साज़िश के विषय में उपदेश – २

अध्याय VI : यीशु मसीह के खिलाफ़ साज़िश

जो बात मैंने तुमसे कही थी, दास अपने स्‍वामी से बड़ा नहीं होता, उसको याद रखो। यदि उन्‍होंने मुझे सताया, तो तुम्हें भी सताएँगे (यूहन्ना १५:२०अ)।

यह जरूरी है कि मसीहियों को यीशु मसीह के खिलाफ़ चली गई साज़िशों के बारे में अवगत कराया जाए। वह जबसे पैदा हुआ उस दिन से लेकर जिस दिन वह सूली पर मरा, तब तक शैतान ने उसे नष्ट करने की कोशिश के लिए एक जटिल योजना ईजाद की।

उनके चले जाने के बाद प्रभु के एक दूत ने स्‍वप्‍न में यूसुफ को दिखाई देकर कहा, उठ, उस बालक को और उसकी माता को लेकर मिस्र देश को भाग जा; और जब तक मैं तुझसे न कहूँ, तब तक वहीं रहना; क्‍योंकि हेरोदेस इस बालक को ढूँढ़ने पर है कि उसे मरवा डाले” (मत्ती २:१३)।

जब हेरोदेस ने यह देखा, कि ज्योतिषियों ने उसके साथ धोखा किया है, तब वह क्रोध से भर गया, और लोगों को भेजकर ज्योतिषियों द्वारा ठीक ठीक बताए गए समय के अनुसार बैतलहम और उसके आस-पास के स्थानों के सब लड़कों को जो दो वर्ष के या उससे छोटे थे, मरवा डाला (मत्ती २:१६)।

यह मज़ेदार है कि यीशु, जो सिद्ध और निष्पाप था, वह साज़िश का शिकार बना। कुछ लोग गैरजिम्मेदारी में यह कह सकते हैं कि साज़िशें बाइबल में नहीं हैं और वे आज के कलीसिया में नहीं होती हैं। परंतु, यदि यीशु के खिलाफ़ साज़िशें की गईं और वह सिद्ध था, तो क्या विश्वासी, जो अनुग्रह से बचाए हुए असिद्ध पापी हैं, साज़िशों से मुक्त हो सकते हैं? बिलकुल नहीं! इसका मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति को भयभीत हो जाना चाहिए, फिर भी मसीहियों को इन सबसे अवगत और जानकार होना चाहिए, कि वे मौजूद होती हैं।

सचेत हो, और जागते रहो; क्‍योंकि तुम्हारा विरोधी शैतान गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किसको फाड़ खाए (१ पतरस ५:८)।

परमेश्वर के पुत्र के खिलाफ़ साज़िश कौन करेगा?

जब यह सवाल पूछा जाता है, तो ज्यादातर मसीही तुरंत बाहरी ओर से दुष्ट लोगों (कातिल, व्यभिचारी, इत्यादि) के बारे में सोचेंगे। सच है कि ऐसे लोग साज़िश में हिस्सा ले सकते हैं, पर जिन्होंने यीशु के खिलाफ़ चाल चली, वे बहुत धार्मिक लोग थे। वे ईमानदारी में विश्वास करते थे कि उसे मारकर वे परमेश्वर की ओर कृपा करेंगे। यीशु ने अपने चेलों को और सभी विश्वासियों को पहले से यह चेतावनी दी, कि उनके साथ भी वही वर्ताव किया जाएगा।

जिन्होंने यीशु के खिलाफ़ साज़िश की, उन्होंने यह इसलिए किया क्योंकि वे पिता को नहीं जानते थे। हो सकता है कि वे उसके बारे में बाहरी बातें जानते रहे हों, परन्तु वे उसका दिल नहीं जान पाए। अक्सर साजिशों में ऐसा ही होता है। तब भक्त सेवकों का व्यवस्था के अक्षर से आकलन किया जाता है, न कि उनके दिलों के द्वारा। इन्सान हमेशा बाहरी बाहरी चीजों की ओर देखता है, पर परमेश्वर दिल की ओर देखता है (१ शमूएल १६:७)। जब यीशु और उसके चेलों ने सब्त के दिन बालें खाईं, तब फरीसी पागल हो गए (मरकुस २:२३)। उन्होंने कहा कि यह नियम के अनुसार नहीं है। यीशु ने अति बुद्धिमत्ता में उनके सवाल का यह उत्तर दिया:

उसने उनसे कहा, क्‍या तुमने यह कभी नहीं पढ़ा कि जब दाऊद को आवश्यकता हुई, और जब वह और उसके साथी भूखे हुए, तब उसने क्‍या किया था? उसने कैसे अबियातार महायाजक के समय, परमेश्वर के भवन में जाकर भेंट की रोटियाँ खाईं, जिसका खाना याजकों को छोड़ और किसी को भी उचित नहीं, और अपने साथियों को भी दी?” और उसने उनसे कहा, सब्‍त का दिन मनुष्य के लिये बनाया गया है, न कि मनुष्य सब्‍त के दिन के लिए। इसलिये मनुष्य का पुत्र सब्‍त के दिन का भी स्‍वामी है (मरकुस २:२५-२८)।

यद्यपि यीशु ने अच्छी तरह से उस पर लगाए गए इल्ज़ामों का उत्तर दिया, पर वे संतुष्ट नहीं थे। उन्होंने “ईमानदार” सवाल नहीं पूछे थे, क्योंकि उनके छिपे हुए इरादे थे। लूका १३:११-१७ उस घटना का जिक्र करता है, जिसमें वह औरत अठारह साल से बीमारी में थी और “वह कुबड़ी हो गई थी और किसी रीति से सीधी नहीं हो सकती थी। यीशु मसीह ने उसे चंगाई दी और उसने परमेश्वर की महिमा की। इसमें क्या गलत हो सकता है? फिर भी, आराधनालय का शासक गुस्से और जलन से भर गया (पंक्ति १४)। उसने कहा, “छ: दिन हैं जिनमें काम करना चाहिए, अत: उन्ही दिनों में आकर चंगे हो, परन्तु सब्‍त के दिन में नहीं।” फिर से, यीशु ने उनके इल्ज़ामों का उत्तर दिया:

यह सुन कर प्रभु ने उत्तर दिया, “हे कपटियों, क्‍या सब्‍त के दिन तुममें से हर एक अपने बैल या गदहे को थान से खोलकर पानी पिलाने नहीं ले जाता? तो क्‍या उचित न था कि यह स्त्री जो अब्राहम की बेटी है जिसे शैतान ने अठारह वर्ष से बाँध रखा था, सब्‍त के दिन इस बंधन से छुड़ाई जाती?” जब उसने ये बातें कहीं, तो उसके सब विरोधी लज्ज़ित हो गए, और सारी भीड़ उन महिमा के कामों से जो वह करता था, आनंदित हुई (लूका १३:१५-१७)।

यीशु के खिलाफ़ साज़िशें क्यों हुईं?

मत्ती २७:१८ कहता है, क्योंकि वह जानता था कि उन्होंने उसे डाह से पकड़वाया है। सिर्फ स्वर्ग प्रकट करेगा कि जलन की वजह से कितनी साज़िशें रची गईं। डबल्यु. इ. वाइन कहते हैं, “जलन नापसंदगी की वह कामना है जो दूसरों के फायदे और खुशहाली को देखकर या सुनकर पैदा होती है।” जलन ऐसी भावना है जिसका किसी व्यक्ति के जीवन में हमेशा शैतान फायदा उठाता है। नीतिवचन १४:३० घोषणा करता है, “शान्त मन, तन का जीवन है, परन्तु  मन के जलने से हड्डियाँ भी जल जाती हैं। श्रेष्ठगीत ८:६ कहता है कि ईर्ष्या कब्र के समान निर्दयी है। यह इन्सान का गुस्सा है” (नीतिवचन ६:३४अ)। जलन एकलौता पाप है, जिसके लिए एक खास बलि थी (गिनती ५)।

कोई यह सवाल पूछ सकता है, कि वे यीशु से क्यों जले, जबकि वह तो उन्हें नष्ट करने नहीं बल्कि बचाने आया था? और यह इसलिये हुआ कि वह वचन पूरा हो, जो उनकी व्यवस्था में लिखा है, उन्‍होंने मुझसे व्यर्थ बैर किया” (यूहन्ना१५:२५)। यीशु ने उन्हें उससे जलने का कोई कारण नहीं दिया। मरकुस १४:४ में, कुछ लोग थे जो स्वयं में गुस्से से भरे हुए थे, और पूछा, इस इत्र का क्यों सत्यानाश किया गया?” कुछ लोग नाराज थे क्योंकि औरत ने इत्र को यीशु मसीह के सिर पर उण्डेला था। उन्हें ऐसा नहीं लगता था कि इत्र को इस्तेमाल करने का यह सबसे अच्छा तरीका था।

क्योंकि यह इत्र तो तीन सौ दीनार से अधिक मूल्य में बेचा जाकर कंगालों में बाँटा जा सकता था, और वे उसको झिड़कने लगे। यीशु ने कहा; उसे छोड़ दो; उसे क्‍यों सताते हो? उसने तो मेरे साथ भलाई की है (मरकुस १४:५,६)।

उन्होंने यीशु के खिलाफ़ साज़िश क्यों की? यह वाकई में अधर्म का रहस्य है। जैसा पहले बताया गया था, उन्हें ऐसा लग रहा था कि वह परमेश्वर पर कृपा कर रहे थे। यह एक विरोधाभास है! वे परमेश्वर के पुत्र पर चाल चलकर और उसे मार कर परमेश्वर की “मदद” कर रहे थे। वे इस बात से अनभिज्ञ थे कि वे क्या कर रहे थे। जिसे इस संसार के हाकिमों में से किसी ने नहीं जाना, क्‍योंकि यदि जानते, तो तेजोमय प्रभु को क्रूस पर न चढ़ाते” (१ कुरिन्थियों २:८)।

उन्होंने मसीह के खिलाफ़ साज़िश कैसे की?

