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हमेशा के लिए क्षमा, भुलाए और दूर किए गए – १

परिचय

तेरे समान ऐसा परमेश्वर कहां है जो अधर्म को क्षमा करे और अपने निज भाग के बचे हुओं के अपराध को ढांप दे? वह अपने क्रोध को सदा बनाए नहीं रहता, क्योंकि वह करूणा से प्रीति रखता है। वह फिर हम पर दया करेगा, और हमारे अधर्म के कामों को लताड़ डालेगा। तू उनके सब पापों को गहिरे समुद्र में डाल देगा। (मीका ७:१८-१९) क्योंकि मैं उनका अधर्म क्षमा करूंगा, और उनका पाप फिर स्मरण न करूंगा। (यिर्मयाह ३१:३४ब) उसने याकूब में अनर्थ नहीं पाया; और न इस्त्राएल में अन्याय देखा है। (गिनती २३:२१अ) यहोवा की यह वाणी है, कि उन दिनों में इस्राएल का अधर्म ढूंढ़ने पर भी नहीं मिलेगा, और यहूदा के पाप खोजने पर भी नहीं मिलेंगे; क्योंकि जिन्हें मैं बचाऊं, उनके पाप भी क्षमा कर दूंगा। (यिर्मयाह ५०:२०) सो यदि कोई मसीह में है तो वह नई सृष्टि है: पुरानी बातें बीत गई हैं; देखो, वे सब नई हो गईं। (२ कुरिन्थियों ५:१७) मैं उन के पापों को, और उन के अधर्म के कामों को फिर कभी स्मरण न करूंगा। (इब्रानियों १०:१७) बाइबल प्राकृतिक समझ से परे जाने वाली सच्चाइयों से भरी पड़ी है। इब्रानियों ११:३० हमें बताता है कि "विश्वास ही से हम जान जाते हैं।" १ शमूएल १६:७ के अनुसार, "यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है।" यशायाह ५५:८ में परमेश्वर कहता है, "क्योंकि यहोवा कहता है, मेरे विचार और तुम्हारे विचार एक समान नहीं है, न तुम्हारी गति और मेरी गति एक सी है।" एक सच्चाई जो मुझे हमेशा अचरज में डालती है यह है कि वह परमेश्वर जिसमें सब ज्ञान है और जो सर्वव्यापी है, वह कुछ भूलने की क्षमता कैसे रखता है। यह पुस्तक परमेश्वर के विस्मरण की कहानी है। यह अनन्त के मेमने और अनन्त के क्रूस की कहानी है। यह हमारे पाप-धारक की कहानी है, और इसकी कि कैसे एक सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारे अतीत, वर्तमान और भविष्य के पापों की जानकारी को खारिज कर दिया है। यह परमेश्वर के गुप्त स्थान की कहानी है। यह उस परमेश्वर की कहानी है जो हमारे दोष से परे नजर करता है और हमारी वास्तविक जरूरत को देखता है। यह परमेश्वर की नई रचना - उसकी नज़रों में अवर्णनीय मूल्यवान विश्वासी-याजकों के राजकीय परिवार की कहानी है। और, यह दुनिया के सबसे महान दोस्त की कहानी है : यीशु, पापियों का मित्र। हमारे पाप क्षमा किए गए, भुलाए गए, और हमेशा के लिए दूर किए गए हैं! यह गौरवशाली सुसमाचार है, मानव जाति को सुनाई गई सबसे बड़ी खबर। लेकिन दुखद बात यह है कि मसीही लोग एक दूसरे के साथ कदाचित ही इस सच्चाई को के अनुसार पेश आते हैं। एक पासवान के रूप में मेरे कई वर्षों में, मैंने लोगों को कहते सुना है "मैं माफ कर सकता हूँ, लेकिन उस व्यक्ति ने मेरे साथ जो किया है वह मैं भूल नहीं सकता।" यह बयान बाइबलसंगत नहीं है। इफिसियों ४:३२ कहता है, "और एक दूसरे पर कृपाल, और करूणामय हो, और जैसे [उसी हद तक, उसी तरह से] परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध क्षमा करो।" परमेश्वर ने किस तरह क्षमा किया है? उसने भुला दिया है। अगर इस तरह से माफ करना संभव नहीं होता, तो परमेश्वर हमें ऐसा करने को क्यों कहता? यह तय है, मनुष्यों से तो यह नहीं हो सकता, परन्तु परमेश्वर से सब कुछ हो सकता है (मत्ती 19:26)। यह पुस्तक, अगर नम्रता में ग्रहण की जाएगी, तो हमेशा के लिए सम्बन्धों में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। कलीसिया के भीतर मजबूत सम्बन्ध भटके हुओं को खोजने की महाआज्ञा को पूरा करने के लिए मसीह की विश्वव्यापी देह को गतिमान करेंगे। आखिरकार, हमारे यीशु मसीह के चेले होने का दुनिया में सबसे बड़ा सबूत क्या है? यह कि हममें एक दूसरे के लिए प्रेम (यूहन्ना १३:३५) है। हम अपनी सबसे अच्छी हालत में तब होते हैं जब हम वह भूल जाते हैं जो परमेश्वर भूल गया है और वह याद रखते हैं जो परमेश्वर को याद है।

