अपयश के विषय में उपदेश
Translated from the Appendix 'Slander' of the booklet by Pastor Carl H. Stevens, of www.ggwo.org titled, ‘The Progression of Conspiracy’

अपयश की परिभाषा

आजकल एक चलन है जो दोस्तियों को नष्ट करता है, मतभेद बोता है और अफ़वाह फैलाता है, और यह मसीही कलीसिया में भी प्रचलित हो गया है। इस बुराई की नीति को अपयश कहते हैं। इस हिस्से का मकसद यह प्रकट करने के द्वारा शैतान के इस अभियान को रोशनी में लाना है कि पवित्रशास्त्र इस जरूरी विषय के बारे में क्या कहता है। मसीही को यह उपदेश ध्यान देकर अध्ययन करना चाहिए, क्योंकि अपयश का इस्तेमाल अक्सर लोगों से उस वचन का त्याग कराता है, जिससे वे जीवन पाते हैं (मत्ती ४:४; लूका ४:४)। विश्वासियों को अपयश की बुराइयों से और इस सत्य से कि “जीभ के वश में मृत्यु और जीवन दोनों होते हैं” (नीतिवचन १८:२१) अवगत कराए जाने की आवश्यकता है। कोई गन्‍दी या दूषित करने वाली भाषा, न बुरी बात, न ही बेकार या रद्दी बोलचाल [कभी] तुम्हारे मुँह से न निकले; पर केवल ऐसी [वाणी] जो  दूसरों की आत्मिक उन्नति के लिए उत्तम और लाभप्रद हो, जैसा कि आवश्यकता और मौके के अनुसार हो वही निकले, ताकि वह  सुनने वालों पर आशिष हो और अनुग्रह (परमेश्वर की कृपा) दे। और परमेश्वर के पवित्र आत्मा को शोकित मत करो, (उसे नाराज़, या तंग, या दुखी मत करो) जिसके द्वारा तुम पर छुटकारे के दिन - मसीह के द्वारा बुराई और पाप के परिणामों से निर्णायक बचाव, के लिए छाप (परमेश्वर के स्वामित्व का चिन्ह, मुहर, और सुरक्षा) दी गई है। सब प्रकार की कड़वाहट, और प्रकोप और क्रोध (आवेग, रोष, झुंझलाहट), और नाराजगी (कोप, द्वेष), और झगड़ा (विवाद, कोलाहल, तकरार), और अपयश (बुरा बोलना, अपमानजनक, या निंदात्मक भाषा), सब प्रकार की ईर्ष्या (किसी भी प्रकार की दुर्भावना, बैर या नीचता) समेत तुमसे दूर की जाए। और एक दूसरे की ओर उपयोगी और सहयोगी और कृपालु बन जाओ और करुणामय (दयालु, समझदार, प्रेमी-हृदय वाले) हो जाओ, और जैसे परमेश्वर ने मसीह में तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी एक दूसरे के अपराध [सहर्ष और सहजता से] क्षमा करो (इफिसियों ४:२९-३२ एम्पलीफाईड)। अपयश शैतान की नीति है। अपयशवादी वह व्यक्ति होता है जो उस शैतान के वातावरण में लेनदेन करता है, जो भाईयों पर इल्ज़ाम लगाने वालों का मुखिया है (प्रकाशितवाक्य १२:९-१२), और परमेश्वर और इन्सानों (खास तौर से उद्धार पाए इन्सानों) का विरोधी है (जकर्याह ३:१)। अपयश मसीह के क्रूस और उसके लहू के छुटकारे के खिलाफ़ जघन्य पाप है। यह उद्धार की सारी नैतिकताओं के खिलाफ़ जाता है (उद्धार की नैतिकताओं के विषय में, १ पतरस ३:८; २ कुरिन्थियों ५:१४-२१; १ कुरिन्थियों १३:४-७; १ पतरस ४:८-१०; नीतिवचन १०:१२; इफिसियों ४:२९-३२ देखें)। जबकि कुछ पाप ऐसे होते हैं जो अक्सर एक आम मसीही की सोच में हमेशा भारी माने जाते हैं, फिर भी अपयश का पाप अक्सर उसकी नष्ट करने वाली सच्चाई और पूरी तीव्रता में नहीं समझा जाता। बुराई की इस शातिर नीति की पूरी तबाही का खुलासा सिर्फ अनंत ही कर पाएगा। इस हिस्से का मकसद विश्वासी को इन समयों के इस चलन की पवित्रशास्त्र के द्वारा छानबीन भरे अध्ययन के द्वारा तैयार करना है। अपयश राजनीति, मीडिया, मनोरंजन, खेलकूद के दायरे और अफ़सोस है कि मसीही जगत के दायरे में भी इस तरह से पैठ कर गया है कि आजकल ऐसे “विशेषज्ञ” और “सेवकाइयाँ” तक हैं, जो मसीही पुरुषों, स्त्रियों, सेवकाइयों, और प्रभु के दासों की मानहानि के लिए समर्पित होते हैं। यह सच कि ये मुँह-बोले विशेषज्ञ वाकई में अपनी आमदनी इन अपयश भरी खबरों के द्वारा पाते हैं, उन्हें यकीनन शैतान द्वारा प्रभावित व्यक्तियों और संस्थाओं की श्रेणी में रख देता है।

नीतिवचन की पुस्तक में अपयश

नीतिवचन की पुस्तक अपयश के विषय में काफी रोशनी डालती है। कई वचन जो अपयश के विषय की बात करते हैं, यहाँ चर्चित किए जा रहे हैं: जो बैर को छिपा रखता है, वह झूठ बोलता है, और जो झूठी निन्दा फैलाता है, वह [आत्म-विश्वासी] मूर्ख है (नीतिवचन १०:१८, एम्पलीफाईड)। इब्रानी में अपयश के लिए दिब्बाह/dibbah शब्द है, मतलब “बुरी खबर या मानहानि की क्रिया।” यह दबाब/dabab नाम के इब्रानी शब्द से लिया गया है, जिसका मतलब होता है “धीरे से बढ़ना।” किसी को भी सचेत रहना चाहिए, क्योंकि अपवादी धीरे से, धूर्तता में आते हैं और किसी को चकित कर देते हैं। वे अपनी दुष्ट घृणा को झूठ और चापलूसी से दबाकर रखते हैं; तब जब उनकी घृणा का लक्ष्य अन्जान होता है, वे प्रहार करते हैं और उसे शिकार बना देते हैं। जो लुतराई करता फिरता है वह भेद प्रकट करता है, परन्तु वह जो आत्मा में भरोसेमन्द और विश्वासयोग्य होता है, वह मनुष्य बात को छिपाकर रखता है। (नीतिवचन ११:१३, एम्पलीफाईड)। जो व्यक्ति आत्मा में विश्वसनीय और विश्वासयोग्य होता है, लुतराई करने वाला उसका बिलकुल उलटा होता है। उस पर कभी भी गोपनीय बातों के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता, और वह राज़ को दूसरों को प्रकट करता है। लुतराई करने वाले के लिए जो शब्द है, वह दो इब्रानी शब्दों का संगम है: राकिल/rakiyl, जिसका मतलब है “अपयश खोजने वाला” और हलाक/halak, जिसका मतलब है “चलना और लगातार बात करना” या “भटकना और अपयश करना।” सत्य से भटकना और अपयश करना दोनों ही शैतानी नीतियाँ हैं। पहले, शैतान उस व्यक्ति को उपदेश से भटकाता है (१ तीमुथियुस ४:१), और फिर वह व्यक्ति अपनी स्वावलंबी विचारधारा का समर्थन करने के लिए अपयश के सामने झुक जाता है। टेढ़ा मनुष्य बहुत झगड़े को उठाता है, और कानाफूसी करने वाला परम मित्रों में भी फूट करा देता है (नीतिवचन १६:२८)। नीतिवचन १६:२८ वह है, जिसे एक “पर्यायवाची समानता” या “पर्यायवाची समरूपता” कहा जाता है। पर्यायवाची समानता एक दो-पंक्तियों की कविता होती है, जो उपदेश को इस तरह से व्यक्त करती है, जिसमे दूसरी पंक्ति उन विचारों के आतंरिक मतलब पर जोर देने के लिए पहली पंक्ति के सत्य को दुबारा कहती है। मकसद यह है कि उपदेश या शिक्षा हृदय में घर बनाए। इन दोहों का इस्तेमाल करके, यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि अपवादी टेढ़ा (भ्रष्ट) होता है, विवाद बोता है, और नज़दीकी दोस्तों को अलग करता है। वह अक्सर ऐसी मण्डलियों में आता है, जो सुसमाचार प्रचार करने में प्रभावशील हैं, और जो मसीह की देह की एकता का अनुभव कर रहे हैं (१ कुरिन्थियों १:१०) और जो परमेश्वर के वचन में बढ़ रहे हैं (यूहन्ना ८:३१)। अपवादी शैतान का एक एजेंट है, जो मतभेद बोने, अफवाहें फैलाने, और सुने हुए वाक्यों को दुबारा बोलने इत्यादि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह व्यक्ति उन दोस्तों को अलग करने की कोशिश करता है, जो एक दूसरे से संगति में हैं। अत:, अपयश दोस्तियों को नष्ट करने का कारण हो सकता है। जो दूसरे के अपराध को ढांकता और क्षमा करता है, वह प्रेम का खोजी ठहरता है, परन्तु जो किसी बात की बीन बजाता या चर्चा बार बार करता है, वह परम मित्रों में भी फूट करा देता है (नीतिवचन १७:९, एम्पलीफाईड)। यह पंक्ति नीतिवचन १६:२८ में देखी गई सच्चाई को दोहराता है। यह वह है जिसे “विरोधात्मक समरूपता,” के नाम से जाना जाता है, जो वाक्यों को कविता के रूप में कहकर, उसके बाद उस सच्चाई पर जोर देने के लिए उसका उलटा कहकर उपदेश सिखाता है। नीतिवचन १७:९ के द्वारा यह नतीजा निकाला जा सकता है कि प्रेम की नीति का मतलब यह है कि वह व्यक्ति दूसरों की गलतियों और दोषों को दोहराने या उनके बारे में बीन बजाने से इन्कार करता है। इसलिए अपयश बुराई की वह नीति है, जो प्रेम की नीति का सीधा विरोध करती है। १ यूहन्ना ३:१४ के अनुसार, अपयश का अभ्यास करने वाले ने अब तक जीवन से मृत्यु में प्रवेश नहीं किया है, क्योंकि वह प्रेम के विपरीत कार्य करता है: हम जानते हैं कि हम मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुँचे हैं; क्‍योंकि हम भाइयों से प्रेम रखते हैं। जो प्रेम नहीं रखता वह मृत्यु की दशा में रहता है। कानाफूसी करनेवाले या फुसफुसाने वाले के वचन स्वादिष्ट भोजन के समान लगते हैं; वे शरीर के गहरे हिस्सों तक जाते हैं (नीतिवचन १८:८, एम्पलीफाईड)। बुरी खबरें स्वादिष्ट निवाले के जैसे हो सकती हैं – इन्सान की मनुष्यता का एक उत्सुक हिस्सा है, जो अफवाह की “टुकड़ों के छोटे-छोटे हिस्सों” को सुनने में प्रसन्न होता है, परंतु यह छोटे हिस्से सुनने वाले के अर्धचेत मन की गहराइयों में निवास करेंगे और निश्चितरूप से जिस व्यक्ति के बारे में बातें की गई हैं, उससे उसकी दोस्ती में असर डालेंगे। ऐसी अफ़वाह की एक कलीसिया, एक टीम, एक संस्था इत्यादि के लिए खतरनाक नष्टकारक क्षमता होती है। “कानाफूसी करने वाले” (पंक्ति ८) के लिए इब्रानी शब्द निर्गान/nirgan है, जिसका मतलब होता है “टुकड़ों में बाँटना; एक अपवादी।” यह जिस पर अपवाद किया जाता है, उस व्यक्ति की इज्जत पर अपयश के नष्टकारक प्रभावों की पर्याप्त तस्वीर है। जो लुतराई करता फिरता है वह भेद प्रकट करता है; इसलिये उस व्यक्ति  से मेल जोल न रखना जो अत्यधिक खुलकर बोलता है (नीतिवचन २०:१९, एम्पलीफाईड)।      इस पंक्ति में, लुतराई करने वाले के लिए इब्रानी शब्द राकिल/rakiyl है, और इसका मतलब है “घोटाले का सौदागर।” यह रकाल/rakal से है, जिसका मतलब होता है “व्यापार के मकसद से जगह-जगह यात्रा करना या मसालों का सौदागर होना।” कइयों ने यह शब्द सुना होगा “मसालेदार खबर।” विश्वासी को किसी मसाले के सौदागर अथवा, दूसरे शब्दों में, मुख़बिर के साथ सहयोगी नहीं होना है। सबसे अच्छी नीति यह है कि मन में इन लोगों पर ध्यान दिया जाए और जानबूझ कर इनसे दूर रहा जाए (रोमियों १६:१७; १ कुरिन्थियों १५:३३)। मसीही को मसाले के सौदागर से, या अफवाह फैलाने वाले से सतर्क रहना है। ठठ्ठा करने वाले को निकाल दे, तब झगड़ा मिट जाएगा, और वाद-विवाद और अपमान दोनों टूट जाएँगे(नीतिवचन २२:१०)। आदतन ठठ्ठा करने वाले, अपयश और जुबान के पापों का अमल करने वाले के लिए इकलौती नीति उसे विश्वासियों की संगति से निकाल देना है। नीतिवचन २२:१० की कड़क नीति को तब समझा जा सकता है, जब कोई अपयश के अत्यंत विनाशकारी स्वभाव और नर्क जैसी नीति को समझ पाता है। उसी तरह, जब कोई मण्डली सिर्फ उद्धार की नीतियों में जीने और केवल आत्मिक उन्नति के फायदे वाली बातें करने (इफिसियों ४:२९) और एक सी चीजें बोलने (१ कुरिन्थियों १:१०) का निश्चय कर लेती है, तब ठट्ठा करने वाले और अपवादी के पास उनकी आग में डालने के लिए कोई ईंधन नहीं होता और अंतत: वे या तो नष्ट हो जाते हैं, अथवा छोड़कर चले जाते हैं। जैसे उत्तरी वायु वर्षा को लाती है, वैसे ही चुगली करने से मुख पर क्रोध छा जाता है (नीतिवचन २५:२३, एम्पलीफाईड)।   जब निन्दा की मुलाकात स्थानीय मण्डली के संदर्भ में एक “क्रोधित मुख” से होती है, तब अपवादी को जल्द ही पता चल जाता है कि उसकी शैतानी नीति इन लोगों के मध्य में वास नहीं कर सकती, जो उद्धार की नीति और उस प्रेम की ओर प्रतिबद्ध हैं, जो सारे पापों को ढँकता है (नीतिवचन १०:१२; २ कुरिन्थियों ६:१४-१८)। जैसे लकड़ी न होने से आग बुझती है, उसी प्रकार जहाँ कानाफूसी करने वाला नहीं, वहां झगड़ा मिट जाता है। (नीतिवचन २६:२०)। यह एक और मिलता जुलता दोहा है, जो बुद्धिमत्ता का अद्भुत सिद्धांत देता है। जहाँ पर कोई अपवादी अपना व्यवसाय नहीं कर रहा होता, वहाँ आग बुझ जाती है। यह वो आग है, जो नर्क से पैदा होती है। याकूब ३:५-६ (एम्पलीफाईड) जुबान को एक आग के तौर पर वर्णन करता है: वैसे ही जीभ भी एक छोटा सा अंग है और वह बड़ी-बड़ी डींगे मारती है। देखो, छोटी सी चिनगारी कितने बड़े वन या कितनी सारी लकड़ी में आग लगा देती है! जीभ भी एक आग (है); (जीभ) हमारे अंगों में रखा गया अधर्म का एक लोक है, और सारी देह को दूषित और भ्रष्ट करती हुई और स्वयं नर्क कुण्‍ड (गेहेना) की आग से जलती हुई जीवन के चक्र - मनुष्य के स्वभाव के चक्र में आग लगा देती है। वह जुबान जो अपयश बोलती है, वो उस मार्ग का काम करती है, जिसके द्वारा नर्क की नीतियाँ एक इन्सान के पूरे स्वभाव में आग लगा देती हैं और नष्ट करने के लिए फ़ैल जाती हैं और कई जिन्दगियों को अशुद्ध करती हैं (इब्रानी १२:१५ देखें)। कानाफूसी करने वाले (निगरान) या अपवादी के वचन, स्वादिष्ट भोजन या मज़ेदार शब्दों [कुछ लोगों के लिए, परन्तु बाकियों के लिए खतरनाक ज़ख्मों के जैसे] होते हैं और वे शरीर [या पीड़ित के स्वभाव] के सबसे अंदरूनी हिस्सों  की गहराई में उतर जाते हैं (नीतिवचन २६:२२, एम्पलीफाईड)। यह पंक्ति अत्यंत प्रकाशनकारी है और शक्तिशाली चेतावनी रखती है। यद्यपि कई लोगों को अपयशवादी के शब्द “स्वादिष्ट टुकड़े” लगते हैं (अर्थात, नया जन्म न पाया हुआ इन्सानी स्वभाव दूसरों के बारे में नकारात्मक खबरें सुनना चाहता है), पर कुछ लोगों के किए वे घाव जैसे होते हैं। ये नुक़सानदेह शब्द अर्धचेत मन में जाते हैं और सुनने वाले को पीड़ित कर देते हैं। दुबारा जन्म पाए विश्वासी को अपयश नहीं सुनना है। यदि वह सुनता है, तो वह महीनों या सालों के लिए प्रभावित हो सकता है। यदि वह जानता है कि उसने अफवाह या अपयश को सुना है, तो उसे पाप कह कर कबूल करना चाहिए (१ यूहन्ना १:९), और प्रभु को उसे उसके भयंकर परिणामों से शुद्ध करने देना चाहिए। तब उसे सोच समझ कर और लगातार ऐसे लोगों को ताड़ लेना और उनसे दूर रहना चाहिए, जो अपयशवादी हैं (रोमियों १६:१७), और उनके साथ संगति करना चाहिए, जो अपनी बोलचाल के द्वारा उन्नति देते हैं, और सुनने वाले को अनुग्रह प्रदान करते हैं और पवित्र परमेश्वर के आत्मा को शोकित करने वाले अशुद्ध संचार का इन्कार करते हैं।

अपयश के और दूसरे उदाहरण

परन्तु दुष्ट से परमेश्वर कहता है: तुझे मेरी विधियों का वर्णन करने और मेरी वाचा की चर्चा करने का क्या हक है, जबकि  तू तो शिक्षा से बैर करता है [अपवादी बाइबल उपदेश - २ तीमुथियुस ३:१६,१७ से प्रत्यक्ष रूप से विरोध में होता है], और मेरे वचनों [श्रेणीगत उपदेश] को तुच्छ जानते हुए - उन्हें अपने पीछे डालता  है। जब तू एक  चोर को देखता है, तब उसकी संगति से प्रसन्न होता है; और तू परस्त्रीगामियों के साथ भागी हुआ। तूने अपना मुँह बुराई करने के लिये खोला, और तेरी जीभ छल की बातें गढ़ती है। तू बैठा हुआ अपने भाई के विरूद्ध बोलता है; और अपने सगे भाई की चुगली खाता है। यह काम तूने किया, और मैं चुप रहा; इसलिये तूने समझ लिया कि मैं  बिलकुल तेरे समान हूँ;  परन्तु [अब]  मैं तुझे समझाऊँगा, और तेरी आँखों के सामने क्रमबद्ध करके [अभियोग]  दिखाऊँगा। हे परमेश्वर को भूलने वालों, यह बात भली भाँति समझ लो, कहीं ऐसा न हो कि मैं तुम्हें फाड़ डालूँ [यह उस अपवादी, निगरान का साहित्यिक न्याय है, जिसके वचन टुकड़ों में बिखरते हैं] और कोई छुड़ाने वाला न हो (भजन संहिता ५०:१६-२२, एम्पलीफाईड)। पंक्ति २० में दो शब्द मिलकर अपयश का मतलब बनाते हैं। पहला नाथान/nathan, जिसका मतलब है “देना” और दूसरा है डोफिय/dophiy, जिसका मतलब है “धक्का देना” या “राह का रोड़ा।” अपयश दूसरों को लड़खड़ाने का कारण देता है, पर वह जो रोशनी में चलता है (१ यूहन्ना २:१०), वह किसी भी भाई के लिए ठोकर का कारण नहीं बनता। एक और शब्द जो अपयश की बदसूरती को पर्याप्तरूप से चित्रण करता है, वह भजन संहिता १०१:५ में पाया जाता है। “गुप्तता  में बदनामी” के लिए शब्द लशान/lashan है, जिसका मतलब होता है “चाटना,” और उसका संकेत है “जीभ को हिलाना”। इसका मतलब दोष लगाना भी होता है। अपयश का मूल दोषारोपण है, और पुराना सर्प (यूनानी में उफिस), अजगर और शैतान भाइयों को इल्ज़ाम लगाने वाला होता है (प्रकाशित वाक्य १२:१०)। अपवादी अवश्य आसमानी शक्तियों के राजकुमार की शक्ति के दायरे की प्रेरणाओं में कार्य कर रहा है: जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो अब भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है (इफिसियों २:२)।

अपयश: साज़िश का बीज

यदि अपयश बिना जाँच के चलता जाए, तो वह संभवत: साज़िश की ओर बढ़ेगा। ध्यान दें, साज़िश का उत्थान चार मूलभूत कदमों में होता हैं। पहली, एक आतंरिक बुराई है। यूनानी शब्द काकोस/kakos है और नये नियम में कई बार इस्तेमाल किया गया है। उसके बाद, एक संक्रामक बुराई है, जिसका यूनानी शब्द पोनेरोस/poneros (२ तीमुथियुस ३:१३) है। अपयश तब संक्रामक होता है, जब वह दूसरों को अपनी बुराई में फँसाने लगता है और फिर सांप्रदायिक बुराई बन जाता है (नीतिवचन ४:१७)। सांप्रदायिक बुराई षडयंत्रकारी बुराई बनती है। यह मसीह विरोधी की नीति है और हमेशा “प्रभु के खिलाफ़ , और उसके अभिषिक्त के खिलाफ़” (भजन संहिता २:२-३) निशाना करती है। प्रभु का दास अक्सर साज़िश का अंतिम केन्द्र बिन्दु बन जाता है। भजन संहिता २ एक तरीके से भविष्य की एक घटना के बारे में बोल रहा है, परंतु उसका व्यावहारिक उपयोग साफ़ तौर पर आज होता है। भजन संहिता ४१:७-९ एक साज़िश भरे सबसे भयंकर प्रकार के अपयश की तस्वीर है। यह अतीत में दाऊद के खिलाफ हुआ था और भविष्यवाणी में यीशु मसीह के खिलाफ़ होने वाली साज़िश की एक तस्वीर है। यहूदा इस्करियोती द्वारा किए गए विश्वासघात का इन पंक्तियों में उल्लेख किया गया है। इसके पहले यूहन्ना ६:७० में यहूदा यीशु द्वारा “एक शैतान” पुकारा गया था, जिसका मतलब है कि वह एक अपवादी था, जिसने अभिषिक्त, मसीह के खिलाफ साज़िश के अपयश और विश्वासघात में प्रवेश किया था। अंतत: अपयश का शिकार हमेशा वह व्यक्ति होता है, जो मसीह के साथ जुड़ा हुआ होता है। यह हमेशा मसीह से सीधे विरोध में होता है, इसलिए यह मसीह विरोधी नीति है। प्रकाशित वाक्य १३:६अ पशु के बारे में कहता है: “उसने परमेश्वर की निन्दा करने के लिए मुँह खोला।” परमेश्वर के अभिषिक्त राजा के तौर पर भजन संहिता ३१:१३ में दाऊद के साथ अपयश किया गया: मैंने बहुतों के मुँह से अपनी निन्दा [षड्यंत्रकारी और सांप्रदायिक बुराई] सुनी, चारों ओर भय ही भय है! जब उन्होंने मेरे विरुद्ध आपस में सम्मति [षड्यंत्रकारी बुराई] की, तब मेरे प्राण लेने की युक्ति की (एम्पलीफाईड)। इस पंक्ति में अपयश के लिए शब्द हैं, डिब्बाह/dibbah, जिससे यह पता चलता है कि “बदनामी, अथवा बुरी खबर।” अपयश मुँह से किया गया क़त्ल है, जो उस शैतान की चाल है, जो शुरुआत से कातिल (यूहन्ना ८:४४) है! अपयश का रास्ता अधोलोक, अर्थात मृत्यु है। अध्याय ३१ का बचा हुआ हिस्सा दाऊद के परमेश्वर द्वारा उसे बचाने और अधोलोक में अपवादी को शांत करने के गुण पर भरोसे और विश्वास की मुखाकृति  है! (भजन संहिता ३१:१७-१८)

अपयश से बचना

परमेश्वर के तम्बू में समय के अंदर संगति अनुभव करने के लिए एक आवश्यकता यह है कि अपयश से बचा जाए। वह व्यक्ति जिसका परमेश्वर से सही संबंध होता है, उसका वर्णन भजन संहिता १५:१-३ में किया गया हैं: हे परमेश्वर तेरे तम्बू में कौन रहेगा? तेरे पवित्र पर्वत पर कौन बसने पाएगा? वह जो खराई से चलता और धर्म के काम करता है, और हृदय से सच बोलता है; जो अपनी जीभ से निन्दा नहीं करता, और न अपने मित्र की बुराई करता, और न अपने पड़ोसी की निन्दा सुनता है। पंक्ति २ उस न्यायी व्यक्ति का वर्णन करती है, जो अपने हृदय में सत्य बोलता है। यूहन्ना १७:१७ कहता है कि परमेश्वर का वचन सत्य है। जब विश्वासी परमेश्वर के वचन के अनुसार सोचता है, वह उसका निर्देश तंत्र बन जाता है। इस व्यक्ति के शब्द उसके व्यक्तिगत विचार या आकलन पर आधारित नहीं होंगे; बल्कि उसके शब्द पवित्रशास्त्र के सत्य के अनुसार वस्तुनिष्ट होंगे। “क्‍योंकि जो मन में भरा है, वही उसके मुँह पर आता है” (लूका ६:४५अ)। इसलिए, यह साफ़ है कि जो अपवाद करता है, उसने परमेश्वर के वचन की सच्चाई में नींव नहीं डाली और जड़ नहीं पकड़ी है।

क्रूस

इस उपदेश के विषय में सारांश के मुद्दे के तौर पर, यह दोबारा कहना आवश्यक है कि अपयश उद्धार की नीति का उलटा है। मत्ती १६:२३अ में, यीशु ने पतरस के द्वारा शैतान से कहा: “हे शैतान, मेरे सामने से दूर हो! तू मेरे लिए ठोकर (यूनानी में स्कैंडेलोन) का कारण है।” शैतान ने पतरस को प्रभु यीशु मसीह के सामने राह का रोड़ा फेंकने के लिए ज़रिए के तौर पर इस्तेमाल किया। क्यों? उसे क्रूस को अपना मुख्य निर्देश तंत्र समझने से रोकने के लिए। शैतान ने अपने तरीके नहीं बदले हैं! वह विश्वासी को क्रूस को छोड़कर किसी भी और चीज़ को उसका निर्देश तंत्र बनवाने की कोशिश करता है। जब ऐसा होता है, तब ये मसीही लोगों का देह के अनुसार (२ कुरिन्थियों ५:१६) नज़र के द्वारा न्याय करते हैं (यूहन्ना ७:२४; २ कुरिन्थियों ५:७; २ कुरिन्थियों १०:७), और उनके बदले में यीशु मसीह की मौत, दफनाए जाने और पुनरुत्थान के गुणों के द्वारा मसीहियों के नई सृष्टि होने के सच के आधार पर उन्हें नहीं जानते हैं। वे क्रूस से दूर हटकर चीजों को या तो स्वाभाविक नज़रिये से देखेंगे, या फिर क्रूस के गुणों के द्वारा स्थानिक नज़रिये से। वह व्यक्ति जो मसीह के साथ उद्धार की नीतियों में “मसीह और उसके साथ क्रूसित” होने को अपना निर्देश तंत्र मानता हुआ जीता है, वह यीशु मसीह के कलीसिया के सभी सदस्यों को “मसीह में” देखेगा (२ कुरिन्थियों ५:१७)। PS - If you would like to enjoy a thought provoking spirituality quiz, then jump to our fun quiz page. You may also watch our YouTube videos. What about learning about life after death?

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