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एक साहसी हृदय जिसने सेवा की
मार्था बेहतर की हकदार है। उसने सदियों से प्रचारकों और शिक्षकों से लूका रचित सुसमाचार के एक छोटी सी पंक्ति की वजह से बहुत बुराई सुनी है : "पर मार्था सेवा करते करते घबरा गई और उसके पास आकर कहने लगी; हे प्रभु, क्या तुझे कुछ भी सोच नहीं कि मेरी बहिन ने मुझे सेवा करने के लिये अकेली ही छोड़ दिया है? सो उस से कह, कि मेरी सहायता करे"(लूका १०:४०)। "घबरा गई" वाक्यांश मार्था के नाम से जुड़ गया है। यहां ‘कतार्गेओ’ यूनानी शब्द इस्तेमाल किया गया है, जो परवाहों या काम में अत्यधिक मशगूलता की बात करता है। यह इस तरह की मानसिकता से आने वाली फलवन्तता का भी जिक्र करता है। वह बहुत कुछ कर रही थी और वास्तव में कुछ भी नहीं कर पा रही थी। और वह यीशु उसके घर में इकट्ठे उस समूह से जो कह रहा था उससे वंचित रह जा रही थी। व्यवस्थापन और आतिथ्य में मार्था ऐसी कौशल थी कि यीशु और उसके चेले अक्सर उसके घर आया करते थे। वह और उसकी बहन और उसका भाई लाजर, हमेशा स्वामी और उसके पीछे आने वाली भीड़ के लिए जगह बना देते थे। ऐसा लगता है कि इस तरह के दौरों के विस्तृत काम ज्यादातर मार्था के सर पर आते थे और इस मौके पर उसने उस पल का वजन महसूस किया और अपनी भावनाओं को व्यक्त कर दिया। इस पद के संदर्भ को देखते हुए, मार्था वाकई दोषी थी। उसके खुद के कार्यों से स्वयं को दोषी ठहराया। आखिरकार, उसने अपनी याचिका सुनाने के लिए यीशु और उनके प्रवचन में रुकावट डाली। यह दृश्य एक जीवन का एक लज्जाजनक पल सामने लाता है। यकीनन हम सभी ऐसे क्षणों से गुजरे हैं। मार्था की समस्या यह है कि उसके इस पल की कहानी यीशु मसीह के जीवन के चार सुसमाचार में से एक में दर्ज है। अपनी बहन की ओर उसकी कुंठा और जिस तरह से उसने यीशु से हस्तक्षेप करने के लिए कहा बाइबिल के लाखों पाठकों को पता है। यीशु के पास जाओ इसके बारे में एक थोडा और ध्यान से सोचते हैं। मार्था अपने मुद्दे के साथ वाकई यीशु के पास गई। हम उसे मरियम की पीठ के पीछे चुगली करते नहीं पढ़ते हैं। यह नहीं लिखा है कि वह जो कोई भी सुने उससे अपना रोना रोई, "मैं विश्वास नहीं कर सकती कि मेरी बहन इस पार्टी में मेरी मदद नहीं कर रही है।" मार्था के पास एक समस्या थी और उसने उसके बारे में प्रभु से बात की। उसने उसे एक जवाब दिया: "... मार्था, हे मार्था; तू बहुत बातों के लिये चिन्ता करती और घबराती है। परन्तु एक बात अवश्य है, और उस उत्तम भाग को मरियम ने चुन लिया है: जो उस से छीना न जाएगा " (लूका १०:४१-४२)। शायद, मार्था यह जवाब सुनना नहीं चाहती थी; हालांकि, यही सुनने की उसे जरूरत थी। "खुली हुई डांट गुप्त प्रेम से उत्तम है," नीतिवचन २७:५ ऐसा कहता है। यीशु ने जरा भी सच को नहीं छिपाया। अपना प्रेम उसने कभी गुप्त नहीं रखा। उसने मार्था से प्रेम में बात की, बिलकुल वैसे ही जैसे उसने मरकुस १० में अनन्त जीवन पाने का तरीका पूछने वाले अमीर, युवा शासक से की थी - " यीशु ने उस पर दृष्टि करके उस से प्रेम किया, और उस से कहा, तुझ में एक बात की घटी है; जा, जो कुछ तेरा है, उसे बेच कर कंगालों को दे, और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा, और आकर मेरे पीछे हो ले" (मरकुस १०:२१)। जब हम यूहन्ना रचित सुसमाचार में मार्था के बारे में पदों को देखते हैं, तब हम उसका एक समग्र चित्र पाते हैं। वह यूहन्ना ११ में है, उसके भाई लाजर के कब्र में रखे जाने के बाद। वह सीधी मसीह के पास जाती है, उसे बैथनिया में उनके घर तक पहुँचने के पहले ही बीच में रोकती है। वह साहसी और सीधी थी: "यदि तू यहाँ होता, तो मेरा भाई न मरता," उसने कहा। यीशु ने उससे वादा किया कि लाजर फिर से जीवित होगा। मार्था यह जानती था और वह सामान्य रूप में यह विश्वास करती थी। उसने कहा, सब विश्वास करने वालों के लिए पुनरुत्थान का दिन आ रहा है। हम यह भी पढ़ते हैं कि उसने उससे यह भी कहा था कि वह उसे परमेश्वर के पुत्र, मसीह होने पर विश्वास करती थी (यूहन्ना ११:२४-२७ देखें)। इस पद मुझे बताता है कि जब यीशु आसपास होता था तब मार्था बहुत कुछ सुनती थी। न ही वह कोई यदाकदा की श्रोता थी। मसीह के व्यक्तित्व और आने वाले जीवन से संबंधित सिद्धांत उसे प्रिय थे। सिर्फ खुद होना बाद में, लाजर की कब्र पर, जब यीशु पत्थर हटाने का आदेश देता है तब मार्था अपने व्यावहारिक झुकाव की वजह से उसे चेतावनी देती है। "हे प्रभु, उस में से अब तो र्दुगंध आती है क्योंकि उसे मरे चार दिन हो गए" (यूहन्ना ११:३९ देखें)। कुछ लोग उसके इस विरोध को परमेश्वर के पुत्र के काम में हस्तक्षेप के रूप में देख सकते हैं। मैं इसे उस तरह नहीं देखता; मुझे लगता है कि यह मार्था का मार्था जैसे होना था। मेरे लिए, यह मार्था की खूबसूरती है। उसने कोई और बनने की कभी कोशिश नहीं की। मुझे लगता है कि यीशु के सामने के यह खुले और ढीठ क्षण उसकी परमेश्वर की उपस्थिति में सुरक्षा की भावना दिखाते हैं। इब्रानियों ४:१६ हमें "अनुग्रह के सिंहासन के सामने साहस से आने के लिए" कहता है । मार्था ने उससे जबकि वह पृथ्वी पर था साहस से बात की, जो अब अनुग्रह के सिंहासन पर बैठता है। मार्था ने यीशु से वह कहा जो वह सोचती था और ऐसा उसने बिना डरे किया। इस में हम सभी के लिए एक सबक है। यूहन्ना १२ की शुरुआत में एक और खुलासा करने वाला वाक्य पाया जा सकता है, यह अध्याय बैथनिया में मार्था के घर यीशु के साथ का समय है। यह वाक्य आसानी से नजरन्दाज हो सकता है क्योंकि यहाँ हम मरियम द्वारा मँहगे जटामांसी से यीशु के अभिषेक देखते हैं, जिस काम की वजह से यहूदा का तिरस्कार और परमेश्वर के पुत्र का उसके द्वारा विश्वासघात की शुरुआत के बारे में पढ़ते हैं। यूहन्ना १२ के पद २ की शुरुआत ऐसी है, "वहां उन्होंने उसके लिये भोजन तैयार किया, और मार्था सेवा कर रही थी...।" हां, कई बार हो सकता है जब मार्था एक ज्यादा ही व्यस्त हो गई होगी, या जरूरी कामों में व्यस्त हो गई होगी। तथापि, प्रभु के लिए, मार्था के तरीके बहुमूल्य थे, उतने ही कीमती जितने उसके लिए किए गए अन्य कार्य। मारथा ने उसकी सेवा की, मरियम ने उसका अभिषेक किया। मसीह के लिए, दोनों बहनों - मरियम और मार्था – ने जो कुछ भी किया वह इसलिए किया क्योंकि वे उसकी ओर अपने प्रेम में प्रेरित थीं। This article is the Hindi translation of the article ‘A Bold Heart Who Served’ published by Pastor Steve Andrulonis in www.ggwo.org.

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