अध्याय एक ज्ञान और प्रकाशन का आत्मा

"अपनी प्रार्थनाओं में तुम्हें स्मरण किया करता हूं कि हमारे प्रभु यीशु मसीह का परमेश्वर जो महिमा का पिता है, तुम्हें अपनी [गहरी और अंतरंग] पहचान में, ज्ञान और प्रकाश [गुप्त और रहस्यमयी बातों की समझ] का आत्मा दे। "और तुम्हारे मन की आंखें भरपूर ज्योतिर्मय हों कि तुम जान और समझ सको कि कैसी आशा में उसने तुम्हे बुलाया है, और पवित्र लोगों (उसके द्वारा अलग किए गए लोगों) में उसकी मीरास की महिमा का धन कैसा है।" (इफिसियों 1: 17-18, एम्पलीफाइड अनुवाद) परमेश्वर बड़े पैमाने पर अपने प्रत्येक सन्तानों को यीशु मसीह के सम्पूर्ण कर्म के व्यक्तिगत प्रकाशन  द्वारा आशीषित करना चाहता है। फिर भी, सम्पूर्ण कर्म की यह व्यक्तिगत समझ रातोंरात नहीं पकड़ी जा सकती है। कई मसीही मसीह के साथ उनके सह-क्रूसित, सह-दफ़न, सह-पुनरुत्थान, और सह-स्वर्गारोहण की सच्चाई का अनुभव करने की इच्छा में सालों तक संघर्ष करते हैं। शायद मसीहियत में आज सबसे अधिक अभाव परमेश्वर की उस क्षमा की व्यक्तिगत समझ का है जो भुला देती है। जब तक परमेश्वर का आत्मा हमारे प्राणों के लिए इस सच्चाई को जीवित न करे, तब तक हम इसका अनुभव कभी नहीं कर सकते। प्रगतिशील आत्मिकता अनुग्रह के वादों की ओर अनुकूलता में प्रगतिशील नम्रता के माध्यम से आती है। हम जो सोचते हैं कि हम कौन हैं और हम हमेशा कैसे रहे हैं, इस तरह की अवधारणाओं को अलग रखा जाना पड़ेगा जिससे हम एक अनुग्रह्मयी व्यक्ति की अनुकूलता में व्यक्तिगत विकास का अनुभव कर सकें।

आत्मा-शिक्षित होना

अक्सर मैं लोगों को यह कहते सुनता हूँ, "मुझे संदेशों में कुछ भी नहीं मिलता है।" उन्हें कुछ भी नहीं मिलता है क्योंकि वे सुनते वक्त आत्मा-शिक्षित नहीं होते हैं (यूहन्ना १४:२६; १६:१३-१५; १ कुरिन्थियों २:९-१२)। हमारे मन की आँखें उसी हद तक खुलती हैं जिस मात्रा में परमेश्वर व्यक्तिगत रूप से हमें सिखाता है, चाहे किसी संदेश के दौरान या हमारे निजी मननों में। मैंने पाया है कि बिलकुल नए विश्वासी भी परमेश्वर के वचन के गहरे सत्य समझ पाते हैं क्योंकि उनमें एक शुद्ध बच्चों जैसा विश्वास होता है और वे आत्मा द्वारा सीखते हैं। जब हम कोई संदेश सुनते हैं, तो उसे "सुलझाने" की कोशिश नहीं करनी चाहिए। हमें परमेश्वर के प्रति सचेत होना और पवित्र आत्मा को हमें सिखाने देना चाहिए। "मुझे संदेश समझ में नहीं आता," यह कहने के बजाय हमें यह कहना चाहिए, "मुझे आत्मा-शिक्षित होने की जरूरत है।" "जिन को हम मनुष्यों के ज्ञान की सिखाई हुई बातों में नहीं, परन्तु आत्मा की सिखाई हुई बातों में, आत्मिक बातें आत्मिक बातों से मिला मिला कर सुनाते हैं" (१ कुरिन्थियों २:१३)। “शब्द मारता है, पर आत्मा जिलाता है" (2 कुरिन्थियों ३:६ब)। यदि हम संदेश के “शब्द” को सुलझाने की कोशिश करते हैं, तो उसका हमें लाभ नहीं होगा। यीशु ने यूहन्ना ६:६३ में कहा, "आत्मा तो जीवनदायक है, शरीर से कुछ लाभ नहीं: जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा है, और जीवन भी हैं।" आत्मा से परिपूर्ण होकर वचन सुनने वाला व्यक्ति परमेश्वर की चेतना में उसके बाहरी कान द्वारा सुनी जा रही बात के बारे में आन्तरिक मनुष्य में पवित्र आत्मा द्वारा रोशनी प्राप्त करता है।