मत्ती २६:४ में, लिखा गया है कि साज़िश करने वालों ने &amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;amp;lt;em&amp;gt;मशविरा किया कि जिससे वे यीशु को चालाकी से पकड़कर मार सकें।</em> वचन ४ में “मशविरा,” यूनानी शब्द समबुलियो/sumbouleuo है, जिसका मतलब है “मिलजुल कर सलाह देना और व्यवस्थित तरीके से जानबूझ कर धोखे, छल और चालाकियों का मारने के लिए इस्तेमाल  करना।” लगातार, यीशु मसीह एक षडयंत्र का निशाना था। लूका २२:४ में, यहूदा “मुख्य याजकों और पहरुओं के सरदारों के साथ बातचीत की, कि उसको किस प्रकार उनके हाथ पकड़वाए।” “बातचीत” यूनानी शब्द सलेलिओ/sullaleo है, जिसका मतलब “मिलकर बात करना, बातचीत करना जब तक कि वे योजना को सिद्धता से न जान जाएँ।” यह माना जा सकता है कि साज़िश एक व्यक्ति या समूह के खिलाफ़ सोचा-समझा, परिभाषित कार्य है।&lt;/p> &amp;lt;p&amp;gt;&amp;lt;p&gt;&amp;lt;p&amp;gt;मत्ती २७:१ यह कहता है कि मुख्य याजक और अगुवों ने यीशु को मार डालने की सम्मति की। “सम्मति” यूनानी में समबुलिऑन/sumboulion है, और उसका मतलब होता है “जानकारी इकट्ठा करने के द्वारा योजना बनाना।” लूका ६:११ में, परन्तु  वे आपे से बाहर होकर आपस में विवाद करने लगे कि हम यीशु के साथ क्‍या करें?” “आपस में विवाद करना” यूनानी भाषा में डायालेलियो/dialaleo है, जिसका मतलब होता है “एक सिद्ध समूह में बात करना, ब्योरा देना, सभी लोगों को यह सूचना देना जिससे दूसरे नई जानकारी प्राप्त कर सकें।”

बाइबल साजिशों के गुणों की सूची में बहुत खास जानकारी देती है। लूका १९:४७ में, परमेश्वर का वचन कहता है, और वह प्रतिदिन मंदिर में उपदेश करता था: और महायाजक और शास्त्री और लोगों के रईस उसे नाश करने का अवसर ढूंढ़ते थे। ज़ेटिओ/zeteo यूनानी भाषा में “खोजना” के लिए शब्द है। इसका मतलब होता है, “उसके सबसे खतरनाक दुश्मनों की खोजबीन के द्वारा एक चाल।” दूसरे शब्दों में, इन्होंने यह पता लगाया कि उसके सबसे खतरनाक दुश्मन कौन थे और उनसे खोजबीन करके चालें चलने लगे। यूहन्ना ११:४७ कहता है, इस पर महायाजकों और फरीसियों ने मुख्य सभा के लोगों को इकट्ठा करके कहा, हम करते क्या हैं? यह मनुष्य तो बहुत चिन्ह दिखाता है। “इकट्ठा होना” यूनानी भाषा में सुनागो/sunago है, जिसका मतलब है “एक दूसरे की ओर दयालुता और आतिथ्य के साथ सभा करना, जिससे यह दिखाया जा सके कि वे परमेश्वर पर कृपा कर रहे हैं।” अंतत: यूहन्ना ११:५३ में, सो उसी दिन से वे उसको मार डालने की सम्मति करने लगे। यूनानी भाषा में “साथ में सम्मति करना” सुमबुलेयो/sumbouleuo है, जो कि वही शब्द है जो मत्ती २६:४ में इस्तेमाल  है। इसका मतलब है, “उन्होंने, काफी सोच विचार के बाद, एक तय किया हुआ मारने का निर्णय सिफारिश किया ।” यह साफ है कि साज़िश की चाल, प्रक्रियाएँ, रणनीति और हर हिस्सा अधर्म के एक जटिल संस्थान के द्वारा परमेश्वर के काम को नष्ट करने के लिए रचित होता है।

मसीह के खिलाफ़ झूठे गवाह

महायाजक और सारी महासभा यीशु को मार डालने के लिये उसके विरोध में झूठी गवाही की खोज में थे। परन्तु बहुत से झूठे गवाहों के आने पर भी न पाई (मत्ती २६:५९-६०)।

ज्यादातर साज़िशों में झूठे गवाह शामिल होते हैं, जो सत्य को विकृत करते हैं। यहाँ पर यह मजेदार है कि मुख्य याजक, अगुवे और महासभा वे लोग थे, जो ऐसे गवाह खोज रहे थे। उन्हें पता था कि उनके पास उसके खिलाफ़ कानूनी आरोप नहीं है, तो उन्होंने कुछ आरोप बनाने की कोशिश की। झूठे गवाहों ने यीशु के विषय में कहा:

अन्‍त में दो जनों ने आकर कहा, कि उसने कहा है; कि मैं परमेश्वर के मंदिर को ढा सकता हूँ और उसे तीन दिन में बना सकता हूँ। तब महायाजक ने खड़े होकर उससे कहा, तू कोई उत्तर नहीं देता? ये लोग तेरे विरोध में क्‍या गवाही देते हैं? परन्तु यीशु चुप रहा: महायाजक ने उससे कहा। मैं तुझे जीवते परमेश्वर की शपथ देता हूँ, कि यदि तू परमेश्वर का पुत्र मसीह है, तो हमसे कह दे। यीशु ने उससे कहा; तू ने आप ही कह दिया; वरन् मैं तुमसे यह भी कहता हूँ, कि अब से तुम मनुष्य के पुत्र को सर्वशक्तिमान की दाहिनी ओर बैठे, और आकाश के बादलों पर आते देखोगे। तब महायाजक ने अपने वस्‍त्र फाड़कर कहा, इसने परमेश्वर की निंदा की है, अब हमें गवाहों का क्‍या प्रयोजन? देखो, तुमने अभी यह निन्दा सुनी है (मत्ती २६:६१-६५)।

वे सैकड़ों हजारों ऐसे लोग बुला सकते थे, जिनका जीवन यीशु ने बदला और चंगा किया था। परंतु महासभा को ऐसे किसी भी गवाह की आवश्यकता नहीं थी। दो झूठे गवाह काफी थे। अफ़सोस है कि ज्यादातर साजिशों में इसी तरीके की “वस्तुनिष्ठता” इस्तेमाल होती है। वे लोग सिर्फ यह कारण निकालने में इच्छुक थे, कि यीशु को मृत्यु दंड क्यों दिया जाए (पंक्ति ५९)।

तुम क्‍या समझते हो? उन्‍होंने उत्तर दिया, यह वध होने के योग्य है। तब उन्‍होंने उसके मुँह पर थूका, और उसे घूँसे मारे, औरों ने थप्‍पड़ मार के कहा। हे मसीह, हमसे भविष्यद्वाणी करके कह: कि किसने तुझे मारा? (मत्ती २६:६६-६८)।

पवित्रशास्त्र से लिए गए इस अध्याय में दिए गए उदाहरण की गवाही के अनुसार यह साफ है कि अपनी धरती की सेवकाई के दौरान यीशु मसीह लगातार आक्रमण से गुजर रहा था। आज मसीही इस धरती पर मसीह के राजदूत और प्रतिनिधि हैं (२ कुरिन्थियों ५:२०)। वे जीवित पत्रियाँ हैं, जो इस संसार को मसीह प्रकट करते हैं (२ कुरिन्थियों ३:२-३)। विश्वासियों के पास मसीह है, जो उनमें महिमा की आशा है (कुलुस्सियों १:२७), जो उन्हें शैतान के आक्रमणों का मुख्य निशाना बना देता है। मसीह के खिलाफ़ हुई साजिशों पर ध्यान देकर परमेश्वर के पुत्रों को प्रोत्साहन दिया गया है कि तुम, निदान, प्रभु में और उसकी शक्ति के प्रभाव में बलवंत बनो और फिर परमेश्वर के सारे हथियार बांध लो; कि तुम शैतान की युक्तियों के सामने खड़े रह सको” (इफिसियों ६:१०)।

अध्याय VII : &lt;/strong><strong><em&gt;साज़िश पर टिप्पणी&lt;/strong></p>

<p>यह अध्याय साज़िशों के विषय में आगे अध्ययन

le="text-align: center;">करने में मदद करने के लिए एक मार्गदर्शक के अभिप्राय से लिखा गया है। यह बुराई के चार आरोपों को स्पष्ट करता है और संक्षिप्त में पुराने नियम में मिसाल दी गई विभिन्न प्रकार की साज़िशों की परिभाषा देता है। यह हिस्सा किसी भी तरह से एक सम्पूर्ण पाठ नहीं है; बल्कि यह इस विषय में विचारों को उत्तेजित करने के लिए रूपरेखा के तौर पर रचित है।

शैतान की बुराई की प्रणाली

पूरी बाइबल में, पवित्र आत्मा “बुराई” शब्द को शैतान की प्रणाली का वर्णन करने में इस्तेमाल करता है। बुराई वह नीति है, जिसके द्वारा शैतान कार्य करता है। उसकी राजसत्ता विश्वासी की आत्मिक क्षमता को नष्ट करने के लिए जटिल रूप से रचित है। उसने इस संसार की व्यवस्था (कॉसमॉस) को अपने आदर्शों, मकसदों, और तरीकों को अग्रसर करने के लिए अनुरूप किया है।

लुईस स्पेरी शेफर बताते हैं, “कॉसमॉस में बुराई की जड़ यह है कि उसमें एक पूरी तरह से सिद्ध प्रणाली या व्यवस्था है, जो परमेश्वर से पूरे स्वावलंबन पर आधारित तरीके में है।” शेफर आगे कहते हैं, “विश्वासयोग्य पासवान या प्रचारक पर शैतान की प्रत्येक युक्ति के द्वारा बहुत कष्टदायी रूप से धावा बोला जाता है, जो अनुग्रह के इकलौते सर्व-आवश्यक संदेश को विकृत करके उसमें बदलना चाहता है, जो महत्वपूर्ण नहीं। अवश्य विश्वासी के पास भरपूर कारण हैं, कि शैतान और शैतान की सेना से अपने सारे जीवन और सेवकाई में अति-भीषण मुकाबले की आशा करे।”

