पैदा करता है, जो मुझमें निवास करता है: "मैं उन में बसूंगा और उन में चला फिरा करूंगा..." (२ कुरिन्थियों ६:१६)। नम्रता अगला, हमें "नम्रता" के साथ चलना है -  यूनानी भाषा में काईप्राओतेस (kaipraotes)। इन्सानी अच्छाई और प्राकृतिक स्वभाव पर निर्भर रहने वाला कोई भी नहीं है, जो नम्र हो। जो लोग एक पल में गुस्सा हो जाते हैं, उनके पास आत्मा का नम्रता का फल कभी नहीं रहा है। आत्मा का फल प्रेम, आनन्द, मेल, धीरज, कृपा, भलाई, विश्वास, नम्रता, और संयम (गलातियों ५:२२-२३) है। तो, नम्रता पवित्र आत्मा का एक फल है, जो एक ईश्वरीय स्वभाव लाता है। यह दीन किए जाने और वचन की सामर्थ्य में हमारे द्वारा अपना उद्यम स्वीकार करने के द्वारा पूर्वव्यापी स्थानिक सच्चाई को व्यक्तिगत अमल और अनुभव के लिए स्वीकार करने के द्वारा पैदा होती है। मेरे स्थान का सत्य पूर्वव्यापी है, क्योंकि दो हजार साल पहले मैं मसीह में क्रूस पर मारा गया, दफन किया गया और पुनर्जीवित किया गया। नम्रता अन्दर गढ़ा गया अनुग्रह है, जो मन, भावनाओं, विवेक, आत्म-चेतना, और इच्छाशक्ति की क्षमता पर अधिकार कर लेता है। यह कल्वरी के पूर्वव्यापी सत्य की गतिविधियों की वजह से मेरे पुराने पापी स्वभाव को निष्क्रिय बना देता है। अपने आप में, मैं कभी नम्रता पैदा नहीं कर सकता। अगर मेरी आनुवंशिक बनावट और नैतिक प्रशिक्षण सही है, तो मैं इन्सानी भलाई और प्राकृतिक स्वभाव के माध्यम से उसकी नकल करने की कोशिश कर सकता हूँ, लेकिन मैं असली नम्रता नहीं पैदा कर सकता। धीरज और सहनशीलता दीनता और नम्रता हममें पवित्र आत्मा की शक्ति और वचनों द्वारा पैदा होती हैं, जो हमें बुलाहट में बने रहने की क्षमता देते हैं। उसके बाद हमें "धीरज" के साथ चलने के लिए बुलाया गया है। इफिसियों ४:२ में यूनानी भाषा का शब्द मैक्रोथूमिया (makrothumia) है, न कि हूपोमोने (hupomone)। मैक्रोथूमिया लोगों के साथ मेरे बर्ताव से संबंधित होता है, जबकि हूपोमोने परिस्थितियों से संबंधित है। धीरज आत्मा की एक बाहरी पैदावार होती है। परमेश्वर हमें लोगों के साथ सम्बन्धों में धैर्यवान और सहनशील होने की क्षमता देता है। इसमें कोई प्रतिक्रिया, कोई नकारात्मकता, कोई आँख के बदले आँख या दांत के बदले दांत वाला रवैया नहीं होता है। इसके बाद, परमेश्वर का वचन कहता है "धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे के साथ।" सहनशीलता आनन्द, खुशी, शांति, और दयालुता के साथ अपने आप को प्रकट करती है। हम अन्दर गढ़े गए अनुग्रह, विनम्रता, और वचन और आत्मा में हमारे पूर्वव्यापी जीवन की वजह से सहते हैं। अब हमारी हालात हमारे स्थान के अनुरूप हो सकती है; हमारी चाल हमारी बातचीत के जैसी हो सकती है। अचानक, हमें पता चलता है कि हमारा स्थान अब हमारी हालात हो जाता है। एक दूसरे के साथ हमारी सहभागिता सम्पूर्ण कर्म के द्वारा मसीह के साथ हमारी संगति जैसी हो जाती है। हम "प्रेम में" (एन अगापे) एक दूसरे को सह लेते हैं। इसका मतलब है कि प्रेम अपने आप में सहनशील होता है। यह मिशनरी सेवा में एक जिम्मेदारी है, लेकिन