हम कुछ नहीं जानते जैसा चाहिए

"ज्ञान घमण्ड उत्पन्न करता है, परन्तु प्रेम से उन्नति होती है। यदि कोई समझे, कि मैं कुछ जानता हूं, तो जैसा जानना चाहिए वैसा अब तक नहीं जानता।" (१ कुरिन्थियों ८:१ब-२)। कभी कभी एक पासवान एक पंक्ति बोलकर मण्डली से कहता है, "बेशक, आप इस वचन से परिचित हैं," या, "मुझे पता है कि तुम्हे यह पता है।" हालांकि पासवान एक विनम्र आदमी हो सकता है, पर वह समझ नहीं रहा है कि वह क्या कह रहा है। हमें कभी भी परमेश्वर के वचन में से किसी भी बात के साथ परिचित नहीं होना है। हममें से कोई भी कुछ भी वैसे नहीं जानता जैसे जानना चाहिए। इसके अलावा, ज्ञान किसी काम का नहीं है जब तक कि पवित्र आत्मा उसे हमारे अंदर बसा न दे। हम चाहे याददाश्त से पूरी बाइबल सुनाने में सक्षम हों, लेकिन उसका कोई मतलब नहीं है जब तक कि हम उसके लेखक का प्रेरित चरित्र और स्वभाव प्रकट न करें। मुद्दा यह नहीं है कि हम कितना जानते हैं; बल्कि कुछ जानना और उसमें जीना। यदि कोई मसीही एक संदेश में किसी पंक्ति का नाम सुनता है और पासवान का वाक्य पूरा होने से पहले  मानसिक रूप से उसे पूरा करता रहता है, तो वह व्यक्ति सोचता है कि वह कुछ जानता है और परिचितता में है। वह नहीं जानता कि पासवान संदेश में किस दिशा में जा रहा है या पवित्र आत्मा पवित्रशास्त्र के वचन की तुलना की ताजगी में क्या नया प्रकाशन लाने जा रहा है। हमें छोटे बच्चों जैसे धार्मिकता के लिए भूखे और प्यासे होकर परमेश्वर के वचन के सामने आना चाहिए। "जैसे हरिणी नदी के जल के लिये हांफती है, वैसे ही, हे परमेश्वर, मैं तेरे लिये हांफता हूं। जीवते ईश्वर परमेश्वर का मैं प्यासा हूं," (भजन ४२:१-२अ)। अनुसंधान ने यह दिखाया है कि हम एक सटीक सच को १० प्रतिशत उपयोग के लिए बनाए रखने के लिए भी कम से कम तीस बार सुनने की जरूरत होती है। व्यस्त कार्यक्रम और करने के लिए कई छोटे कामों के कारण दो सप्ताह के समय में सुनी या पढ़ी गयी ७० से ९० प्रतिशत बातें खो देना संभव है। इसलिए अभिषेक की ताजगी द्वारा दोहराना जरूरी है। "क्योंकि आज्ञा पर आज्ञा, आज्ञा पर आज्ञा, नियम पर नियम, नियम पर नियम थोड़ा यहां, थोड़ा वहां" (यशायाह २८:१०)। इससे पहले कि प्रेरणा अनुभूति में याददाश्त (जानने की प्रक्रिया) के साथ सम्बन्ध स्थापित कर सके, हमारी याददाश्त के केंद्र को पवित्र आत्मा के द्वारा प्रशिक्षित किया जाने की जरूरत है।

अनुभवात्मक ज्ञान

"इसी रीति बुद्धि भी तुझे वैसी ही मीठी लगेगी; यदि तू उसे पा जाए तो अन्त में उसका फल भी मिलेगा, और तेरी आशा न टूटेगी" (नीतिवचन 24:14)। 'बुद्धि' का मतलब है परमेश्वर का वचन सुनना और उसका पालन करना। भजन 18:44 कहता है, "सुनते ही वे मेरी आज्ञा का पालन करेंगे।'' जब हम परमेश्वर का वचन की ओर विश्वास की आज्ञाकारिता में रहते हैं (रोमियों १:५), परमेश्वर हमें एक इनाम का वादा करता है: हमारी आशा नहीं टूटेगी। नीतिवचन ३:२०अ  कहता है, "उसी के ज्ञान के द्वारा गहिरे सागर फूट निकले।" "गहरे सागर" क्या हैं? पाप की गहराइयाँ, कमजोरी की गहराइयाँ, हमारे जीवन में शैतानी गतिविधि की गहराइयाँ। "यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है, और परमपवित्र ईश्वर को जानना ही समझ है" (नीतिवचन ९:१०)। "बुद्धिमान पुरूष बलवान भी होता है, और ज्ञानी जन अधिक शक्तिमान होता है" (नीतिवचन २४:५)। यह पंक्तियाँ बुद्धि को सिर्फ तथ्यों के ज्ञान के रूप में बात नहीं कर रही हैं। वे मनुष्य की आत्मा में अनुभवात्मक समझ होने की बात कर रही हैं। इफिसियों १:१७ कहता है कि हमारे प्रभु यीशु का परमेश्वर, जो महिमा का पिता है, हमें "उसके बारे में ज्ञान में बुद्धि और प्रकाश की आत्मा" देता है। यहाँ पर इस पुस्तक में दिए गए संदेश द्वारा परिवर्तित होने की कुंजी है।

"अब" प्रसन्नता का समय है

"और हम जो उसके सहकर्मी हैं यह भी समझाते हैं, कि परमेश्वर का अनुग्रह जो तुम पर हुआ, व्यर्थ न रहने दो। क्योंकि वह तो कहता है, कि अपनी प्रसन्नता के समय मैं ने तेरी सुन ली, और उद्धार के दिन मैं ने तेरी सहायता की: देखो, अभी वह प्रसन्नता का समय है; देखो, अभी उद्धार का दिन है" (२ कुरिन्थियों ६:१-२)। "समझाते," शब्द के द्वारा प्रेरित पौलुस मसीहियों से धर्मशास्त्र से अनुभव की ओर, जानने से उपयोग की ओर, और इन्सानी समझ से व्यावहारिक अनुभव की ओर बढ़ने के लिए विनती कर रहा है। (पौलुस "समझाते" का प्रयोग रोमियों १२:१ और इफिसियों ४:१ में भी स्थानिक सत्य से अनुभवात्मक उपयोग की ओर बदलाव के लिए भी करता है।) "उद्धार का दिन" मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने के समय का उल्लेख नहीं है, बल्कि व्यक्तिगत बचाव के समय के लिए है। पौलुस कह रहा था, "अब स्वीकार्य समय है। अब बचाए जाने का दिन है - कल या अगले दिन नहीं, लेकिन अभी।" आज कलीसियों में यह कितना संभव है? क्या अभी बचाव पाना संभव है बजाय जिस तरह से हम हमेशा रहे हैं उसी में जारी रहने के? हाँ, यह इब्रानियों ४:१२ के अनुसार है: "क्योंकि परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल, और हर एक दोधारी तलवार से भी बहुत चोखा है, और जीव, और आत्मा को, और गांठ गांठ, और गूदे गूदे को अलग करके, वार पार छेदता है; और मन की भावनाओं और विचारों को जांचता है।" यदि हम हमारे विचारों में बिना विचलन, बाधा, या विषयात्मकता को रखे केवल विश्वास करेंगे (मरकुस ५:३६), तो परमेश्वर का वचन जल्दी और शक्तिशाली तरीके से हमें अभी बचाने आ जाएगा। This series is translated from the booklet by Pastor Carl H. Stevens, Jr titled "Forgiven, Forgotten and Gone Forever."

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