यह आवश्यक है कि बुराई और व्यक्तिगत पाप में फर्क किया जाए। व्यक्तिगत पाप का मतलब यह जरूरी नहीं है कि कोई व्यक्ति शैतान की राजसत्ता की प्रणाली में हिस्सा ले रहा है। जब कोई विश्वासी इस तरीके का पाप करता है, वह परमेश्वर के साथ संगति तोड़ता है। यदि वह १ यूहन्ना १:९ के अनुसार पश्चाताप नहीं करता है, तो वह अवश्य अपने स्वर्गीय पिता की ओर से ताड़ना का पात्र बनेगा (इब्रानियों १२:६-११; नीतिवचन ३:११,१२)। पर जब कोई मसीही एक बुराई की प्रणाली का हिस्सा बनता है, तब वह व्यक्तिगत पाप करने से कहीं आगे जा चुका है (१ इतिहास २१:१७)। अब वह उस संस्था का मित्र बन गया है, जो शैतान द्वारा मसीहियों से यीशु मसीह की सिद्धता का अनुभव छीनने और परमेश्वर की ईश्वरीय योजना को नुकसान पहुँचाने के लिए इस्तेमाल की जाती है। यीशु मसीह ने अपने शिष्यों को प्रार्थना करना सिखाया कि हमें “बुराई से बचा” (मत्ती ६:१३)। दूसरे शब्दों में, उसने उन्हें बुराई की असलियत और उससे सुरक्षा के लिए प्रार्थना करना सिखाया। दो प्रणालियाँ अस्तित्व रखती हैं: ईश्वरीय अच्छाई और बुराई की एक प्रणाली। नीतिवचन १५:३ कहता है, “यहोवा की आँखें सब स्थानों में लगी रहती हैं, वह बुरे भले दोनों को देखती रहती हैं।

निम्नलिखित टिप्पणी बुराई की चार अवस्थाओं की प्रगति को परिभाषित करती है।

आंतरिक बुराई

आंतरिक बुराई का नाम यह इसलिए है, क्योंकि उसका वास्ता इन्सान के अनिवार्य स्वभाव से है। उसकी गिरी हुई अवस्था पूरी तरह से भ्रष्ट है। यिर्मयाह १७:९ इस सच्चाई की गवाही की संपुष्टि करता है, “मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है, उसका भेद कौन समझ सकता है?” “बुराई” के लिए इब्रानी शब्द अनाश/anash है, जिसका मतलब होता है “लाइलाज बीमारी और स्वभाव में बुराई।” मरकुस ७:१८-२३ कहता है:

उसने उनसे कहा, क्‍या तुम भी ऐसे नासमझ हो? क्‍या तुम नहीं समझते, कि जो वस्‍तु बाहर से मनुष्य के भीतर जाती है, वह उसे अशुद्ध नहीं कर सकती। क्‍योंकि वह उसके मन में नहीं; परन्तु पेट में जाती है, और संडास में निकल जाती है यह कहकर उसने सब भोजन वस्‍तुओं को शुद्ध ठहराया। फिर उसने कहा, जो मनुष्य में से निकलता है, वही मनुष्य को अशुद्ध करता है। क्‍योंकि भीतर से अर्थात्‍ मनुष्य के मन से, बुरे बुरे विचार, व्यभिचार, चोरी, हत्या, परस्त्रीगमन, लोभ, दुष्‍टता, छल, लुचपन, कुदृष्‍टि, निन्‍दा, अभिमान, और मूर्खता निकलती हैं। ये सब बुरी बातें भीतर ही से निकलती हैं और मनुष्य को अशुद्ध करती हैं।

थायर टिप्पणी करते हैं कि हृदय वह भण्डार है, जिसके द्वारा इन्सान बुरे शब्द लेकर आता है:

भला मनुष्य अपने मन के भले भण्‍डार से भली बातें निकालता है, और बुरा मनुष्य अपने मन के बुरे भण्‍डार से बुरी बातें निकालता है; क्‍योंकि जो मन में भरा है वही उसके मुँह पर आता है (लूका ६:४५)।

बुरा विवेक दुष्टता से परिचित होता है। इब्रानी १०:२२ हमें प्रत्येक मनुष्य की मसीह के लहू से हृदय के छिड़के जाने और परमेश्वर के वचन के शुद्ध जल के द्वारा धोए जाने की जरूरत के बारे में बताता है।

तो आओ, हम सच्‍चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिए हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएँ (इब्रानी १०:२२)।

शैतान की रणनीति मनुष्य की आतंरिक बुराई का फायदा उठा लेने की है। रोमियों १२:२१ आज्ञा देता है, “बुराई से न हारो, परन्तु  भलाई से बुराई को जीत लो।” “बुराई से न हारो” यूनानी भाषा में मे निको है। यह निकाओ/nikao का वर्तमान, कर्मवाच्य और आज्ञासूचक है, जिसका मतलब होता है “आतंरिक बुराई की ताकतों को अपने प्राणों, अपने मन और भावनाओं पर कब्जा न करने दो।” आज्ञासूचक क्रियार्थ नकारात्मक के साथ इस्तेमाल  किया गया है, जिसका मतलब है कि इन विश्वासियों ने पहले ही अपने प्राणों में इस प्रक्रिया को होने दिया था। प्रेरित पौलुस उन्हें आज्ञा दे रहा था कि इस प्रणाली के काबू में न आएँ, बल्कि ईश्वरीय अच्छाई की प्रणाली के वश में रहें।

ध्यान दें कि शैतान की सबसे पहली रणनीति विश्वासियों को उस स्थान पर लाना है, जहाँ बुराई उनके प्राणों पर कब्जा कर लेती है। पौलुस ने कहा, “इस प्रकार मैं यह व्यवस्था पाता हूँ कि जब भलाई करने की इच्‍छा करता हूँ, तो बुराई मेरे पास आती है (रोमियों ७:२१)

इस तरीके की बुराई के लिए यूनानी शब्द काकोस/kakos है, और इसका मतलब होता है “चरित्र में बुरा।” एक और परिभाषा है “गुणों, भावनाओं, इच्छाओं और कर्मों में नैतिक बुराई या व्यक्तिगत भ्रष्टाचार के द्वारा स्वयं को नष्ट करना।”

आंतरिक बुराई के नियंत्रण में शुरुआती चरण

आंतरिक बुराई को समझना हमेशा आसान नहीं होता। शैतान विश्वासी को परमेश्वर के मुँह से निकलने वाले हर एक वचन से (मत्ती ४:४) जीने की बजाय भावनाओं से जीने में प्रभावित करने के द्वारा उसके जीवन में इस प्रक्रिया को शुरू करता है। यह मसीही जीवन की घटनाओं का विश्वास से नहीं (२ कुरिन्थियों ५:७) बल्कि नज़र से आकलन करता है। उसकी दोस्तियाँ व्यक्तित्व की पसंद के द्वारा न कि उपदेश की पसंद पर केंद्रित होती हैं। इन्सानी ईमानदारी, भावनात्मकता, और इन्सानों की प्रशंसा उसे ज़्यादा आवश्यक होती है, बजाय परमेश्वर की प्रशंसा के। आमतौर पर इस तरह का विश्वासी किसी भी उस सताव को बुरा मानेगा, जो उसकी कलीसिया सामना कर रही हो, और ऐसे तरीके पर ध्यान देगा, जिससे वह और उसकी कलीसिया लोगों की स्वीकृति पा सके। यह सच है कि जब कोई परमेश्वर के वचन को मार्गदर्शक के तौर पर छोड़ देता है, तो उसे दूसरों द्वारा स्वीकार किया जाना खोजना पड़ता है। वास्तविकता में, उसकी भावनाएँ अक्षरशः इन्सान की स्वीकृति के लिए ललचती हैं। उसका हृदय पहले ही पवित्रशास्त्र के दायरे से उलटा रहना तय कर चुका है, क्योंकि शैतान ने उसे क्रूस से आज़ाद कर दिया है। अत: विश्वासी अपने अनुभव के अनुसार परमेश्वर के वचन का व्यक्तिगत अनुवाद करता है। व्यक्तिगत अनुभव और लाईलाज जख्म परमेश्वर के वचन के खिलाफ़ आलोचक बन जाते हैं। यह व्यक्ति बुद्धिमानी और वस्तुनिष्ठता के साथ कार्य करने की क्षमता नहीं रखता। विषयात्मकता हमेशा उस व्यक्ति को प्रभावित करती है, जो आतंरिक बुराई का शिकार है।

बुराई के अपने व्यवस्थापन, सरकार, वातावरण, और प्रणाली के द्वारा शैतान यह पैदा करता है कि वस्तुएं, लोग और हालातें विश्वासी के जीवन में परमेश्वर की उपस्थिति और संगति का स्थान पा लें। वे व्यक्ति जिन्होंने जीवन में स्वयं को शैतान की प्रणाली का हिस्सा बनने दिया है, वे अब सत्य की सराहना और प्रत्युत्तर लंबे समय तक सही, लगातार और प्रभावशाली तरीके से नहीं कर पाते। जैसे-जैसे मसीही का परमेश्वर के वचन की ओर मनोभाव नकारात्मक होता जाता है, वह आंतरिक साज़िश के लिए तैयार कर दिया जाता है। जैसे कि यिर्मयाह १७:९ कहता है, “<em>मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देनेवाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है?”

संक्रामक बुराई

संक्रामक बुराई का एक महत्वपूर्ण गुण यह है कि यह फ़ैलने वाली होती है। इसलिए इस अगले चरण को “संक्रामक” कहा गया है। दूसरे लोग इससे संक्रमित होते हैं। जो विश्वासी आंतरिक बुराई से प्रभावित हुआ है, वह आतंरिक रूप से परमेश्वर के वचन की ओर नकारात्मक होता है, और स्वयं को दोषरहित साबित करने और अपने स्वार्थी प्रयोजनों का बचाव करने के लिए अपनी धूर्तता से दूसरों को प्रभावित करने की कोशिश करता है। २ तीमुथियुस ३:१३ कहता है, “और दुष्‍ट, और बहकाने वाले धोखा देते हुए, और धोखा खाते हुए, बिगड़ते चले जाएँगे।” यहाँ पर बुराई पोनेरोस/poneros है, जिसका मतलब है “दुष्ट, मूल्यहीन, नैतिक, या आचार संबंधी भ्रष्टता।”

ग्लानि इस श्रेणी के व्यक्ति की प्रधान मूल प्रेरणा होती है। वैसे तो पवित्र आत्मा हमेशा प्रेम में निरुत्तर करने के लिए विश्वासयोग्य होता है (यूहन्ना १६:८-९), फिर भी यह व्यक्ति दूसरों का नुकसान करके स्वयं को निर्दोष साबित करने में ज़्यादा सचेत होता है। वह जो लोग बाइबल की ओर अपने दृढ़ निश्चयों में सच्चे होते हैं, उन्हें दोषी करार करता है, जिससे वह स्वयं धर्मी दिखाई पड़ सके (अय्यूब ४०:८)।

जुबान वह औजार है, जो शैतान इस व्यक्ति के आसपास के लोगों को संक्रमित करने के लिए इस्तेमाल करता है। याकूब ३:८ परिभाषित करता है, “पर जीभ को मनुष्यों में से कोई वश में नहीं कर सकता; वह एक ऐसी बला है जो कभी रुकती ही नहीं; वह प्राणनाशक विष से भरी हुई है।” फिर से, थायर सामने लाता है कि जुबान उस बुराई (काकोस) से भरी हुई है, जो नुकसान पहुँचाती है।

आजकल बुराई की ताकत और प्रभाव अपरिहार्य है। यह अफ़सोस की बात है कि कई लोग इसके बारे में अवगत भी नहीं हैं। अक्सर, यदि इस तरह के छल में पड़े हुए उस व्यक्ति के साथ जब पहल की जाती है और एक प्रभु के दास के द्वारा वह नम्रता से सुधारा जाता है, तब सलाह को स्वीकार करने की बजाय वह व्यक्ति संभवत: उसे उपहासित करता है। इस व्यक्ति ने अपना हृदय कठोर किया है और वह परमेश्वर की आवाज़ नहीं सुनता है (इब्रानियों ३:१५)। यदि परमेश्वर का वचन उसका मार्गदर्शक नहीं है, तो उसकी मदद कैसे की जा सकती है? कई बार, यह व्यक्ति एक कलीसिया के किसी अगुवे पर सुधार के बाहर होने का इल्ज़ाम लगाएगा, जबकि असलियत में वह खुद है जिसने परमेश्वर के सुधार की ओर अपना हृदय कठोर किया है। तीतुस १:९-१२ इन दोनों के बीच के फर्क का वर्णन करता है:

और विश्वासयोग्य वचन पर जो धर्मोपदेश के अनुसार है, स्थिर रहे, कि खरी शिक्षा के उपदेश दे सके, और विवादियों का मुँह भी बन्‍द कर सके। क्‍योंकि बहुत से लोग निरंकुश बकवादी और धोखा देने वाले हैं, विशेष करके खतनावालों में से। इनका मुँह बन्‍द करना चाहिए: ये लोग नीच कमाई के लिए अनुचित बातें सिखाकर घर के घर बिगाड़ देते हैं। उन्‍हीं में से एक जन ने जो उन्‍हीं भविष्यद्वक्ता हैं, कहा है, कि क्रेती लोग सदा झूठे,  दुष्‍ट पशु और आलसी पेटू होते हैं।   

ऐसे व्यक्ति अनियंत्रित, व्यर्थ की बातें करने वाले और छल करने वाले होते हैं। फिलिप्पियों ३:२ उन्हें “दुष्ट कार्यकर्ताकहता है। वे सिर्फ कुछ लोगों को संक्रमित करके शुरुआत करते हैं। फिर, आम तौर पर बुरी खबरों के द्वारा वे पूरे घरों को पलटते हैं। संक्रामक बुराई एक छोटे समूह की साज़िश है। अगला चरण अपने प्रभाव में उससे बहुत बढ़कर बड़े पैमाने पर होता है।&lt;/p>

<p>ass="yoast-text-mark">lass="">="&amp;quot;yoast-text-=">सामुदायिक बुराई

बुराई स्वभाव से पुनरुत्पादक होती है। एक छोटा समूह जो संक्रामक बुराई में हिस्सा ले रहा है, आम तौर पर तीसरे तरीके की बुराई में विकसित होता है – सामुदायिक। नीतिवचन ४:१४-१७ कहता है:

दुष्टों की बाट में पाँव न धरना, और न बुरे लोगों के मार्ग पर चलना। उसे छोड़ दे, उसके पास से भी न चल, उसके निकट से मुड़कर आगे बढ़ जा। क्योंकि दुष्ट लोग यदि बुराई न करें, तो उनको नींद नहीं आती; और जब तक वे किसी को ठोकर न खिलाएँ, तब तक उन्हें नींद नहीं मिलती। वे तो दुष्टता से कमाई हुई रोटी खाते, और उपद्रव के द्वारा पाया हुआ दाखमधु पीते हैं।</em></p>

ये पंक्तियाँ सामुदायिक बुराई, या एक बड़े समूह की साज़िश के बारे में सटीकता से बोल रही हैं। इस अवस्था में यह व्यक्ति सचमुच परमेश्वर के नाम में परमेश्वर के प्रतिनिधियों को नष्ट करने के लिए पागल है। वे तब तक बेचैन हैं, जब तक किसी को गिराने में सफल न हों (पंक्ति १६)। जैसा हमने पहले उल्लेख किया था, फरीसियों और मुख्य याजकों (एक बड़े समूह) ने नए नियम के दौरान कई बार मसीह को नष्ट करने की कोशिश की (मत्ती २६:५९; लूका १९:४७; यूहन्ना ११:४७,५३)। सामूहिक बुराई अपने मकसदों को आगे बढ़ाने के लिए अविश्वासियों को हिस्सा लेने के लिए शामिल करा सकती है। प्रेरितों के काम १४:२ कहता है, “परन्तु न मानने वाले यहूदियों ने अन्य जातियों के मन भाइयों के विरोध में उसकाए, और बिगाड़ कर दिए।” यूनानी में, यह क्रिया “विरोध में उकसाए” एकाकोसान/ekakosan है, जो काको/kakoo का एक सामान्य भूत, कर्तृवाच्य संकेतात्मक है, जिसका मतलब होता है “चोट पहुँचाना या बुरा प्रभाव डालना।” संकेतात्मक मूड का मतलब है कि यह असलियत है और बिलकुल निश्चित रूप से किया गया है। वे किस चीज़ पर प्रभाव डालते हैं? भाइयों (अथवा विश्वासियों के किसी फलदायी समूह) के खिलाफ विश्वासियों और अविश्वासियों दोनों ही के मनों को। वे ऐसा कैसे करते हैं? अपयश और बुरी खबरों को फैलाने के द्वारा। यीशु की आम सेवकाई के दौरान फरीसियों और शास्त्रियों ने उसे एक पियक्कड़ आदमी, पेटू आदमी और चंदा वसूलने वालों और पापियों का दोस्त कहा (लूका ७:३४)।

ये संबोधन निश्चय ही वे नहीं हैं, जिनके द्वारा बुलाए जाने पर कोई नया जन्म पाया विश्वासी गर्व करेगा। यूहन्ना ५:१८ में, यीशु मसीह पर पिता से बराबरी करने का इल्ज़ाम लगाया गया। उन्होंने एक सिद्ध मसीह पर इल्ज़ाम लगाया जबकि वे स्वयं अपूर्ण पापी थे। ध्यान दें, यीशु ने कभी भी उनकी ओर अपयश भरे वाक्यों की पहल नहीं की; परंतु मत्ती २३ में उसने जरूर परमेश्वर के नाराज दिल को उन पर प्रकट किया।

यीशु से कोई भी यह पाठ सीख सकता है कि यदि हालात पैदा होते थे, तो वह फरीसियों से सामना करता था, पर उसने उन्हें अपने आप को कभी भी उस मकसद से परे नहीं हटाने दिया, जिसके लिए वह आया था – “क्योंकि मनुष्य का पुत्र खोए हुओं को ढूंढ़ने और उद्धार करने आया है(लूका १९:१०)। इसके अतिरिक्त, सभी साज़िशें जो कलीसियों में होती हैं, मसीहियों के यीशु मसीह के सुसमाचार के प्रसार करने में गतिरोध के लिए होती हैं।

षडयंत्रपूर्ण बुराई

भजन संहिता २ षडयंत्रपूर्ण बुराईयों के विषय में बातें करता है, जो पूरी जाति में हो रही साज़िश के लिए इस्तेमाल शब्द है।</p></p></p>

 

<p>&lt;em&gt;जाति जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं</em>&amp;amp;amp;amp;amp;amp;lt;em&gt;,</em> और देश देश के लोग व्यर्थ बातें क्यों सोच रहे हैं? यहोवा के और उसके अभिषिक्त के विरूद्ध पृथ्वी के राजा मिलकर और हाकिम आपस में सम्मति करके कहता है, कि आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें, और उनकी रस्सियों को अपने ऊपर से उतार फेंके। वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हँसेगा, प्रभु उनको ठट्ठों में उड़ाएगा। तब वह उनसे क्रोध करके बातें करेगा, और क्रोध में कहकर उन्हें घबरा देगा (भजन संहिता २:१-५)। 

इस

तरीके की साज़िश निश्चय संभव है, और तब हो सकती है, जब सारी जाति या देश यीशु मसीह के विश्वासियों के खिलाफ़ चालें चलना शुरू करें। षडयंत्रपूर्ण बुराई के अगुवे व्यर्थ बातें कल्पना करते हैं, स्वयं को शासक नियुक्त करते हैं और प्रभु के खिलाफ़ सलाह करते हैं।

फौलोस/Phaulos बुराई के लिए एक और यूनानी शब्द है, जिसका मतलब होता है “अपने संदेश को हवा में उड़ाना, जिससे वह सब जगह फैले और हवा के साथ उसे प्रसारित करे।” मूल्यहीन सूचना साज़िश के शिकार को हराने के लिए फैलाई जाती है। इस तरह की बुराई रोशनी में नहीं आएगी और न जो लोग रोशनी में चलते हैं, उन्हें सुनेगी (यूहन्ना ३:१९)

विभिन्न तरह की साज़िशें

साजिशों के विषय में कुछ टिप्पणियां और पवित्रशास्त्र से विभिन्न प्रकार के उदाहरण निम्नलिखित हैं।

<p&gt;राष्ट्रीय स</em>ाज़िश</em&gt; - यह तब होती है, जब एक राष्ट्र या एक जाति के किसी अगुवे के खिलाफ़ एक समूह बन जाता है। गिनती १६:३ में कोराह के पुत्र मूसा और हारून के खिलाफ़ इकट्ठे हुए। इसके अतिरिक्त, “इकट्ठे हुए” शब्द वह इब्रानी शब्द है, जिसका मतलब है “एक बड़ी भीड़ को इकट्ठा, समाह्वान करना।” यिर्मयाह के खिलाफ़ यिर्मयाह ११:९-१०अ में एक राष्ट्रीय साज़िश का जिक्र है:</p> <p>फिर यहोवा ने मुझसे कहा<em>,</em> यहूदियों और यरूशलेम के निवासियों में विद्रोह पाया गया है। जैसे इनके पुरखे मेरे वचन सुनने से इनकार करते थे, वैसे ही ये भी उनके अधर्मों का अनुसरण करके दूसरे देवताओं के पीछे चलते और उनकी उपासना करते हैं।</em></p>

&lt;p&amp;gt;&lt;em>धार्मिक साज़िश - एक धार्मिक साज़िश में विधिवादिता के मापदंड परमेश्वर के एक संदेशवाहक पर आक्रमण करने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। ऐसी एक साज़िश में हिस्सा ले रहे लोग अक्सर अपने खुद के फायदे या लाभ के लिए दूसरों का फायदा उठाते हैं। यहेजकेल २२:२३-३१ में एक उदाहरण आलेखित किया गया है:

<p>फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा; हे मनुष्य के संतान, उस देश से कह, तू ऐसा देश है जो शुद्ध नहीं हुआ, और जलजलाहट के दिन में तुझ पर वर्षा नहीं हुई। तेरे भविष्यवक्ताओं ने तुझमें राजद्रोह की गोष्ठी की, उन्होंने गरजने वाले सिंह के समान अहेर पकड़ा और प्राणियों को खा डाला है; वे रखे हुए अनमोल धन को छीन लेते हैं, और तुझमें बहुत स्त्रियों को विधवा कर दिया है। उसके याजकों ने मेरी व्यवस्था का अर्थ खींच-खांचकर लगाया है, और मेरी पवित्र वस्तुओं को अपवित्र किया है; उन्होंने पवित्र-अपवित्र का कुछ भेद नहीं माना, और न औरों को शुद्ध-अशुद्ध का भेद सिखाया है, और वे मेरे विश्रामदिनों के विषय में निश्चिंत रहते हैं, जिससे मैं उनके बीच अपवित्र ठहरता हूँ। उसके प्रधान भेड़ियों के समान अहेर पकड़ते, और अन्याय से लाभ उठाने के लिए हत्या करते हैं और प्राणघात करने को तत्पर रहते हैं। उसके भविष्यवक्ता उनके लिए कच्ची लेसाई करते हैं, उनका दर्शन पाना मिथ्या है; यहोवा के बिना कुछ कहे भी वे यह कहकर झूठी भावी बताते हैं कि प्रभु यहोवा यों कहता है।देश के साधारण लोग भी अन्धेर करते और पराया धन छीनते हैं, वे दीन दरिद्र को पीसते और न्याय की चिन्ता छोड़कर परदेशी पर अंधेर करते हैं। मैंने उनमें ऐसा मनुष्य ढूंढ़ना चाहा जो बाड़े को सुधारे और देश के निमित्त नाके में मेरे सामने ऐसा खड़ा हो कि मुझे उसको नाश न करना पड़े, परन्तु ऐसा कोई न मिला। इस कारण मैंने उनपर अपना रोष भड़काया और अपनी जलजलाहट की आग से उन्हें भस्म कर दिया है; मैंने उनकी चाल उन्ही के सिर पर लौटा दी है</em>, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है।</em&gt;</p>

<p>पारिवार</em></em>

&lt;p&gt;िक साज़िश&lt;/em&amp;amp;gt; - बाइबल में और आज के समाज में पारिवारिक साजिशों के कई उदाहरण हैं। उत्पति ३७:१८ में यह आलेखित है कि युसूफ के भाइयों ने उसका क़त्ल करने की साज़िश की।</p>

<</p> <p>em>ज्योंही उन्होंने उसे दूर से आते देखा, तो उसके निकट आने के पहिले ही उसे मार डालने का षड़यंत्र रचा।</em></p>

“स

ाज़िश” इब्रानी शब्द नकाल है। जिसका मतलब होता है “धोखा देना, छल करना, या ठगना।” युसूफ के सभी भाइयों ने उसके खिलाफ़ चाल चलने के लिए सहमति की और उन्होंने अपने पिता से झूठ बोलने की योजना बनाई। वे युसूफ को मारने वाले थे, पर अंतत: उसे गुलामी में बेच डाला। उनकी मनसा जलन थी क्योंकि युसूफ अपने पिता का चहेता बेटा था। वे अपनी चाल में सफल होते दिखे, पर परमेश्वर ने अपनी सर्वसत्ता के अन्तर्गत दखल किया। यह एक पारिवारिक साज़िश का उदाहरण है। पर यह जानना जरूरी है कि परमेश्वर की सर्वभौमिक योजना में उसने “सभी बातों को भलाई में बदलने” (रोमियों ८:२८अ) के लिए उसे इस्तेमाल किया।

न्यायियों ९:१-५ में वर्णन है कि कैसे अबीमेलेक ने अपनी माँ के भाइयों के साथ मिलकर अपने सत्तर अर्धभ्राताओं को स्वयं राजा बनने के लिए मारने की चाल चली:

यरूब्बाल का पुत्र अबीमेलेक शकेम को अपने मामाओं के पास जाकर उनसे और अपने नाना के सब घराने से यों कहने लगा, शकेम के सब मनुष्यों से यह पूछो, तुम्हारे लिए क्या भला है? क्या यह कि यरूब्बाल के सत्तर पुत्र तुम पर प्रभुता करें? या यह कि एक ही पुरूष तुम पर प्रभुता करे? और यह भी स्मरण रखो कि मैं तुम्हारा हाड़ माँस हूँ। तब उसके मामाओं ने शकेम के सब मनुष्यों से ऐसी ही बातें कहीं; और उन्होंने यह सोचकर कि अबीमेलेक तो हमारा भाई है अपना मन उसके पीछे लगा दिया। तब उन्होंने बालबरीत के मन्दिर में से सत्तर टुकड़े रूपे उसको दिए, और उन्हें लगाकर अबीमेलेक ने नीच और लुच्चे जन रख लिए, जो उसके पीछे हो लिए। तब उसने ओप्रा में अपने पिता के घर जाके अपने भाइयों को जो यरूब्बाल के सत्तर पुत्र थे एक ही पत्थर पर घात किया<em>;

परन्तु  यरूब्बाल का योताम नामक लहुरा पुत्र छिपकर बच गया।</em></p>

२ राजा १२:२० में योआश के दासों ने साज़िश रची और योआश का क़त्ल किया: ोआश के कर्मचारियों ने राजद्रोह की गोष्ठी करके&lt;/em> &amp;amp;amp;lt;em>उसको मिल्लो के भवन में जो सिल्ला की ढ़लान पर था, मार डाला।</em> “राजद्रोह की गोष्ठी करके” इब्रानी शब्द असाप से आता है, जिसका मतलब है “एक सुगठित समझौता जो बुना गया है और व्यवस्थित आकार में तब तक के लिए एक किया गया है, जब तक पूरा न किया जाए।” ध्यान दें, बाइबल “राजद्रोह” शब्द का इस्तेमाल करता है।

<p>इसके अतिरिक्त यिर्मयाह के खिलाफ़ पारिवारिक साज़िश पर ध्यान दें:

ू उनको बोता और वे जड़ भी पकड़ते</em>; </em><em>वे बढ़ते और फलते भी हैं; तू उनके मुँह के निकट है परन्तु उनके मनों से दूर है। (यिर्मयाह १२:६)।

बुरी अफवाहें

परमेश्वर का वचन विश्वासी को बुरी अफवाह को सुनने या संवाद करने में हिस्सा न लेने को कहता है (निर्गमन २३:१)। वह मतभेदों की चर्चा कर सकता है, और ईमानदार निश्चयों का बखान कर सकता है, परन्तु मण्डली के विभाजन और नुकसान की हद तक अपने विचारों का जिक्र नहीं।

मनुष्य का ज्ञानरहित रहना अच्छा नहीं, और जो उतावली से दौड़ता है वह चूक जाता है (नीतिवचन १९:२)।

परमेश्वर जानता है, जब एक खबर शैतान के राज्य के व्यवस्थित संगठन द्वारा एक व्यक्ति के सामने प्रस्तुत की जाती है, और तब किसी आने वाले दिन में सेने के लिए “करैत के अंडे” उसके मन में बोए जाते हैं (यशायाह ५९:५)। करैत एक घातक साँप होता है, जो एक अंडे से निकलता है। एक बुरी अफ़वाह की तुलना इस साँप से की गई है। एक बुरी अफवाह को सेने और फल पैदा करने में समय लगता है, पर जब वह अंडा फूटता है, तो खतरनाक होता है। छल की प्रक्रिया तब आसानी से नियंत्रण कर लेती है, जब किसी विश्वासी की भावनाएँ कमजोर अवस्था में होती हैं, और जब उसके प्राणों में उपदेश की कमी होती और आत्मा की पूर्णता का अभाव होता है। यह किसी के भी साथ हो सकता है, जो सत्य की ओर अशक्त होता है। परिणामस्वरूप, जब परमेश्वर एक बुरी खबर को नहीं ग्रहण करने को कहता है, तो वह वाकई में विश्वासियों की सुरक्षा कर रहा है। वह प्रत्येक व्यक्ति की रचना को जानता है और अपने लोगों को व्यर्थ उथल-पुथल से बचाना चाहता है।

यीशु ने कहा “कि तुममें से जो निष्‍पाप हो, वही पहिले उसको पत्थर मारे (यूहन्ना ८:७ब)। दूसरे शब्दों में, किसी व्यक्ति के खिलाफ़ एक खबर को सुनने की पहली योग्यता यह है कि सुनने वाला सिद्ध होना चाहिए। यह सत्य तुरन्त किसी भी इन्सान को इस बात के लिए अयोग्य ठहराता है। दूसरी योग्यता यह है कि सुनने वाला सर्वज्ञानी होना चाहिए; उसके पास हर हालत का ज्ञान होना चाहिए। तीसरा, वह सर्वव्यापी होना चाहिए, अर्थात वह सभी जगहों में उपस्थित हो। चौथा, सुनने वाला सर्वशक्तिमान अर्थात पूरी सामर्थ्य वाला होना चाहिए । सारांश में, उस व्यक्ति का सर्वज्ञानी, हर स्थान पर उपस्थित और सारी शक्ति वाला होना जरूरी है। एक धर्मी न्यायकर्ता होने के लिए उसे पापरहित होना होगा। परमेश्वर के वचन के अनुसार कोई भी व्यक्ति जो बिना पाप का होना अंगीकार करता है, वह झूठा है (१ यूहन्ना १:८)। कोई भी इन्सान किसी इन्सान का न्याय करने का अधिकार नहीं रखता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर एकलौता है जो योग्य है, क्योंकि सिर्फ वही सिद्ध है। दोष मत लगाओ, कि तुम पर भी दोष न लगाया जाए (मत्ती ७:१)।

सो हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्‍यों न हो; तू निरुत्तर है! क्‍योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है, उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है, आप ही वही काम करता है। और हम जानते हैं, कि ऐसे काम करने वालों पर परमेश्वर की ओर से ठीक ठीक दण्‍ड की आज्ञा होती है (रोमियों २:१-२)। (याकूब ४:११-१२, भजन संहिता ६४:६-८ भी देखें)।

इतने सारे लोगों को इस उपदेश से क्यों तकलीफ होती है, जब यह पवित्रशास्त्र में साफ़ तौर पर प्रस्तुत किया गया है? क्योंकि कोई भी व्यक्ति बिना पाप का नहीं है। कोई भी व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के पाप के न्यायकर्ता के तौर पर बैठने के लिए योग्य नहीं है।

क्‍योंकि जिसने दया नहीं की, </em>उसका न्याय बिना दया के होगा: दया न्याय पर जयवन्‍त होती है (याकूब २:१३)।

अध्याय <strong>VIII : </strong>दाऊद के खिलाफ़ अबशालोम की साज़िश&lt;/em&amp;gt;</strong>

<p>बाइ</p></p> <p>बल

में पाई जाने वाली विख्यात साज़िशों में से एक वह है, जो अपने पिता दाऊद के खिलाफ़ अबशालोम ने की थी। यह साज़िश, जो २ शमूएल १३-१८ में आलेखित है, इस हिस्से के अध्याय ७ में वर्णन किए गए कई गुणों का उदाहरण देती है। इस अध्याय में हम जाँचेंगे कि दाऊद के खिलाफ़  अबशालोम की साज़िश कैसे तय हुई।</p>

 

<p>अबशालोम का जन्म बहुविवाहित परिवार में हुआ था (२ शमूएल ३:३)&amp;amp;amp;amp;amp;lt;/em>।

समस्त इस्राएल में सुन्दरता के कारण बहुत प्रशंसायोग्य अबशालोम के तुल्य और कोई न था; वरन् उसमें नख से शिख तक कुछ दोष न था (२ शमूएल १४:२५)।

 इस वर्णन की शुरुआत तब होती है, जब अबशालोम की बहन, तामार अपने अर्ध-भ्राता अम्नोन की लालसा भरी जरूरतों का शिकार बन गई। पूर्वी रिवाज़ों के अनुसार जब ऐसा होता था, तब आमतौर पर अबशालोम को ही वह व्यक्ति होना था, जिसे अपनी बहन की ओर से बदला लेना चाहिए था। इसलिए उसने तामार को लिया और अपने स्वयं के घर में सुरक्षा के लिए रखा। अबशालोम ने तामार को इस मुद्दे के बारे में न सोचने को कहा (२ शमूएल १३:२०)। फिर भी, २ शमूएल १३:२३-२९ में, यह उल्लेखित किया गया है कि अबशालोम ने अपने सभी भाइयों को भेड़ों के ऊन कतरने के एक बड़े उत्सव में नेवता देकर अपने अर्ध-भ्राता अम्नोन से बदला लेने का मौक़ा तैयार किया। उस दौरान जब उसने अपने सेवकों को संकेत दिया, तब उन्होंने अम्नोन को मौत के घाट उतार दिया। बाद में, अबशालोम अपने दादा, तल्मै के पास भाग गया, और तीन साल तक उसके साथ रहा (२ शमूएल १३:३७-३८)।

उस समय, दाऊद ने दो साल तक अबशालोम को अपने सिंहासन के सामने प्रस्तुत होने की अनुमति नहीं दी (२ शमूएल १४:२८)। बगावत के तौर पर, अबशालोम ने गुप्त रूप से विद्रोह की साज़िश रची। पहले, उसने जौ का खेत जला कर योआब को हराया (२ शमूएल १४:३०)&lt;/em>। उसने ऐसा विवाद इसलिए उत्पन्न किया, जिससे वह राजा दाऊद के साथ मुलाक़ात का मौका पा सके। दो सालों तक, अबशालोम यरुशलेम से बाहर रहा, और फिर उसने अपने पिता के खिलाफ़  एक जटिल योजना को कार्यान्वित किया, जिसे पूरा होने में चालीस साल लगे।</em>

अपने पिता की उपस्थिति से दूर किए जाने के बाद अबशालोम ने अपने पिता से अत्यधिक घृणा की। दो साल तक, उसने अपने पिता के खिलाफ़ कड़वाहट और प्रतिक्रिया अनुभव की। यह कड़वाहट उसके हृदय में बढ़ती रही, और वह उसे पश्चाताप में परमेश्वर के पास नहीं ले गया।

गम्भीरता से ध्यान दें कि अबशालोम ने साज़िश के शुरुआती दिनों में अपने पिता के खिलाफ़ जाल कैसे बुना। २ शमूएल १५:६ब में, परमेश्वर का वचन कहता है कि अबशालोम ने “इस्राएली मनुष्यों के मन को हर लिया।” उसने ऐसा अपने पिता के खिलाफ़ कटाक्ष करके लोगों के बीच में असंतुष्टि पैदा करके किया (२ शमूएल १५:३)। उसके बाद, वह परमेश्वर की सेवा करने हेब्रोन की ओर चला गया और अपने साथ दो सौ लोगों को भी लेकर आया (पंक्ति ९-११)। उसने अपनी योजना किसी को नहीं बताई। फिर, उसने दाऊद के सलाहकार अहीतोपेल से सलाह ली, जिसने अबशालोम के पदाधिकारियों में जुड़ने के लिये दाऊद की ओर अपनी वफादारी को बेच दिया &amp;lt;em>(पंक्ति १२)। इस साज़िश के चरण २ शमूएल १५:२-४ में उल्लेखित हैं:

<p><em>अबशालोम सबेरे उठकर फाटक के मार्ग के पास खड़ा हुआ करता था; और जब जब कोई मुद्दई राजा के पास न्याय के लिए आता, तब तब अबशालोम उसको पुकार के पूछता था, तू किस नगर से आता है? और वह कहता था, तेरा दास इस्राएल के अमुक गोत्र का है। तब अबशालोम उस से कहता था, सुन, तेरा पक्ष तो ठीक और न्याय का है; परन्तु  राजा की ओर से तेरी सुनने वाला कोई नहीं है। फिर अबशालोम यह भी कहा करता था, भला होता कि मैं इस देश में न्यायी ठहराया जाता! तब जितने मुकदमा वाले होते वे सब मेरे ही पास आते, और मैं उनका न्याय चुकाता।

परमेश्वर जानता था कि अबशालोम ने अपने हृदय में अपनी कड़वाहट से पश्चाताप करने का निश्चय नहीं किया था। उसने अपने पिता की तरह परमेश्वर के वचन का अध्ययन करने को अपनी प्राथमिकता नहीं बनाया था। उसने भौतिक शक्ति की लालसा और अनुमोदन और प्रशंसा के लालच की गलत तरीके की महत्वाकांक्षा की। अंतत:, अबशालोम हेब्रोन में आया। जब दाऊद ने हेब्रोन के विषय में सुना, तो वह तुरन्त भागने के लिए तैयार हो गया। वह यरूशलेम से महानेम की ओर निकला। वह अपने पुत्र से युद्ध कर सकता था, पर वह उससे बहुत ज़्यादा प्रेम करता था।

संकट के दौरान, दाऊद ने भजन २३ लिखा। यह भजन किसी तरह से यह नहीं प्रकट करता कि दाऊद ईश्वरीय ताड़ना में था; उसकी ताड़ना बहुत पहले वापिस ले ली गई थी। इस वक्त, वह परमेश्वर के राज्य के लिए पीड़ित हो रहा था।

अहीथोपेल की सम्मति के द्वारा, अबशालोम अपने पिता के जनानखाना पर कब्जा करने को आया, चूँकि उसके पिता ने शहर छोड़ दिया था। इस समय के दौरान, एप्रैम में एक बड़ी लड़ाई लड़ी गई, जहाँ अबशालोम की सेना हराई गई और बीस हजार वध किए गए। उससे भी बड़ी संख्या में लोग जंगल में नष्ट हुए। जब अबशालोम गधे पर सवार होकर भागा, उसका सिर एक बड़े बांजवृक्ष की डालियों में फँस गया, और वह वहाँ तब तक लटका रहा, जब योआब ने उसका वध न कर दिया (२ शमूएल १८:९-१५)

अबशालोम लगातार अधीन होने से इन्कार करने के द्वारा अपने पिता का अनादर करता रहा। उसके पास क्षमाशील हृदय नहीं था। सत्य यह है, कि उसका हृदय परमेश्वर से दूर था। यह सिद्धांत मरकुस ७:६ब में दिखता है, जो कहता है, “ये लोग होठों से तो मेरा आदर करते हैं, पर उनका मन मुझसे दूर रहता है। अबशालोम अपने पाप की फसल काटते हुए दुर्भाग्यपूर्ण मारा गया।

जब अबशालोम की मृत्यु से संबंधित संदेश दाऊद के पास पहुँचा, उसने परमेश्वर की ओर यह पुकारा: “हाय मेरे बेटे अबशालोम! मेरे बेटे, हाय! मेरे बेटे अबशालोम! भला होता कि मैं आप तेरे बदले मरता, हाय! अबशालोम! मेरे बेटे, मेरे बेटे!!(२ शमूएल १८:३३ब)। दाऊद के अन्दर एक मात्रा में ग्लानि थी, क्योंकि वह महल से दो साल के लिए दूर था, पर उसके पास अपने पुत्र के लिए परमेश्वर का निशर्त प्रेम भी था। यही प्रेम उसके शाऊल और योनातान की ओर रुख की भी विशेषता था। दाऊद इतना परिपक्व था कि जब उसका पुत्र उसके खिलाफ़ आक्रमण संगठित कर रहा था, तब उसने कहा, “यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी न होगी” (भजन संहिता २३:१)। दूसरे शब्दों में, उसने यह कहा, “प्रभु मुझे चरा रहा है और मुझे कोई जरूरत नहीं होगी।” उसने यह भजन परमेश्वर के वचन पर शुद्धता से विश्राम करते हुए लिखा। वह एक सिद्ध शांति का अनुभव कर रहा था और परमेश्वर ने उसे विजय दी। दबाव के नीचे रहते हुए दाऊद की परिपक्वता साबित हुई। उसकी अनुग्रह की ओर उन्मुक्तता परीक्षा के कठिन समय के दौरान प्रकट की गई, और दाऊद विश्वास के विश्राम के द्वारा उससे बाहर निकला।

यह ध्यान देना आवश्यक है कि अंतत: अबशालोम को अपने पिता के खिलाफ़ आने में चालीस साल लगे। साज़िशें पूरा रूप लेने में लंबा समय लगा सकती हैं। ऐसी स्थानीय सेवकाइयों या ऐसे समूहों से सतर्क रहिए जिनमें लोग आलोचना, अफ़वाह, अपयश, गलती निकालना, या प्रतिक्रिया करते रहते हैं। जब काफी लोग ऐसे पापों की आदत डाल लेते हैं, तब एक साज़िश पैदा हो सकती है। आत्मिक मुद्दों के संवाद में मतभेद समझे जा सकते हैं। परखना और हिसाब आवश्यक है, परन्तु विरोधपूर्ण और विनाशकारी आलोचना नहीं होनी चाहिए।</p> <p class="yoast-text-mark">"text-align: center;">अध्याय </strong>IX : </strong>साज़िशों के खिलाफ परमेश्वर के प्रावधान </strong></strong&gt;</strong></strong>

एक आंतरिक साज़िश में, भावनाएँ प्राण की मानसिकता के खिलाफ़ बगावत करती हैं, और विवेक के आदर्श और मापदंड गलत होते हैं। मुक्त इच्छाशक्ति परमेश्वर के वचन के शुद्ध सत्य के खिलाफ़ नकारात्मक निर्णय लेती है।

आंतरिक साज़िश के खिलाफ़ एक मसीही कैसे सचेत बचाव कर सकता है? वह मसीह में मगन (लूका १९:१३&amp;amp;amp;amp;amp;amp;lt;em&gt;; </em>इब्रानियों १२:२), नम्र (याकूब ४:१०), परमेश्वर के वचन की ओर सच्चा और एक स्थानीय मण्डली की ओर विश्वासयोग्य बने रहने के द्वारा अपना बचाव कर सकता है। विश्वासी के लिए उपदेश की ओर एक लक्ष्य होना (मत्ती ६:२२), और पहले परमेश्वर का राज्य खोजना आवश्यक है (मत्ती ६:३३)। उसे अपनी जुबान को संभालना, अपने हृदय को शुद्ध रखना, और पवित्र आत्मा से परिपूर्ण रहना (इफिसियों ५:१८ब) चाहिए। अनुग्रह पर केंद्रित विश्वासी परमेश्वर के प्रत्येक वचन के द्वारा जीने के लिए सक्षम किया जाएगा (मत्ती ४:४; लूका ४:४)

वह व्यक्ति जो मसीह में मशगूल रहता है, नकारात्मक कथनों को ग्रहण नहीं करता। वह क्या सुनता है और कैसे सुनता है, उस पर सतर्क रहेगा। वह भावनात्मकता और व्यक्तित्व की पसंद पर आधारित संबंधों के खिलाफ़ चौकस रहता है। वह सचेत रहता है कि परमेश्वर के लोगों को न फँसाए। उसमें उनकी ओर एक प्रेम भरे लाभकारक तरीके में उपलब्द्धता का मनोभाव होता है। कई लोग विश्वासयोग्य दिखते हैं, परन्तु उनके हृदय परमेश्वर से दूर हैं (मरकुस ७:६)। कभी न कभी, परमेश्वर प्रकट कर देगा कि उस विश्वासी का मनोभाव ढोंग का है, या विश्वास के विश्राम और परमेश्वर के गुणों पर भरोसे का।

इन बातों के अलावा, एक परिपक्व मसीही उनके लिए प्रार्थना करता है, जो परमेश्वर के साथ अपनी चाल में फिसल रहे हैं। वह उनसे प्रेम करता है और उनके बारे में नकारात्मक नहीं बोलता है। वह उन्हें परमेश्वर को सौंपता है और उसे उन्हें उसी अनुसार बदला देने देता है।

सिकन्‍दर ठठेरे ने मुझसे बहुत बुराइयाँ की हैं प्रभु उसे उसके कामों के अनुसार बदला देगा। तू भी उससे सावधान रह, क्‍योंकि उसने हमारी बातों का बहुत ही विरोध किया है (२ तीमुथियुस ४:१४-१५)।

पौलुस ने तीमुथियुस को सिकन्दर ठठेरे से सतर्क रहने को कहा। क्या वह आत्मरक्षक या डरपोक हो रहा था? या उसके पास विश्वास में तीमुथियुस का आत्मिक पिता होने की वजह से (१ तीमुथियुस १:२) उस बुराई से अवगत कराने का अधिकार था, जो इस व्यक्ति ने उसके साथ की थी? पवित्रशास्त्र सिखाता है कि विश्वासियों को उन लोगों से बचना है, जो उपदेश से विपरीत विभाजन और दोष पैदा करते हैं।

अब हे भाईयो मैं तुमसे विनती करता हूँ, कि जो लोग उस शिक्षा से विपरीत, जो तुमने पाई है, फूट डालने और ठोकर खिलाने का कारण होते हैं, उन्‍हें ताड़ लिया करो और उनसे दूर रहो। क्‍योंकि ऐसे लोग हमारे प्रभु मसीह की नहीं, परन्तु अपने पेट की सेवा करते हैं, और चिकनी चुपड़ी बातों से सीधे-सादे मन के लोगों को बहका देते हैं (रोमियों १६:१७-१८)।

पुन:, इसका मतलब यह नहीं है कि किसी व्यक्ति को उन लोगों की ओर मानसिक तौर पर नकारात्मक हो जाना है, जो साज़िशों में हिस्सा लेते हैं। यीशु ने उनके पापों का भुगतान किया है, और यदि वे अपनी त्रुटि पर पश्चाताप करेंगे, तो उनकी उससे वापिस संगति बहाल होगी। परन्तु, वह उन्हें प्रभावी रूप से नहीं सुधार सकता, यदि वे विश्वासी भावुकतापूर्ण हों और अपूर्ण इन्सानों को परमेश्वर के फलदायी सेवकों के ऊपर अपयश, लांछन और संदेह पैदा करने देते हों। १ कुरिन्थियों १५:३३ आज्ञा देता है, “धोखा न खाना, बुरी संगति अच्‍छे चरित्र को बिगाड़ देती है।”

&lt;em>परमेश्वर की ओर विश्वासयोग्यता &lt;em&gt;साज़िश के खिलाफ़ हृदय की सुरक्षा करती है

जो लोग यीशु मसीह की ओर विश्वासयोग्य हैं, उनसे संख्या में कम हैं जो उसे त्याग चुके हैं। जब एक सेवकाई परमेश्वर की ओर और उपदेश की ओर विश्वासयोग्य होती है, तो यह बात परमेश्वर की महिमा करती है। जब उसके लोग भटके हुए प्राणों के लिए विश्वव्यापी दर्शन की ओर, परमेश्वर के प्रत्येक वचन से जीने के लिए और शुद्ध होने में विश्वासयोग्य होते हैं, तब परमेश्वर अति प्रसन्न होता है। परमेश्वर का धन्यवाद हो, उसके लोगों की दृढ़ता के लिए। बीमा न्याय आसन पर होने वाले सबसे बडी आशिषों में से एक वह होगा, जब यीशु मसीह कहेगा, “धन्य, हे अच्छे और विश्वासयोग्य दास (मत्ती २५:२१अ)। १ कुरिन्थियों ४:२ में, परमेश्वर का वचन कहता है कि एक भंडारी विश्वासयोग्य पाया जाए। उन लोगों के लिए परमेश्वर का धन्यवाद जो अपने मनों, अपनी भावनाओं, अपने प्रेम और अपनी ज़िन्दगी की बारीकियों में परमेश्वर के आज्ञापालन में विश्वासयोग्य हैं। विश्वासयोग्यता एक खूबसूरत तोहफ़ा है, जो विश्वासी परमेश्वर को दे सकते हैं। बदले में वह उन्हें अद्भुत ईनाम और आशिष देगा। इसलिए, मसीही को परमेश्वर के मुँह से निकलने वाले प्रत्येक वचन से जीने के लिए और विश्वासयोग्य बने रहने के लिए प्रबोधित किया जाता है!

सच्चे मनुष्य पर बहुत आशीर्वाद होते रहते हैं (नीतिवचन २८:२०अ)।

परन्तु  विश्वासयोग्य दूत से कुशल क्षेम होता है (नीतिवचन १३:१७ब)।

यहोवा सच्चे लोगों की तो रक्षा करता है (भजन संहिता २१:२३ब)।

मेरी आँखें देश के विश्वासयोग्य लोगों पर लगी रहेंगी (भजन संहिता १०१:६अ)।

ये बातें विश्वास के योग्य और सत्य हैं (प्रकाशितवाक्य २२:६अ)।

साज़िशों से बाहर निकलने का परमेश्वर का ज़रिया

जैसा कि पहले बताया जा चुका है, साज़िशों के कई प्रकार होते हैं। दुर्भाग्यवश, सभी इन्सानों में ऐसी प्रक्रिया में कुछ हद तक हिस्सा लेने की क्षमता होती है। भावनाएँ हमेशा हमारे मन पर काबू पाने की कोशिश करेंगी। परमेश्वर पर विश्वास जिन्दगी के अनुभवों द्वारा दी गई नज़र से ललकारा जाएगा। हो सकता है कि कोई व्यक्ति अनजाने में एक छोटे समूह की साज़िश का हिस्सा रहा हो। सभी विश्वासी अपने कामों के लिए जिम्मेदार और जवाबदार हैं। वे वह काटते हैं, जो बोते हैं <em>(गलातियों ६:८)। यदि कोई परमेश्वर की किसी विश्वासयोग्य कलीसिया के खिलाफ़ अफ़वाह बोता है, अंतत: वह उन बुरी चीजों को काटेगा, जो उसने बोई हैं (भजन संहिता ६४:७-८)। पिता अपने लोगों की साज़िशों के मध्य में रक्षा करता है। वह उन्हें आशीषित करने का तरीका निकालता है (मत्ती ५:११-१२)</em>।

जरूरी नहीं है कि यह सिद्धांत यहाँ पर फिर से साज़िश से प्रभावित लोगों के लिए बयान किए जा रहे हैं; यह हिस्सा इसलिए लिखा गया है कि वे लोग जो साज़िश में हिस्सा ले चुके हैं, उस हलचल से बचाए जा सकें, जो वह उनके प्राणों में पैदा करती है।&amp;amp;amp;amp;amp;amp;lt;/p>

साज़िशें एक व्यक्ति के प्राणों में जबरदस्त ज़ख्म पैदा करती हैं। नीतिवचन १८:८ उल्लेख करता है, “कानाफूसी करनेवाले के वचन ज़ख्मों के समान लगते हैं; वे पेट के अंदरूनी हिस्सों मे जाकर पच जाते हैं।</em>” पुन:, अर्धसत्यों और प्रभु के सेवकों के खिलाफ़ विकृत बातों को सुनना हृदय के गहरे और आंतरिक हिस्सों में इन तकलीफों को पैदा करता है।

यदि कोई किसी साज़िश में शामिल रहा है, तो उसे परमेश्वर के सामने ईमानदार होकर उसे मान लेना चाहिए। यदि उसने फोन कॉल किए हैं, चिट्ठियाँ भेजी हैं, या नियमित रूप से ऐसी टिप्पणियाँ की हैं, जो भाईयों के खिलाफ़ संदेह पैदा करती हैं, तो उसे इसको पाप कहकर इकरार करना चाहिए। यहाँ पर यह भी कहना आवश्यक है कि साज़िश में योगदान को पाप दूसरे लोगों के विषयात्मक विचारों और इल्ज़ामों के आधार पर नहीं माना जा सकता। बल्कि, यह पाप इसलिए है क्योंकि बाइबल साफ़ तौर पर यह कहता है कि यह पाप है। अत:, विश्वासी को परमेश्वर के पास जाने की जरूरत है, बस कलीसिया के फायदे के लिए नहीं, बल्कि इसलिए कि वह अपने हृदय की कठोरता की वजह से संगति, प्रचार, प्रेम और आतंरिक शक्ति से चूक रहा है। १ यूहन्ना १:९ वापसी और पुनर्मिलाप में वापिस आने के रास्ते का वर्णन करता है। यदि हम अपने पापों को मान लें, तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है। यह समझना आवश्यक है कि जब एक विश्वासी पाप करता है, तो वह एक खास हिस्से में पाप करता है। अत:, जब वह पश्चाताप करता है, तो उसे उस हिस्से में खासतौर से पश्चाताप करना चाहिए, जिसमें उसने निशाना चूका है। यदि वह परमेश्वर से विशिष्ट रूप से अपने पाप कबूल नहीं करता है, तब शायद उसके जीवन से पाप की पकड़ नहीं छूटेगी। इसलिए आतंरिक बुराई के पास अब भी संक्रामक बुराई में बदलने का रास्ता रहेगा, चाहे मसीही इस बात से अवगत भी न हो। कई लोग इस तरह से पश्चाताप करते हैं, “प्रभु, मैंने अपने मसीही जीवन में जो कुछ भी किया है, उसके लिए शोकित हूँ।” शोकित होना सराहनीय है, परंतु छुटकारा विशिष्ट आज्ञापालन से आता है। जब जक्कई ने पश्चाताप किया, तब वह उनके पास गया, जिनको उसने नुकसान पहुँचाया था और प्रत्येक उस व्यक्ति को चार गुना वापिस किया (लूका १९:८)

पश्चाताप: परमेश्वर का प्रावधान

कई मसीही पश्चाताप को एक अत्यधिक अप्रिय अनुभव मानते हैं। यह नकारात्मक सोच तभी होता है, जब टाला जाता है। इसका टालना अत्यधिक पाप भरा और दुःखकारी है! पाप से बाहर निकलने का परमेश्वर का तरीका पश्चाताप है। पहला, विश्वासी साहस में और नम्रता में अनुग्रह के सिंहासन पर आकर पश्चाताप करता है। वह यह पहचानता है कि वह परमेश्वर ही है जिसकी ओर उसने गलती और तिरस्कार किया है। उसके बाद, परमेश्वर उस विश्वासी की अगुआई उस भाई के पास क्षमा ग्रहण करने के लिए जाने में कर सकता है, जिसे उसने नुकसान पहुँचाया है। यदि उसने किसी खास कलीसिया को नुकसान पहुँचाया है, तो उसे उस कलीसिया के प्राचीनों के पास जाना चाहिए और सुलह खोजनी चाहिए। यदि किसी व्यक्ति ने किसी मसीही के खिलाफ़  झूठ पर विश्वास कराने वाली नकारात्मक बातें दूसरे लोगों से की है, तो उसे किसी तरह से प्रत्येक उस व्यक्ति से संपर्क करना चाहिए, जिसे उसने इस तरीके से प्रभावित किया था और उन्हें यह बताना चाहिए कि उसने मतभेद फैलाने और प्रभु के कार्य और कार्यकर्ताओं के खिलाफ़ जानबूझ कर शैतान का मुखिया बनने की गलती की है। यह देखने में कठिन काम लग सकता है, पर पवित्र आत्मा के शोकित किए जाने, हृदय के ज़ख्मों और नकारात्मक निर्णयों की वजह से भाइयों से अलगाव में जीना इससे ज़्यादा कठिन है।

परमेश्वर उन लोगों को पुन:स्थापित करना चाहता है, जो इस हिस्से में भटक गए हैं। वह संक्रामक ज़ख्मों को चंगाई देना चाहता है। परमेश्वर के वचन को विशिष्टता में ग्रहण करने से इस प्रक्रिया की शुरुआत होती है।

वह अपने वचन के द्वारा उनको चंगा करता और जिस गड्ढे में वे पड़े हैं, उससे निकालता है (भजन संहिता १०७:२०)।

परमेश्वर अपनी संतानों को उन हिस्सों को दिखाने के लिए, जिन्हें उसके स्पर्श की जरूरत है, अपने वचन को इस्तेमाल करेगा। वाकई में परमेश्वर का वचन ही है, जिसका हर व्यक्ति की जिन्दगी का मानक और मापदंड होना जरूरी है। वचन वस्तुनिष्ठ है। वह प्रतिदिन के जीवन में लिए जाने वाले रास्तों को रोशनी और परिभाषा प्रदान करता है (भजन संहिता १२०:१०५)। एक विश्वासी को प्रतिदिन परमेश्वर के वचन की जरूरत होती है। वचन की शिक्षा जो फटकार देती है, वह जीवन का रास्ता है (नीतिवचन ६:२३)। परमेश्वर का वचन वाकई वह प्रावधान है, जो मसीहियों को उन्हें साज़िश से बचाने के लिए दिया गया है। भजन संहिता १७:४ब उल्लेख करता है, “&lt;em>मानवी कामों में मैं तेरे मुँह के वचन के द्वारा क्रूरों की सी चाल से अपने को बचाए रहा।”

ारांश

यह देखना उत्साहवर्धक है कि पिछले दो दशकों में, विभिन्न मसीही संप्रदायों से कई सेवकाईयाँ भटके हुए लोगों को छूने में प्रभावशाली रही हैं। इसमें प्रेम, मसीह की ओर अत्यंत भक्ति, परमेश्वर के वचन के लिए एक भूख और वस्तुनिष्ठता की नई उछाल है। परमेश्वर के कई अचरज भरे कार्य आजकल चल रहे हैं, जिनमें फल, प्रेम, और उन्नति है और जहाँ लोग महाआज्ञा के पालन में परमेश्वर की सेवा कर रहे हैं। ऐसी कोई भी फलदायक सेवकाई, किसी समय में शायद साज़िश का सामना करेगी। यह पुस्तक बचावकारी औषधि के तौर पर और उन पासवानों और कलीसिया के सदस्यों के ज़ख्मो को चंगा करने में मदद करने के लिए भी लिखी गई थी, जो साज़िश या साज़िशों से गुजरे हैं और परिभाषा चाहते हैं कि भविष्य में शैतान के आक्रमणों के खिलाफ़  सुरक्षा कैसे पाएँ। जैसे-जैसे यह विषय पढ़ाया जाता है और विश्वासी इस मुद्दे में शिक्षित होते हैं, तो शायद भविष्य के वर्षो में कुछ “आने-वाली” साज़िशें होने से बच जाएँगी।

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Translated from the booklet by Pastor Carl H. Stevens, of ww

w.ggwo.org titled, ‘The Doctrine of Conspiracy’

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