इसे कोई भी अपनी ताकत में नहीं कर सकता है। वह मसीही जो सह लेता है, उसे उसके अन्दर प्रेम के कार्य करने की वजह से फायदा होगा – यह  परमेश्वर के वचन के उसके ह्रदय में काम करने का एक सीधा परिणाम है। जब प्रेम में सहने वाला एक मसीही वचन ग्रहण करता है, तो वह लोगों को प्रेम में स्वीकार कर सकता है (रोमियों १५:७)। वे क्लेश (२ थिस्सलुनीकियों १:४) सहन करते हैं, और वे सताव (१ कुरिन्थियों ४:१२) बर्दाश्त करते हैं। यह सहनशीलता का फल, अर्थात परमेश्वर के वचन में सहने के कार्यप्रणाली है। प्राण में शांति बस ऐसे ही नहीं हो जाती है। न ही दीनता या नम्रता अपने आप हो जाती हैं। परमेश्वर के प्रति समर्पण के बिना, कोई परिवर्तन नहीं हो सकता। परिवर्तन के बाद पवित्रीकरण आता है। फिर, जब मैं वचन पर चित्त लगाता हूँ, तो मेरे प्राण का हर कमरा वचन का आत्मा और आत्मा का वचन ग्रहण करता है। अंत में, जब मैं इस सच्चाई को अमल में लाता हूँ कि मसीह ने क्रूस पर, मेरे स्थान पर, मेरे लिए विजय प्राप्त की है, तब मैं इस जीवन में एक विजयंत से बढ़कर हो सकता हूँ (रोमियों ८:३७)। एकता बनाए रखना "शांति के बंधन में आत्मा की एकता बनाए रखने के लिए यत्न करो" (इफिसियों ४:३)। एकता अपने आप नहीं होती है। वह तब होती है, जब एक मसीही इफिसियों ४:१-२ को आचरण में लाता है। "यत्न" (स्पूडाजो / spoudazo) का अर्थ है कि मुझे हमेशा सब प्रकार की दीनता, नम्रता, धीरज, और सहनशीलता के साथ योग्य चाल चलते हुए बुलाहट के बारे में सकारात्मक चयन करना है। जैसे जैसे मैं सही निर्णय लेता जाता हूँ, सत्य मेरे अनुभव में अपनी जगह लेते हुए, आत्मा की एकता बनाए रखता है। "बनाए रखना" टेरियो (tereo) है,  जो यह सूचित करता है कि मैं सही चुनावों के साथ परमेश्वर के द्वारा आत्मा के माध्यम से दी गई एकता की सुरक्षा और करीब से नजर रखता हूँ। मैं वह चीजें चुनता हूँ, जो मुझे मसीह की देह में, खासतौर सदस्यों के बीच में मुझे एक अनन्त उद्देश्य में लाती हैं। अतः, जब हम "शांति के बंधन में" आत्मा की एकता बनाए रखते हैं, तब शांति पैदा होती है, क्योंकि हमारा मन परमेश्वर पर लगा हुआ है (यशायाह २६:३)। इसके अलावा, "हर बात में प्रार्थना और निवेदन के द्वारा" हम इन विनतियों को परमेश्वर के सम्मुख लाते हैं (फिलिप्पियों ४:६-७ देखें)। एक परमेश्वर, एक विश्वास, एक ही बपतिस्मा..... "एक ही देह है, और एक ही आत्मा; जैसे तुम्हें जो बुलाए गए थे अपने बुलाए जाने से एक ही आशा है" (इफिसियों ४:४)। हमारे बुलाहट की आशा हममें पवित्र आत्मा के साथ हमारी सहभागिता और एक सैद्धांतिक जीवन शैली के माध्यम से पैदा होती है। इफिसियों ४:४-६ सात एकताओं के बारे में बोलता है: "... एक देह, और एक आत्मा; एक बुलाए जाने की आशा, एक प्रभु, एक विश्वास, एक बपतिस्मा, सब का एक परमेश्वर और पिता, जो सब के ऊपर और सब के मध्य में, और सब में है।" यीशु मसीह के कलीसियों के बीच इतना विभाजन क्यों है? ऐसा इसलिए है क्योंकि लोग सम्मन को गंभीरता से नहीं लेते हैं; इसलिए, वे अपने जीवन के लिए परमेश्वर की बुलाहट को परिभाषित नहीं करते हैं। आत्मा के द्वारा नियंत्रित त्रिएक परमेश्वर हममें से प्रत्येक के भीतर बसता है। यदि एक आत्मा एक देह को नियंत्रित कर रहा है, और एक पिता सबके ऊपर है, जिसके साथ एक ही प्रभु (पुत्र) हमारे भीतर पिता की योजना को क्रियान्वित कर रहा है, तो इतना विभाजन क्यों है? पहला कुरिन्थियों १:१० हमें बताता है कि मसीह विभाजित नहीं किया जा सकता। फिर भी विभाजन तब जगह लेता है, जब पवित्र आत्मा को नियंत्रण लेने नहीं दिया जाता है और पिता की योजना भुला दी जाती है। पुत्र के गुणों और सम्पूर्ण कर्म की उपेक्षा होती है, पवित्र आत्मा शोकित किया जाता है, और मसीहियत सीमित आयामों में छोटी हो जाती है क्योंकि परमेश्वर की सारी मनसा को नजरअंदाज किया जाता है। हमें परमेश्वर की सारी मनसा – परमेश्वर के प्रत्येक वचन – को लेना शुरू करना चाहिए और उसमें तब तक बढ़ना चाहिए, जब कि अंततः हम "एक विश्वास" के व्यावहारिक अमल में परिपक्व हो जाएँ, जो श्रेणीगत उपदेश की भी बात करता है, क्योंकि विश्वास परमेश्वर का वचन सुनने से आता है (रोमियों १०:१७)। "एक बपतिस्मा" हमारे उद्धार के बिंदु पर पवित्र आत्मा द्वारा हममें से प्रत्येक को मसीह की देह में बपतिस्मा करने की बात करता है। पवित्र आत्मा हमें यीशु मसीह के साथ स्थानिक एकता में बपतिस्मा करता है। "क्योंकि जिस प्रकार देह तो एक है और उसके अंग बहुत से हैं, और उस एक देह के सब अंग, बहुत होने पर भी सब मिलकर एक ही देह हैं, उसी प्रकार मसीह भी है। क्योंकि हम सब ने क्या यहूदी हो, क्या युनानी, क्या दास, क्या स्वतंत्र एक ही आत्मा के द्वारा एक देह  होने के लिये बपतिस्मा लिया, और हम सब को एक ही आत्मा पिलाया गया" (१ कुरिन्थियों १२:१२-१३)। निष्कर्ष पहले से कहीं अधिक, हमें आत्मा के द्वारा परमेश्वर का वचन के माध्यम से हम में व्यक्त किए जा रहे उद्यम का एहसास करने की जरूरत है। हमारा सत्य का अध्ययन जीवन की विविधताओं में उपयोगी सिद्धांत हो जाना चाहिए। पौलुस हमें बुलाहट के योग्य चाल चलने के लिए विनती करता है, जिससे हम सिद्धांत के प्रकाशन से परिवर्तित हो जाएँ, "जब तक कि हम सब के सब विश्वास, और परमेश्वर के पुत्र की पहिचान में एक न हो जाएं, और एक सिद्ध मनुष्य न बन जाएं और मसीह के पूरे डील डौल तक न बढ़ जाएं" (इफिसियों ४:१३)। हमारी बुलाहट कुछ ऐसी वस्तु नहीं है, जिसको हम इन्सानी क्षमता और भावना में विषयत्मकता के साथ प्रत्युत्तर करते हैं। यह एक स्वर्ग से परिभाषित किया गया सम्मन है। यह पवित्र है, और इस दुनिया में हमें अलग करता है, जैसे जैसे हम संपूर्ण कर्म में विश्वास के द्वारा आज्ञाकारिता में चलते हैं। हमारे भीतर, एक महान काम पूरा किया जा रहा है। हम लगातार परिवर्तित किए जा रहे हैं, जैसे-जैसे विश्वास आता है, सुनने के द्वारा और वचन के सुनने के द्वारा। हमारे प्राणों में यह परिभाषा बाहरी विजयें और परमेश्वर की विश्वासयोग्यता की अद्भुत गवाही लाएगी।

Leave a Reply

Discover more from Decode Life with Dev

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading