Like this:

सभी बाजीगरों के लिए एक आराम
मैं अविश्वास के लोगों को जीवन के एक सर्कस में बाजीगरों जैसा पाता हूँ। और यह एक दुखद सर्कस है। ये "कलाकार" व्यस्त या केंद्रित, या स्वस्थ रहने की कोशिश में चीजों को एक हाथ से दूसरे हाथ में उछालते रहते हैं। एक पल ध्यान हटा और कुछ चीज जमीन पर गिर जाती है। एक गेंद गिरती है और चकरी टूट जाती है, काम ठप हो जाता है। कुछ बाजीगरों के – जिनमें मेरा बेटा भी है - संयोगवश दर्शक के रूप में मुझे यह तकनीक समय और तेजी की बात लगती है। एक बार गति आ गई, तब मुद्दा एकाग्रता और लगे रहने की ताकत का हो जाता है। वैसे भी बाजीगरी का विश्व रिकॉर्ड क्या है? विचारों की इस श्रृंखला ने की वजह से मैंने इस सवाल का जवाब खोजा। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में स्लिक नामक एक टेक्सस के व्यक्ति को तीन गेंदों के करतब के लिए रिकॉर्ड धारक करार किया है। उसने १२ घंटे और ५ मिनट गेन्दों को उछाला। वैसे, यह आधे से ज्यादा दिन गुजारने का एक तरीका है। अविश्वास के लोग विचारों और अवधारणाओं के साथ बाजीगरी करते हैं। वे दिन, सप्ताह, महीनों, और यहाँ तक कि सालों तक इन्हें अपने दिमाग में उछालते रहते हैं। हालांकि, शायद ही कभी वे शांति और विश्राम का आनंद उठाते है। उनके लिए मकसद का कुछ स्टार बनाए रखने के लिए व्यस्त, व्यस्त, व्यस्त रहना जरूरी है। क्रोध और व्यर्थता भजन २ इस तरीके प्रवृत्ति और आम मानव संस्कृति में उसकी जरूरत के बारे में बात करता है। यह भजन इस पद से शुरू होता है: "जाति जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं, और देश देश के लोग व्यर्थ बातें क्यों सोच रहे हैं?" क्रोध - यह हम सभी में है। यह हमारे जीवन की सतह के नीचे गर्म होता रहता है। हम अन्याय देखते हैं, और हम चिल्लाना या ठकठकाना, आवाज लगाना या गोली चलाना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि कोई, कोई भी चीजों को ठीक करे। न्याय किसी भी तरह होना चाहिए, भले ही वहाँ उसके साथ जुड़े कुछ जमानती नुकसान भी हों। हम सब में कुछ है, जो कि कुटिल, टेढ़े , विकृत, झुर्रीदार और बिगड़ हुए को पहचानता है। उस कुछ का एक नाम है – विवेक। विवेक चीजों को निराकार तरीके से उसी तरह से नापता और वजन करता है, जैसे तराजू और पटरियाँ हमारे अस्तित्व के ठोस तत्वों के साथ करते हैं। "... वे व्यवस्था की बातें अपने अपने हृदयों में लिखी हुई दिखाते हैं और उनके विवेक भी गवाही देते हैं, और उन की चिन्ताएं परस्पर दोष लगाती, या उन्हें निर्दोष ठहराती हैं।" (रोमियों २:१५)। विवेक की एक आवाज है और यह बोलता है – बिना आवाज के - हमारे दिल और दिमाग से। यह हमारे लिए अव्यवस्थता की ओर इशारा, और जो चीजें ठीक नहीं हैं उनकी ओर उँगली उठाता है। लेकिन विवेक तो उतना मुहताज नहीं है। उसे नजरअंदाज कर दिया जा सकता है। और, अगर हम नजरअंदाज करते हैं, तो अपने नुक्सान पर करते हैं। यह अदन के बगीचे में तब प्रकट हुआ, जब आदम और हव्वा ने भलाई और बुराई के ज्ञान के वृक्ष का फल खाया। सक्रिय और उत्तेजित हालत में, उनके विवेक ने उनके नंगेपन की समझ जगा दिया और परमेश्वर की उपस्थिति की आवाज पर उन्हें भागने के लिए प्रेरित किया। मेरा मानना ​​है कि पहले आदमी और औरत को अत्यधिक ज्ञान के बोझ का सामना करना पड़ा। मना किए गए वृक्ष का नाम भलाई और बुराई के ज्ञान का वृक्ष था। परमेश्वर ने उन्हें सिखाया था है और उन वह सब दिया था जो उन्हें जानने की जरूरत थी और खाने की वजह से वे कुछ ज्यादा ही जानने लगे। शैतान ने उन्हें दिखाया कि उनके लिए और भी बहुत कुछ था। उन्होंने झूठ को खरीदा लिया और तब बाजीगरी का यह परिश्रम शुरू हुआ। मैं परिश्रम इसलिए कहता हूँ क्योंकि यह न तो खेल है और न ही मनोरंजन। यह गंभीर और अधिकतम दुखभरा है। हवा में गेंदें तो हलकी लगती हैं, लेकिन उन्हें वहाँ बनाए रखने का काम अधिक से अधिक भारी होता जाता है। अज्ञान की परतें व्यर्थ चीजों में लग जाओ। हमारे विचारों और भावनाओं में विवेक की चुभन है के प्रहारों के उत्तर के रूप यह चीजें सामने आती हैं। जहां विवेक की बात है, तो कभी निर्णयात्मक मौका ही नहीं आता। और, उसको नजरअंदाज करना आदत बन सकता है। इसकी सबसे कार्यात्मक अवस्था में विवेक कोमल और संवेदनशील रहता है। बुद्धिमान व्यक्ति के लिए, विवेक समझ के लिए एक सही और तैयार उपकरण के रूप में देखा जाता है। तथापि, विवेक का लम्बे समय तक नजरअंदाज किया जाना लापरवाही पैदा करता है। मोटी, कठोर, जख्म चमड़ी एक  साउंडप्रूफ दीवार की तरह बन जाती है। एक गहरा भावना की कमी विकसित हो सकती हैं। विवेक की फुसफुसाहटें सुनने में और ज्यादा कठिन हो जाती हैं। मैं अपनी जवानी और २० की उम्र के आसपास के दौरान बहुत गिटार बजाता था। अभ्यासों और प्रदर्शनों ने मेरी उंगलियों को मोटी और कड़क बना दिया। कभी कभार मैं किसी को प्रभावित करने की कोशिश में – अक्सर किसी लड़की को - उंगलियों से जलती हुई मोमबत्ती या तीली बुझा देता था। वहाँ कोई चोट नहीं लगती थी; मैं गर्मी भी महसूस नहीं होती थी। यह तरकीब कुछ हँसी और हाँफना तो पैदा करती थी, लेकिन सम्बन्ध के और मौके नहीं देती थी। कुछ तो इसे बहुत गन्दा भी मानते थे कि मैं अपने साथ ऐसा करता था। बाइबिल उनका जिक्र करती है जिनका विवेक दागा गया है – भावनारहित हालत तक जलाए जाना, मेरी गिटार बजाने वाली उंगलियों की तरह। एक दागा गया विवेक क्रोध को चुप करने के लिए कई सारी व्यर्थ चीजों की परतों से ढकने परिणाम होता है। क्रोध उबली हुई भावना होता है; यह बीमार और खामोश किए गए विवेक से जुड़े हुए ह्रदय की अति-प्रतिक्रिया है। यह बदलाव के लिए एक पुकार है, शरारत के लिए एक याचिका तैयार किया जाना (भजन ९४:२० देखें)। ताजा क्रोध ताजी व्यर्थताओं की माँग करता है। नए नए आविष्कारों की प्रक्रिया असंतोष और निराशा और नाखुशी के किनारे से दूर ले जाने के और भी अधिक विविध तरीके पैदा करते हैं। एक वीडियो गेम के गलियारे की एक यात्रा करें। हमारे मजाकिया आविष्कारों के बारे में सोचें। शैलियों की विविधता को देखें। जो कोई भी अपने जीवन के कुछ ही घंटों को गंवाना चाहते हैं उन के लिए वहाँ कुछ न कुछ है। नए विश्वास के साथ समस्या असली मुद्दा क्या है? फिर से, यही अविश्वास। कुछ भी सच नहीं करने लगता। यही रवैया पुन्तियुस पिलातुस द्वारा यीशु के साथ वार्तालाप में प्रदर्शित होती है। "सच क्या है?" यरूशलेम के रोमी नेता ने मजाक बनाया। "विश्वास के अंत" के बारे में लिखा गया है और यह बिलकुल सच नहीं है और कभी नहीं होगा। लोग भरोसा करते हैं; उनको करना चाहिए। राजमार्ग हमें यह बताता है। हम अपने इंजन चालू करते हैं और विश्वास से सड़कों में निकलते हैं; हम विश्वास करते हैं कि हमारी सड़कों पर अन्य वाहन भी उन्हीं नियमों के आधार पर चलते हैं जिन्हें हम सच मानते हैं। लाल बत्ती का मतलब रुको, हरी का मतलब जाओ, और जो लोग इन मानकों का उल्लंघन करेंगे उनको नियम तोड़ने के लिए दंडित किया जाएगा। विश्वास का अंत? जल्द नहीं हो रहा है। समाजशास्त्री और दार्शनिक और विचारक वर्तमान दुनिया को जो आज प्रस्तुत कर रहे हैं वह वास्तव में कोई अविश्वास नहीं है, बल्कि वह नया विश्वास है। यह एक विश्वास प्रणाली है जो कि धर्मों और धार्मिक संस्कृतियों से गठित विवेक की ओर दरवाजा बन्द करती है। इस विश्वास प्रणाली में, बाइबल पर आधारित एक वैश्विक नजरिया पुरातन और विविधता और समुदाय, स्वीकृति और सुरक्षा के भविष्य की ओर मानवता के पथ पर एक बाधा के रूप में देखा जाता है। नए विश्वास में यह आवश्यक है कि हम इस दुनिया को वैसे स्वीकार करणा हैं जैसा हम जानते है, और यह हम पर निर्भर है कि इसमें एक धर्मी समाज के अस्तित्व से बचाने और बनाए रखने के लिए हम जिम्मेदार हैं। समस्या यह है कि प्राकृतिक मानव ह्रदय अहम, आत्म-उन्नति और आत्मरक्षा के लिए प्रवण हैं, और इसलिए, हताश और दुष्ट हैं। जैसा कि ब्रिटिश लेखक फ्रांसिस स्पफोर्ड ने लिखा है, कि एक निश्चित "चीजों को गड़बड़ करने की मानव प्रवृत्ति है।" (स्पफोर्ड से "गड़बड़” से ज्यादा भरी शब्द का इस्तेमाल करते थे।) नया विश्वास में एक महत्वपूर्ण घटक का अभाव है - वास्तविक विश्राम की जगह। चूंकि नए विश्वास में कोई परम वास्तविकताएँ मौजूद नहीं हैं, वहाँ पर कुछ भी चट्टान जैसा ठोस बैठने के लिए नहीं है। परिणाम: बाजीगरी बस और चलती जाती है। अगली व्यर्थ चीज जो सामने आए उसे ले लो और अपनी लय और गति में उससे खेलो। खेलते रहो जब तक पतन आता है, क्योंकि वह तो आ रहा है। विश्राम: थके हुए के लिए छिपने का स्थान इस तरह की गतिविधि की गति और तीव्रता वजनदार होती है। भारीपन एक आत्मिक भावना है और यशायाह नबी के अनुसार, इसके लिए एक ही जवाब है, स्तुति का ओढ़ना। जो उसे खोजते हैं उनके लिए मसीह वही ओढ़ना प्रदान करने के लिए आया था; बाजीगरी से थके हुए लोगों के लिए वह विश्राम का वादा करता है। उसने लूका ४ में यशायाह ६१ से पढ़ते हुए ऐसा कहा। यशायाह ६१ का पद ३ हमें बताता है कि वह विलाप करने वालों के लिए चंगाई देने आया और “सिर पर की राख दूर कर के सुन्दर पगड़ी बान्धने, कि उनका विलाप दूर कर के हर्ष का तेल लगाने और उनकी उदासी हटाकर यश का ओढ़ना ओढ़ाने; जिससे वे धर्म के बांजवृक्ष और यहोवा के लगाए हुए कहलाएं और जिस से उसकी महिमा प्रगट हो।" विश्राम हमारे पास एक प्रोग्राम या प्रक्रिया या प्राप्ति में नहीं आता। यह परमेश्वर के व्यक्तित्व में, पुत्र में, और उसके उद्धार के सम्पूर्ण कर्म में आता है। क्रूस पर उसकी उपलब्धि ने हमारे लिए जरूरत के समय पर परम पवित्र की उपस्थिति में साहसपूर्वक आने के लिए रास्ता खोल दिया है। परमेश्वर के मेमने की बलि करके, प्रत्येक इंसान वह हो सकता है जो होने के लिए वह बनाया गया था - उसकी महिमा के लिए पात्र, उस पवित्र आत्मा का निवासस्थान, उन सभी विश्वास करने वालों को खुलकर दिया गया है। यीशु ने यह बेहतर कहा: " हे सब परिश्रम करने वालों और बोझ से दबे लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा।" (मत्ती ११:२९)। क्या आप गेंदों को छोड़कर बाजीगरी रोकने के लिए तैयार हैं? आइए; उसमें अपना विश्राम पाएँ। बस सच्चे विश्वास के इस धागे को पकड़ लें। मसीह के पास आएँ और प्रभु से धार्मिकता के वस्त्र के ग्रहण करें। यह एक ऐसा परिधान है जो कभी घिसता या फटता नहीं है। यह सब ढंकता है, अब और हमेशा के लिए। ‘विश्वास जो प्रेम के द्वारा काम करता है’ के बारे में अधिक जानकारी के लिए, कृपया बाल्टीमोर में ग्रेटर ग्रेस चर्च के पास्टर थॉमस शालर द्वारा प्रचारित इस अंग्रेजी संदेश “Christmas, We Need it,” को सुनें। This article is the Hindi translation of the article ‘A Rest for Jugglers Everywhere’ published by Pastor Steve Andrulonis in www.ggwo.org.

Leave a Reply

Like this:

Discover more from Decode Life with Dev

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading