मेडिटेशन – क्या साधारण लोग कर सकते हैं?

मेडिटेशन अर्थात मनन के बारे में कई सारी विचारधाराएं और खयाल मिलते हैं। कम से कम इस बात पर आम सहमति तो है कि मनन करना मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए काफी उपयोगी होता है। पर इसको करना कैसे है, किस माहौल में करना चाहिए और इस कला से संबंधित अन्य कई रहस्यों के बारे में बहुत बातें सुनी जा सकती हैं। ऐसी बातों को सुनकर ऐसा लगता है कि मेडिटेशन एक ऐसी क्षमता है जिसे हासिल करने के लिए किसी गुरु या ट्रेनिंग शिविर में जाकर सीखना पड़ेगा।

मैं मेडिटेशन के बारे में बाइबल का नज़रिया पेश करना चाहता हूं। मनन सभी लोगों के लिए है, बिल्कुल साधारण लोगों के लिए भी। हर कोई, चाहे वह किसी भी काबिलियत, संस्कृति या व्यस्तता के परिवेश का हो, इसे कर सकता है। मनन 'कैसे' के बारे में बात करने के पहले हम यह देखते हैं कि यह होता 'क्या' है।

बाइबल में परमेश्वर ने यहोशू को दिन रात मनन करने की आज्ञा दी और परिणाम के तौर पर 'सफलता ' का वादा दिया। भजनसंहिता १ ऐसे व्यक्ति का जिक्र करता है जो आदतन दिन रात मनन करता है। उसकी तुलना उस पेड़ के साथ की गई है जो भरपूर सींचा गया है और हर मौसम में फल पैदा करता है। इस गीत में उस व्यक्ति के चरित्र के और भी कई वर्णन किए गए हैं। इससे हमें यह पता चलता है कि यह आदत उस व्यक्ति के गुणों को बेहतर परिवर्तित करती है और उसे अद्भुत परिणामों की ओर ले जाती है। ऐसे परिणामों की वजह से हम सबको इस आदत को नियमित रूप से पालन करने के लिए प्रेरित होना चाहिए।

चूंकि बाइबल का लेख 'दिन रात' शब्द का इस्तेमाल करता है, हम यह अंदाजा लगा सकते हैं कि यह नियमित आदत बन जाने के योग्य है और बनाई जा सकती है। जरूरी नहीं है कि इसे सिर्फ खास समयों और धार्मिक वातावरण में बस किया जाए। बाइबल मनन में इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु का भी साफ जिक्र करता है। परमेश्वर का वचन ही वह चीज है जिस पर मनन होना चाहिए। तुमने बाइबल में जो पढ़ा, किसी आत्मिक संदेश में जो सुना, या किसी अच्छी किताब में कुछ दिल छूने वाली बात पढ़ा वह तुम्हारे मानसिक जुगाली या मंथन के लिए अच्छा मसाला होता है। मेडिटेशन खुद पर ध्यान लगाना या शून्य अथवा हालातों पर चिंतन करना नहीं है। बल्कि इस पर ध्यान लगाना है कि परमेश्वर कौन है, उसका स्वभाव कैसा है, उसने अपने वचन में क्या कहा है और उसने क्या काम किया है। इस पर चिंतन करो कि तुम्हारे जीवन के लिए उसकी मर्जी क्या है। तब पवित्र आत्मा दिन के दौरान वापिस इन खयालों में से कुछ चीजें तुम्हारे दिल और याददाश्त में लाएगा। रुको, और इन बातों के बारे में बार बार सोचो।

तो कैसे किया जाए? हाँ, कभी कभी मौके आएंगे जब सही माहौल भी मिल जाएगा। ही सकता है कि आपमें से कुछ लोग प्रतिदिन सुबह प्रार्थना और रोज के डिवोशनल में वक्त बिताते होंगे। बहुत अच्छी बात है। लेकिन ना ही यह काफी है और ना ही यह इकलौता तरीका है। हम चलते, दौड़ते, खेलते और खाते वक्त भी मनन कर सकते हैं। यहाँ तक कि हम दिन के किसी भी समय और किसी भी हालात में यह कर सकते हैं। मुख्य बात है परमेश्वर के वचनों को बार बार अपने मन में घुमाना। बस उन्हें सोचो। उनके बारे में प्रार्थना करो। उनके लिए परमेंश्वर का धन्यवाद करो। वार्तालाप का आनन्द उठाओ। उसे अपनी गहराई को छूने दो। उसे तुम्हें संतुष्ट करने दो। जब तुम मनन कर रहे होते हो तब परमेश्वर तुमसे बातें करता है। वह अगुवाई करता है और तुम्हें मजबूत भी करता है। जब तुम यह करते हो तो तुम उसके साथ चलना  और उसकी सुनना सीखते हो।

मैं इस ब्लॉग को एक व्यक्तिगत बात कहकर अंत करना चाहता हूँ। मैं कोई किताबी सिद्धांत की बात नहीं कर रहा हूं।मैने जीवन के काफी लंबे हिस्सों में इसका अभ्यास किया है। मैनें इस वजह से अद्भुत आशीषों का अनुभव किया है। लेकिन, मैने ध्यान भटका कर भी जिया है। मेरे पास भी तुम्हारी तरह एक नौकरी, एक परिवार और बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं। और फिर यह आदत कई बार आसानी से फिसल जाती है। कई बार लंबे समय के लिए। मुझे प्यासा और अकेला करके। और फिर एक क्षण में परमेश्वर ने मुझे दिखा दिया। उसने मुझे यह भी दिखाया कि यह कितना आसान है। मैने वापिस शुरू किया। मेरी तुम्हारे लिए भी यही इच्छा है। मनन के अभ्यास के मजे लो - दिन रात। आशीषित रहो।

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